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AKSHAT YAGNIC

Romance

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AKSHAT YAGNIC

Romance

जब सोचता हूँ कैसी दिखती हो तुम

जब सोचता हूँ कैसी दिखती हो तुम

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एक नई दुनिया में चला जाता हूँ मैं

जब सोचता हूँ कैसी दिखती हो तुम

लंबे लंबे बाल होंगे तुम्हारे

जो उड़ते होंगे हवा के सहारे

खुशबू फैल जाती होगी तब हर ओर

महक उठता होगा तुम्हारे घर का हर छोर

वो महक यहाँ भी महसूस करता हूँ मैं

जब सोचता हूँ कैसी दिखती हो तुम


आँखें तुम्हारी होगी सागर से भी गहरी

तीखी तीखी पलकें होंगे जिनके प्रहरी

देखती होगी जब तुम खुद को आईने में

वो भी जी उठता होगा सही मायने में

उसी तरह फिर से जी उठता हूँ मैं

जब सोचता हूँ कैसी दिखती हो तुम


होठों पर तुम्हारे सजती होगी मुस्कुराहटों की क्यारी

जिसको देख अप्सराएँ भी जाती होगी तुम पे वारी

मुरझा जाते होंगे फूल देख के तुम्हारे होठों की लाली

खुद रंग भी करते होंगे उस लाली की रखवाली

वो ही रंग अपनी आँखों में उतारता हूँ मैं

जब सोचता हूँ कैसी दिखती हो तुम


आवाज़ तुम्हारी होगी जैसे संगीत की कोई धुन प्यारी

सुन के जिसको हर कोई भूल जाये दुनियादारी

मंत्र मुग्ध हो जाती होगी हवा सुन के तुम्हारी किलकारी

कृष्ण की मुरली सुन जैसे खो जाएँ गोपियाँ सारी

उसी आवाज़ की आहट अपने कानों में महसूस करता हूँ मैं

जब सोचता हूँ कैसी दिखती हो तुम


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