बुरा वक़्त इंसान को कितना समझदार और संतोषी बना देता है। घर के अन्दर ज़रूरतों के बोझ से दबा एक आँसू ज़मी... बुरा वक़्त इंसान को कितना समझदार और संतोषी बना देता है। घर के अन्दर ज़रूरतों के बो...
सुधीर और रघु की दोस्ती की कहानी...। सुधीर और रघु की दोस्ती की कहानी...।
जहाँ वो आज भी रहता है और जहाँ से उसकी भूरी काली आंखें आज भी झांकती है..... जहाँ वो आज भी रहता है और जहाँ से उसकी भूरी काली आंखें आज भी झांकती है.....
मुझे इस समय का याद हीं नही दिलाएंगे अपने आपको पीछे होने का अहसास भी दिलाएँगे। मुझे इस समय का याद हीं नही दिलाएंगे अपने आपको पीछे होने का अहसास भी दिलाएँगे।
सोकर उठूं तो सामने घोंसले से मुझे तुम झाँकती हुई दिख जाओ। सोकर उठूं तो सामने घोंसले से मुझे तुम झाँकती हुई दिख जाओ।
वास्तविकता क्या है ? इसकी परिभाषा क्या है ? कौन है जो इसके नियमों को बनाता है ? ये सवाल मेरे जहन में... वास्तविकता क्या है ? इसकी परिभाषा क्या है ? कौन है जो इसके नियमों को बनाता है ? ...