यह कैसा रिश्ता?
यह कैसा रिश्ता?
रिश्ते प्यार के कमल धागे से बंधा एक ऐसा पवित्र बंधन है जिसमें हम बंद कर सात जन्मों का साथ रहने का वादा कर लेते हैं। और हमारा प्यार कई पीढ़ियों तक जुड़ा रहता है यह होते हैं प्यार के बंधन।
मयंक जो कि माता-पिता का इकलौता बेटा है। उनके पिताजी सुरेश जो कि अध्यापक हैं मयंक ने MBA किया और एक बड़ी कंपनी में अच्छी पगार पर नौकरी लग गई। सुरेश ने मयंक की शादी एक सुशील और पढ़ी-लिखी लड़की प्रीति से करा दी। शादी के कुछ महीनों बाद ही घर में मनमुटाव होने लगा। प्रीति और मयंक मां सुमित्रा के आए दिन झगड़े होने लगे। मयंक भी इस बात से बहुत ज्यादा परेशान रहने लगा और वह अपने जीवन को नरक मानने लगा। वह इस बात से इतना परेशान हो गया था कि वह जीना नहीं चाहता था।
एक दिन परिवार को लेकर मयंक और प्रीति के बीच में झगड़ा हो गया। मयंक ने प्रीति को थप्पड़ जड़ दिया। प्रीति ने तुरंत अपने पिताजी को फोन कर बुलाया। प्रीति का पिताजी आया बहुत सी कहासुनी हुई सुरेश जो कि मूकदर्शक बनकर सब कुछ देख रहा था और सुन रहा था। प्रीति अपने पिताजी के साथ अपने गांव चली गई।
प्रीति ने फैसला कर लिया कि मयंक के साथ नहीं रहना। प्रीति ने मयंक को तलाक के लिए कह दिया मयंक इस बात से बहुत दुखी हुआ। इतनी सी बात पर तलाक।
फिर ये रिश्ता कैसा?
कोर्ट में तलाक के कागज पेश किए गए। मयंक दस्तक करते समय सोच रहा था कि क्या यही सात फेरों के सात किसमें थी और सात जन्म साथ रहने का वादा। क्या इतनी सी गलती भी सहन नहीं कर पाई फिर क्या रिश्ता। आज वह सोने की अंगूठी जज की मेज पर कांच के टुकड़े की तरह टूट कर बिखर गई।
रिश्तो को चलाने के लिए हमें अपनों का ख्याल रखना होता है। यदि यह बात प्रीति जान लेती तो ऐसा नहीं होता। इसलिए हमें समझना होगा कि रिश्तों का एक पवित्र बंधन है। इसमें यदि हमसे थोड़ी सी गलती हो जाए तो हमें सहन करना चाहिए। क्योंकि यदि एक बार टूट जाता है तो जीवन में दोबारा नहीं जुड़ता है और जुड़ता है तो उसमें गांठ पड़ जाती है।