लाज़मी
लाज़मी
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वो करता रहा जिस ख्वाब में दखलंदाजी
उस ख्वाब में उनका दखल लाज़मी था।
मैं सिहर कर बैठता पर था मुश्किल नज़रअंदाज़ी
वो मेरी तस्वीर थी उसमे मेरा अक्स लाज़मी था।
वो करता रहा जिस्म से निकलने की जल्दबाज़ी
उसकी वो रूह थी उस बिन मर जाना लाज़मी था।
मैंने कई बार समझाया की बहुत इशारेबाजी
वो मेरी अदाओं का हिस्सा था नासमझ पाना लाज़मी था।
वो करता रहा मेरी महफिलों में हवाबाज़ी
उसकी ये आदत थी उसका मुस्कुरना लाज़मी था।
मुझे तो बस उसका हिस्सा होना पसंद था
मेरी तन्हाई में उसका हर किस्से में होना लाज़मी था।