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सेफ हाउस

सेफ हाउस

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आज बदलते परिवेश में परिवर्तन बहुत तेजी से हो रहा है आज रहन-सहन खान-पान का ढंग बदल रहा है और समाज में लव मैरिज का दौर बहुत तेजी से बढ़ रहा है। वह खानदान , रिश्ते नाते सब को भूल जाते हैं और लव मैरिज कर लेते हैं। देश समाज की मान्यताओं से दूर हट कर यह कदम उठाते हैं। 

कानून के समक्ष शादी कर लेते हैं और फिर मांगते हैं सुरक्षा। सुरक्षा के नाम पर उनको मिलता है सेफ हाउस। यही कहानी हुई थी रितेश और प्रियांशी के साथ।

 रितेश और प्रियांशी दोनों एक ही गांव के रहने वाले हैं और पास के शहर के कॉलेज में पढ़ते हैं। अक्सर दोनों साथ आते जाते हैं ,एक दूसरे की सहायता भी करते हैं। रितेश 20 साल का 6 फुटा लंबा, हैंडसम लड़का है। हितेश तेज- तर्रार, हर कार्य में भाग लेने वाला। चेहरे से उसके भोलापन झलकता है। 

 परंतु कहते हैं प्यार किसी के वश की बात नहीं है। प्यार हमें सब कुछ भुला देता है आस-पड़ोस , यारी रिश्तेदारी, जात -पात, हम प्यार में अंधे हो जाते हैं और यह कदम उठा लेते हैं। यही हाल हुआ था रितेश के साथ। 

 रितेश और प्रियांशी एक दूसरे से प्यार करने लगे थे दोनों एक गांव के होने की वजह से हर कोई उसका विरोध करता था क्योंकि यह समाज की मान्यताओं मैं नहीं था कि एक ही गांव के लड़का लड़की शादी करें। 

 प्रियांशी की जैसे ही कॉलेज की पढ़ाई पूरी हुई प्रियांशी के घरवाले उसके रिश्ते की बात करने लगे परंतु प्रियांशी को तो रितेश के साथ रहना था। उसने सारी बात रितेश को बताइए और दोनों ने घर से भाग कर शादी करने का प्लान बना लिया। 

  रात के साए में परिवार के सभी लोग गहरी नींद में सो रहे थे। पेड़ के पत्तों की हिलने की आवाज आ रही थी, अंधेरी रात में प्रियांशी घर से बाहर आई। 

 कभी भी प्रियांशी सूर्यास्त के बाद घर से बाहर नहीं निकली थी। आज उस अंधेरी रात में अकेली चल दी, बस उसे अपना प्यार नजर आ रहा था। 

आगे रितेश मिल गया और चल दिए, अपने वादों और कसमों को निभाने के लिए। 

 सुबह यह बात गांव में बिजली की तरह फैल गई। हर कोई तरह-तरह की बात बना रहे थे। प्रियांशी के पिताजी ने जब यह बात सुनी तो उसे गहरा सदमा लगा। पर क्या कर सकता था? 

 उधर सुबह कोर्ट खुलते ही रितेश और प्रियांशी ने एक वकील के माध्यम से लव मैरिज की अर्जी लगवा दी और समस्या थी की शादी नहीं हो सकती थी क्योंकि अभी रितेश 21 साल का नहीं हुआ था अभी 3 महीने कम थे। 

 उन दोनों ने जज के सामने अपनी जान का खतरा बताया। जज महोदय ने उन्हें सेफ हाउस में भेजने की अनुमति दे दी।

 सेफ हाउस का नाम सुनकर दोनों खुश हुए और सोचने लगे कि 3 महीने तक सेफहाउस में आराम से रहेंगे फिर अपना घर बसा लेंगे। 

 उनको सेफ हाउस ले जाया गया वहां जाकर देखा तो जो सोचा था उससे बिल्कुल अलग। नाम तो सेफहाउस था पर उसे अनसेफ कहे तो कोई बड़ी बात नहीं होगी। गेट पर एक 50 साल से ज्यादा उम्र का पुलिस वाला जिसके शरीर में केवल वर्दी दिखती थी , वह उनकी सुरक्षा के लिए लगाया हुआ था।

 अंदर जाकर देखा तो एक बड़ा हॉल जिसमें 10 से 15 कपल पहले ही रह रहे थे, वह भी अपने समय का इंतजार कर रहे थे। एक अटैच बाथरूम जिसका दरवाजा भी टूटा हुआ। हवा के नाम पर केवल पंखे टंगे थे, लाइट के नाम पर एक बल्ब लटका हुआ था , जिससे नाममात्र की रोशनी आती थी। 

 इसको देखकर प्रियांशी ने कहा हम यहां नहीं रह सकते पुलिस ने उन्हें धमकाया और वहां छोड़ कर आ गए। प्रियांशी के लिए पल-पल भारी था। जिसने मौज मस्ती में दिन गुजारे हो वह ऐसे हालात में कैसे रह सकती हैं। पर अब कोई चारा भी नहीं था।

 उस सेफ हाउस में ऐसा ही संसार बसा हुआ था जो प्यार में चांद पर जाना चाहते थे परंतु सेफ हाउस में आकर अच्छे अच्छों की खुमारी उतर जाती थी। 

 सेफ हाउस में रहना मजबूरी हो गया। जब तक रितेश 21 वर्ष का ना हो जाए तब तक वहां ही रहना होगा। 

वहां पर लगभग 15 जोड़े थे एक कमरा एक बाथरूम हम समझ सकते हैं कैसे रहते होंगे। सरकार से सुविधाओं के नाम पर दुविधा ही मिलती है। प्रियांशी को सब समझ में आ गया पर अब क्या कर सकती थी। 

 हमें यह कदम सोच-समझकर उठाने चाहिए क्योंकि समाज की कुछ मान्यताएं हमें बंधन में तो बांधती है परंतु हमारे संस्कारों में उसे हमें परिपूर्ण करती हैं।


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