यूज़ अँड थ्रो
यूज़ अँड थ्रो


कभी कभी एक बार का मिलना वह भी बेहद कम वक़्त के लिए…कितना कुछ बदल देता हैं, नहीं?
हाँ, हाँ...उसके साथ कुछ ऐसा ही हुआ था...
"आइए न एकाध दिन... " कुछ दिन पहले चलते चलते एक नोन फेस देखकर उसने हँसकर कहा था, "साथ में चाय पीते हैं… चाय पर चर्चा करते हैं..." "हाँ हाँ.. क्यों नहीं? ज़रूर…ज़रूर…" बेशक वे कैंपस में रहते थे लेकिन ऑफिस में वे अलग अलग डिपार्टमेंट में काम करते थे।उन दोनों के वर्क प्रोफाइल डिफरेंट थे।
ऐसे में कुछ दिनों के बाद शाम को उसे एक अननोन नंबर से फ़ोन आया। हेलो के बाद "मे आय नो हु इज ऑन द लाइन प्लीज़?" पूछने पर उस अननोन वॉइस ने कहा , "जी मैं…वो…उसे दिन मिले थे… चाय पर चर्चा की बात की थी…" "कौन?" "डॉक्टर वर्मा…फ्रॉम बायोटेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट…""जी कहिये..." कुछ नहीं… बस ऐसे ही…आप ने उस दिन चलते चलते कहा था न चाय पर चर्चा करेंगें.." "ओह येस…" बात पर बात शुरू हो गयी…बात निकलती हैं तो दूर तलक जाती हैं…इसी तर्ज़ पर उनकी बातें शुरू हो गयी। बातों के दरमियान डॉक्टर वर्मा ने कहा की मैंने कुछ स्टोरीज लिखी हैं… दे आर अवेलेबल ऑनलाइन… " "ग्रेट" थोड़ी ही देर में जो अननोन नंबर था…अब वह डॉक्टर वर्मा बन गया और फिर बातें ख़त्म नहीं हुयी बल्कि वही से बातें और बातचीत नया दौर शुरू हुआ…
अब जब लिखने पर बात आ गयी तो लाज़मी था की अपनी एक नई कहानी पर उसने भी बात करना शुरू किया और बातों के दरमियान झट से अपनी नयी कहानी का ऑनलाइन प्लेटफॉर्म वाला लिंक शेयर किया। शायद उन बातों के दरमियान कुछ था की बातें ख़त्म होने का नाम नहीं ले रही थी। इतनी लंबी बातचीत के बाद उसे अचरज हुआ की पहली बार कोई इतनी लंबी बातचीत कैसे कर सकता हैं?
नेक्स्ट शाम को फिर से डॉक्टर वर्मा का फ़ोन आया… नमस्ते जी के बाद फिर से ढेर सारे टॉपिक पर इधर उधर घूमते हुए बातें मेरी कहानियों पर आ गयी। "आपकी कहानी में एक ताज़गी हैं…मेरे शुक्रिया कहने पर उन्होंने कहा, "कभी चलते हैं, कहीं बैठ कर बातें करते हैं।" " हाँ… हाँ.. क्यों नहीं… मेरे ऑफिस में आ जाइए।" "अरे, नहीं…नहीं… ऑफिस में कोई न कोई जाननेवाला आयेगा। फिर आप भी बिज़ी होगी अपने काम में… ऑफिस में नहीं…कहीं बाहर चलते हैं…" "देखते हैं…"
फिर शाम को फ़ोन आया…बातें होती रही… "कभी बाहर चलते हैं… हाँ.. ज़रूर…कॉफ़ी हाउस में या फिर क्लब में…आय एम मेम्बर ऑफ़ दैट इंटरनेशनल क्लब … मैं उस का मेम्बर हूँ.." "चलेंगें.. कभी..ज़रूर.." येस,आय हैव बीन देयर लास्ट ईयर… नाइस प्लेस…" इसी तरह की और बातें होने लगी थी…
बदस्तूर हर शाम उनका फ़ोन आता रहा…बातें यूहीं जारी रही… शायद उन दोनों की वेव लेंथ मैच हो रही थी…फ्रीक्वेंसी मिलने लगी थी…
आज फिर शाम को डॉक्टर साहब का फ़ोन आया, "चलिए, मिलते हैं आज…" "आज?" "हाँ… वॉक करते हैं शाम को… 8 बजें…"
"ओके..शुअर…मिलते हैं…रात 8 बजें…"
दोनों ओर से टेक केयर कहने के साथ फ़ोन रखा गया।
लेकिन 8 बजें वाली वॉक हो न सकी क्योंकि घर में आज मिस्टर और मिसेज मल्होत्रा आये थे। उनके साथ बातचीत और चाय के दौरान 8 बजें वाली वॉक रह गयी… कोई नहीं.. उसने सोचा डिनर के बाद चलेंगें। एक ही कैंपस में तो हम रहते हैं… थोड़ा लेट हो गया तो क्या…डिनर के बाद चले जाएँगे..
घर के सभी लोगों के डिनर के बाद मैंने फ़ोन किया… "डॉक्टर साहब, सॉरी, घर में कोई आये थे… तो 8 बजें आ नहीं सकी…अब चलते हैं… वॉक करते हैं… आइए, बातें भी होगी… मैं निकल चुकी हूँ… वहाँ पार्क के कोने के पास मिलते हैं…"
"ओके… अरे, ये क्या? अब तो रात के 10.30 हो चुके हैं…नहीं… नहीं.. कोई मिल जाएगा तो पता नहीं क्या सोचेगा?"
मैं अवाक रह गयी…
ये कैसी बात हैं? ये कैसी बातचीत हैं? ये उनकी तरफ़ से 2-3 बार हुआ था। वही हर बार की बाहर चलेंगे वाली बात…यहाँ ठीक नहीं हैं.. कोई देखेगा…पता नहीं क्या सोचेगा… फिर वही वाली बात… कोई क्यों सोचेगा? और अगर सोच भी लिया तो इट इज हिज /हर प्रॉब्लम… अरे, भाई दो मैच्योर लोग बात ही तो कर रहे..क्या होगा फिर? देखने वाले भी समझदार हैं. .और हम? व्हाट वी आर डूइंग रॉंग? वॉकिंग ही तो कर रहे हैं भाई? बात ही तो कर रहे हैं…
लेकिन मेरे लिए यह एक झटका था …
दो लोग जिनकी वेव लेंथ मैच होती हैं…फ्रीक्वेंसी मिलती हैं…वे दोनों बात करने लगते हैं… बार बार फ़ोन होने लगते हैं…
फिर इतने दिन यह किस तरह की बात हो रही थी? वह क्या था?
फेस लेस? नहीं…नहीं…डुअल फेस....दिन के उजाले में एक अलग इमेज़ वाला फेस और शाम को अलग इमेज वाला एक अलग फेस…अपनी इमेज़ की चिंता करता हुआ एक फेस…उसके लिए वे दोनों मुख़्तलिफ़ फेस हैं…
लेकिन…लेकिन…लेकिन…
यह डुअल फ़ेस वाले लोग जिन्हें अपनी सो कॉल्ड इमेज की चिंता कुछ ज़्यादा होतीं हैं… क्या कहे ऐसे लोगों को? ऐसे लोगों से कोई रिलेशन रखना चाहिए या उस रिलेशन को फ़ौरन डिस्कंटीन्यू कर लेना चाहिए?
ऐसे में हेलो…और उसके बाद की गयी बातें… इसतरह के कन्वर्सेशन से क्या आप किसी को जान सकते हैं...? एक बार मिलने भर से क्या किसी को जान सकते हैं...?
क्या यह फ्रेंडशिप हैं? आय थिंक इट इज नॉट…and here you are being used…क्योंकि यह फेस लेस या डुअल फेस वाला शख़्स यही सब तो करेगा… use and throw…
आपका क्या ख्याल हैं?