Neha Bindal

Abstract Inspirational

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Neha Bindal

Abstract Inspirational

वो बिल्ली का बच्चा

वो बिल्ली का बच्चा

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हम छत पर कपड़े पसारने गए तो देखा हमारे घर की अर्धनिर्मित दूसरी मंजिल से किसी बिल्ली के रोने की बहुत धीमी आवाज़ आ रही थी। हमारे कदम अनायास ही उस दिशा में बढ़ गए। उबड़ खाबड़ ज़मीन से होती हुए हम जब उस आवाज़ तक पहुंचे तो देखा बमुश्किल एक फुट का बिल्ली का सफेद भूरा बच्चा कोने में पड़ी ईंट के पीछे मिमिया रहा था। चारो ओर गौर से देखा लेकिन कोई नज़र आया, न बिल्ली, न कोई और बच्चा!

उसे मिमियाते देख हमारा हृदय द्रवित हो गया। 'शायद भूखा हो' हमने मन मे सोचा और उल्टे पांव कटोरी में दूध लाने चल पड़े।

नीचे पहुंच एक प्लैन चौड़ी कटोरी में उसके लिए हल्का गुनगुना दूध लिया और डरते हुए उसके सामने रख दिया। चार पलो तक देखते रहे, अब पियेगा, तब पियेगा! लेकिन वो उस कटोरी तक आता और उसे देख वापिस चला जाता। हमे कुछ समझ नही आ रहा था कि क्या करे?

हमने कुछ सोचकर अपने देवर लाला को आवाज़ लगाई। वो नीचे से ऊपर आये तो नज़ारा देख सब कुछ समझ गए। वापिस गए और नीचे से एक ड्रॉपर लेकर आये , और उससे उस बच्चे को दूध पिलाया।

दूध पीकर वो शांत हो गया और हम लोग नीचे आ गए।

हम नीचे आकर काम मे लग गए लेकिन हमारा मन उसी में रम गया। हमारे जीवन मे एक अदद बच्चे के लिए तरसते हम न जाने कैसा जुड़ाव उस बच्चे से महसूस कर बैठे!

जितनी देर देवर लाला घर मे रहे, उतनी देर सब ठीक रहा। वो थोड़ी थोड़ी देर में उसे जाकर दूध पिला आते।

हमने उसके लिए ऊपर पड़े खाली शीशे के aquarium में कपड़ा और छोटा सा गद्दा लगा दिया। जैसा कि मानवीय स्वभाव है, हम हमेशा सभी जीवों को अपनी तरह आधुनिक सुविधाओं का मोहताज मानते है।

खैर बिस्तर लगा कर उसे उसमे रखकर हम नीचे आ गए थे।

थोड़ी देर में देवर लाला भी काम के लिए निकल गए। अब पूरे घर मे केवल हम ही रह गए।

सारा काम निबटा कर जब हम फारिग हुए तो फिर उस बच्चे की आवाज़ सुनाई दी। हमारे हाथ पैर फूल गए। अब उसको दूध कैसे पिलायें?

दरसअल, हमे नवजात बच्चो ( इंसान के हो या जानवरो के) को छूने में बहुत डर लगता है। हमने सोचा कि कोशिश करते है, क्या पता कटोरी से पी ले! एक डर ये भी सता रहा था कि कही से उसकी माँ आ गयी और हमे उसके साथ देख लिया तो कहीं हम पर ही झपट्टा न मार दे।

वो बच्चा, लगातार मिमिया रहा था, डरी सहमें से हम ऊपर पहुंच गये, बहुत कोशिश की कि पी ले वो खुद से दूध, लेकिन नही! वो भी ज़िद्दी था, हमारा डर दूर करने आया था शायद।

हाथों को भींचते हुए हमने उस रुई के फाये से कोमल बच्चे को अपने हाथ मे लिया। हमारे अंगूठे पर जब उसने अपनी गर्दन टिकाई तो न जाने कैसी मातृत्व की गुदगुदी हुई हमे! हमने बहुत ध्यान और प्यार से उसे दूध पिलाया और उसका स्पर्श अपने हृदय पर लेकर नीचे आ गए।

थोड़ी देर बाद, जब हम बाहर चौक में आये तो देखा महाशय नीचे उतर आये है। अपने ऊपर बहुत गुस्सा आया, कि ऐसी लापरवाही कैसे कर दी, उसे बाहर छोड़ आये लेकिन फिर याद आया, अरे, बिठा कर तो आये थे aquarium में ही, ये नीचे कैसे आ गया!

सीढ़ियों से गिर जाता तो! हमारे मन मे डर समा गया। हमने उसे दोबारा ऊपर नही छोड़ा। नीचे वाले कमरे में उसे छोड़ दिया। शाम तक वो ज़रा सा बच्चा सारे घर मे धमा चौकड़ी मचा रहा था। अपने मन मे बोले," बेटू, दूध तो आपसे खुद से पिया नही जा रहा था, शैतानी करने की ताकत कहाँ से आ गयी आपमे?"

खैर, पूरा दिन हम उसके साथ यहाँ वहाँ दौड़े! कभी जीने के नीचे छुप जाता, कभी बाथरूम में घुस जाता। सारा दिन थकावट के कारण हमारी हालात खराब हो गयी।

अपने जीवन मे पहली बार एक बच्चे के पीछे भागने का सुख महसूस किया हमने और अपने जीवन की कमी को फिर से उजागर कर बैठे!

दो दिन तक उस बच्चे ने हमारे घर मे सबका मन मोहा! सब उसके आगे पीछे घूम खुद को भाग्यशाली महसूस कर रहे थे। हमारे सूने जीवन मे उसने उन दिनों में बहार ला दी थी।

दूसरे दिन की शाम को बाहर आंगन में खेलते उस बच्चे को उसकी माँ आकर ले गयी। हमारी आंखों के सामने वो हमसे दूर हो गया। हम उसे रोक नही सके, मन कह रहा था,"भगा दे इस बिल्ली को, ये अब तेरा है," लेकिन दूसरा मन बोला, ' तेरे बच्चे को कोई तेरे से अलग कर दे तो?"

हम चुपचाप बस उसे खुद से दूर जाते देखते रहे!

कितने ही दिन हमे कुछ अच्छा नही लगा! हमारा जीवन एक बार फिर सूना हो गया। अब फिर घर मे मातम सी शांति पसर गयी थी, और अब हम फिर से अकेले रह गए थे।

जीवन है ये, कभी रुका है क्या? हमारे लिए भी नही रुका!

उसके जाने के 1 .5 महीने बाद हमे पता चला कि हम गर्भवती है। हमारे सूने जीवन मे एक बार फिर बहार आ गयी। आज सोचते है तो लगता है कि क्या वो हमारा लकी चार्म था? क्या वाकई हमारे अंदर मातृत्व भाव जगाने वाला वो ईश्वर की तरफ से संकेत था कि हमारे जीवन मे भी खुशियां दस्तक देने वाली है! क्या जाने क्या था वो? लेकिन हमारे मन के एक कोने को उसने अपना परमानेंट घर बना लिया जहाँ वो आज भी रहता है और जहाँ से उसकी भूरी काली आंखे आज भी झांकती है.....


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