मैगी
मैगी
बस दो मिनिट और मैगी तैयार !!!
दादी पोते से पूछती हैं इसमें और क्या चाहिए? भाई दीदी से पूछता हैं…और माँ एक प्यारी सी मुस्कान लिए कीचेन में आती हैं…आपके सामने मैगी बनती हैं…मैगी बनने के बाद पापा भी आते हैं और नज़र आती हैं एक आश्वस्त फ़ैमिली …यमी कहते हुए मैगी का आनंद ले रहा दादी के साथ पूरा खुशहाल परिवार…
क्या इस विज्ञापन में कोई भी बात हिडन हैं?
कुछ भी तो नहीं…
क्योंकि सब कुछ आपके सामने हैं। इवन दीदी भी आपके सामने फ्रिज खोलकर मटर और गाजर निकालती हैं…
लेकिन क्या हमने कुछ नोटिस किया हैं ?कैसे इस अदनी सी मैगी ने घर का पूरा कल्चर बदल दिया हैं…अगर पराठों का ब्रेकफास्ट, पोहा,बेसन के चीलें बनने में देर हैं तो मैगी तो हैं ना?
"माँ, कुछ बना कर दो…" वाली मनुहार और माँ के डाँटते हुए की बस तुम्हें कुछ न कुछ खाने को चाहिए वाली आवाज़ में वह प्यार भरी नज़र……
सब चीज़े कैसे बदल गयी या फिर ख़त्म हो गयी…इसका पता तो अब चलता हैं जब बिना माँ को बताएँ बेटा किचन में जाकर मैगी बनाता हैं झट से… सब कुछ इंस्टेंट…
न्यूट्रीशन वगैरा सब अफ़वाह हैं…बस दो मिनिट…मैगी…मैगी…मैगी…
