niranjan niranjan

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दादी मां

दादी मां

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आज बदलते परिवेश में एकल परिवारों को बढ़ावा मिल रहा है। इससे वृद्ध लोगों का जीवन संकट में है ।आज वृद्धाश्रम में वृद्धों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी है। वृद्ध लोग जो अपने अरमान रखते हैं, परिवार के साथ रहने का वह आज टूटने लगे हैं। 

 रवि अपनी मां के इकलौती संतान हैं। मां-बाप ने उस पर अपना खूब प्यार लुटाया । पढ़ाया लिखाया और अच्छी नौकरी लगाया। एक पढ़ी-लिखी लड़की से उसका रिश्ता तय हो गया और वह लड़की भी किसी मल्टीप्लेक्स कंपनी में जॉब करने लगी। अब रवि को लेकर रवि के माता-पिता निश्चिंत है। कुछ समय बाद ही रवि के पिता का देहांत हो गया। अब रवि के परिवार में रवि की माता, उसकी पत्नी और एक 4 वर्ष का लड़का था। 

 रवि की मां और उसकी पत्नी में अक्सर अनबन सी रहती थी अभी की पत्नी को उसकी मां एक नजर भी नहीं सुहाती थी। वह उसकी मां से दूर रहना चाहती थी। उसने रवि से लड़ाई कर कर उसकी मां को वृद्ध आश्रम भिजवा दिया। वहां उसका बिल्कुल भी मन नहीं लगता था । उसको पोते की बहुत याद आती थी पर अब क्या कर सकती थी? क्योंकि पूरा दिन उसको खिलाने में ही बीत जाता था अब तो हर पल सालों जैसा लगता है।

 जब उसको उसकी दादी नजर नहीं आई वह दादी के लिए वह खूब रोया परंतु मम्मी के डर के कारण वह कुछ नहीं कर सकता था। रवि भी अपनी मां से दूर होकर परेशान रहता था पर क्या कर सकता था? उसको अपना घर चलाना था। 

 जब दोनों ऑफिस चले जाते थे तो बच्चे की देखभाल के लिए उन्होंने एक आया( दाई मां) रख ली । 

 वह बच्चे को केवल घर के अंदर ही रखती थी। टीवी और मोबाइल बच्चे की दिनचर्या के हिस्से बन गए थे। बच्चा पूरे पूरे दिन मोबाइल में व्यस्त रहने लगा यहां तक कि वह खुद को भी भूल चुका था ना तो उसको खाना खाता था और नहीं पेशाब जाता था किसी के कहने पर वह कर लेता था। मोबाइल पर आने वाली हर छोटी छोटी poem उसको याद थी क्योंकि उसका पूरा दिन ऐसे ही गुजरता था। 

 एक दिन मां ने देखा कि बच्चे में बहुत से बदलाव थे। ना तो खुद खाता था बिना कहे ना पेशाब जाता था। यहां तक की वह घर के सदस्यों को भी भूल गया था। किसी वस्तु को लाने और ले जाने की याददाश्त भी कमजोर होने लगी थी। ना हंसता था ना रोता था बस केवल वह मोबाइल के ही साथ रहता था। 

 1 दिन उसकी मां उसे डॉक्टर के पास ले गई डॉक्टर ने उसकी जांच की और जांच करने पर बताया कि वह वर्चुअल ऑटिज्म का शिकार हो गया है। डॉक्टर ने मां को बच्चे के साथ रहने की सलाह दी। अब मां अपने बच्चे के साथ खिलौने से खेलती उससे दुलार करती और उसकी हर छोटी-छोटी बातों का ख्याल रखती थी। मोबाइल को उसकी लाइफ से अलग कर दिया था। डॉक्टर की सलाह के लगभग 10 दिन बाद जब बच्चे ने उसको मां कहकर बुलाया तो वह सीने से लगा कर जोर जोर से रोने लगी। उसे अपनी गलती का एहसास हुआ। 

 वृद्ध आश्रम गई और अपनी सास से अपनी गलती की सजा मांगने लगी उसे गलती का एहसास हो गया। जैसे ही वे अपनी सास को घर लेकर आई बच्चा दादी मां के पास गया और भेज जोर से चिल्लाया “ दादी मां कहां थी तू....... "

 इस दृश्य को देखकर सभी की आंखों में आंसू थे।


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