STORYMIRROR

Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Action Inspirational

3  

Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Action Inspirational

विक्रम सा न्यायप्रिय रीतू

विक्रम सा न्यायप्रिय रीतू

8 mins
349

मेरे कक्षा में प्रवेश करन से पूर्व ही मेरी कक्षा की बड़ी ही प्यारी गुड़िया जैसी छात्रा सलोनी जो कक्षा-कक्ष के द्वार पर खड़ी होकर मेरी प्रतीक्षा कर रही थी मुझे देखते ही दौड़कर मेरे पास आ गई और बोली-"सर, मुझे आपसे एक बात कहनी है वह भी जिसे कोई और न सुन सके।"


सलोनी, जो हमारे कक्षा के शिक्षकों की ही नहीं बल्कि पूरे विद्यालय के शिक्षक शिक्षिकाओं की प्रिय छात्रा है। उसकी चेहरे और स्वभाव में इतनी दिव्यता है कि देखने वाले का चित्त स्वत: आकर्षित हो जाता है। उससे भी अधिक होती है उसकी दिलचस्प बातें जो मासूमियत से परिपूर्ण होती हैं। बातें भी तो वह बड़ी आत्मीयता के साथ घुल-मिल कर करती है जैसे वह बात करने वाले से पूरी तरह परिचित हो।


उसकी लंबाई कम है तो उसकी बात को सुनने के लिए मैं इतना नीचे झुक गया कि मेरे कान तक उसका चेहरा सामने आ सके। अब मैंने भी उससे फुसफुसाते हुए धीरे से कहा-"अब बोलो सलोनी बेटा, क्या कहना चाहती हो?"


"सर, रीतू हमारी कक्षा की इज्जत को मिट्टी में मिला रहा है। हम सब को आप इतना अच्छी तरह से कक्षा में ही समझा देते हैं और आपने हम सबको भी कह रखा है कि कुछ भी समस्या है तो हम में से कोई भी आपके पास स्टाफ रूम में आ सकता है। कोई भी आपको सीधे ऑडियो या वीडियो काॅल अथवा व्हाट्स ऐप संदेश के माध्यम से अपनी समस्या बता सकता है। यदि उस समय आप काॅल न रिसीव कर सके तो आप स्वयं ही काॅल करेंगे। आप फोन पर ही समस्या को हल करने की पूरी-पूरी पूरी कोशिश करेंगे। रितु तो दूसरे टीचर्स से नहीं बल्कि दूसरी कक्षा के बच्चों से भी पूछने पहुंच जाता है। दूसरी कक्षा के बच्चे भी उससे गणित के सवाल पूछने हमारी कक्षा में आ जाते हैं जैसे रितु कोई गणित का बहुत बड़ा टीचर हो। अपनी कक्षा की आकांक्षा के साथ बैठकर ड्राइंग वाले पीरियड में ड्राइंग का अभ्यास करने पहुंच जाता है। उसकी देखा- देखी कक्षा के दूसरी बच्चे भी एक दूसरे के स्टूडेंट और टीचर बनने लगे हैं।"- सलोनी ने सांस में अपने मन की बात कह डाली।


मैंने सीधे होते हुए सलोनी से कहा-"आओ ,चलकर अभी हम कक्षा में इसके बारे में कुछ बातचीत कर लेते हैं। इस तरह झुककर ज्यादा देर तक तुमसे बात करने में मेरी कमर ही दुखने लगेगी।"


ठीक है सर, कहते हुए उसने तेजी से कक्षा में अपनी सीट पर पहुंचते हुए मेरे आने की सूचना पूरी कक्षा को दे दी। कक्षा में पहुंचकर अभिवादन और उपस्थिति आदि की समस्त औपचारिकताएं पूरी कर मैंने कक्षा से बातचीत प्रारम्भ की।


"तुम सब लोगों का अध्ययन कार्य कैसा चल रहा है? कोई समस्या तो नहीं आ रही है?"-मैंने कक्षा के सभी विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए उनसे पूछा।


"सर, हमारे रितु भैया तो महाराज विक्रमादित्य की तरह बहुत अधिक परिश्रम करके हम सब की समस्याओं को सुलझाने में लगे रहते हैं और वे कक्षा के दूसरे साथियों को भी प्रेरित करते रहते हैं। हममें से ज्यादातर साथियों की कोशिश यही रहती है कि हम एक दूसरे की लगातार निस्वार्थ भाव से मदद करते रहें और जहां आवश्यकता हो तो अपनी कक्षा और दूसरी कक्षा के विद्यार्थियों के साथ भी सहयोग पूर्ण व्यवहार बनाए रखते हुए हम अपने अध्ययन कार्य को सुचारु रुप से संचालित करते रहते हैं। हम लोग कोई समस्या आने पर दूसरी कक्षा के अध्यापकों से भी अपनी जटिल समस्याओं को सुलझाने में मदद प्राप्त कर लेते हैं।"-बड़ी ही प्रसन्नता से परिपूर्ण भाव प्रदर्शित करते हुए आकांक्षा बोली।


जल संरक्षण अभियान से संबंधित सुंदर सी ड्राइंग दिखाते हुए रितु ने मुझसे कहा-"सर , मैंने आकांक्षा बहन से से ड्राइंग सीखकर उसका लगातार अभ्यास कर रहा हूं जिसका एक छोटा सा नमूना आपके सामने प्रस्तुत है।


बहुत ही सुंदर सी ड्राइंग शीट की सत्य प्रशंसा करते हुए मैंने रितु से कहा-"बड़ी सुंदर और प्रेरणादायक ड्राइंग है। अपने विद्यालय के अपने इस फ्लोर को हम सब ऐसी ही अधिकाधिक सुंदर ड्राइंग शीट्स बनाकर और प्रेरणादाई ड्रॉइंग शीट्स इत्यादि से सुसज्जित करते रहें।"


"हम सब लोग एक दूसरे से छोटे-छोटे ग्रुप बनाकर लगातार अभ्यास करते हैं। हम अपने द्वारा पढ़ी गई पुस्तकों को लेने और पढ़ने के बाद अभ्यास करने भली बात समझ में आ गई है।"-आकांक्षा ने अपने मन की बात कही।


"हम सभी लोगों को हमेशा ही एक दूसरे से बातचीत और व्यवहार आचरण में पूरी तरह संयम उत्कृष्ट शिष्टाचार युक्त व्यवहार करें जिससे कि हमारी सभी के साथ आत्मीयता बनी रहे अपने आचरण और व्यवहार में विद्यालय की प्रार्थना सभा में हैप्पीनेस वाली रजनी मैडम

हम सबको आजीवन प्रसन्न रहें का फार्मूला और अपनी विषम परिस्थितियों को अनुकूल बनाने में हम कितना योगदान कर सकते हैं इन्हें कल कूद भाव सहित सिखाती हैं और उनकी जीत का अर्थ भी यही है कि हम कुछ सीखें। हमने जो चीज रखी है और कोई भी साथी उसे सीखना चाहता है तो मेरा प्रयास रहता है कि मैं उसे ध्यान से 'स्टेप बाय स्टेप' सिखा सकूं। मैं अपनी इस कक्षा को विद्यालय की सर्वश्रेष्ठ कक्षा बनाने का सतत् प्रयास करता रहा हूं। हमारा पारस्परिक व्यवहार सदैव उत्कृष्ट रखना चाहिए। विद्यालय की प्रार्थना सभा में हम सब को ' गुड टच ' और 'बैड टच। ' के बारे में बताया जा चुका है हम अपना आचरण और व्यवहार इस प्रकार रखें कि कोई भी अशोभनीय व्यवहार कि कोई शिकायत न आए।"-मैंने पूरी कक्षा से कहा।


अरविंद ने मुझसे पूछा -" हम सब का आपस में व्यवहार कैसा होना चाहिए?"


मैंने कहा -"तुम सब लोग अभी छोटे बच्चे हो और सबसे ईमानदार और सरल व्यवहार छोटे बच्चों का ही होता है। हमारी कक्षा की एक नन्ही सी गुड़िया ने मुझे जानकारी दी कि कक्षा के कुछ बच्चों का व्यवहार थोड़ा आपत्तिजनक सा नजर आता है। हम सब यहां शिक्षा ग्रहण करने आते हैं। हमें एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए। अपने व्यवहार में सदैव शालीनता और विनम्रता बनाए रखनी चाहिए। रूखापन नहीं लाना चाहिए बल्कि इसमें प्रेम और त्याग का सर्वोच्च स्थान होना चाहिए। हम अपना व्यवहार सरल और निश्छल रखें। हमारे व्यवहार की सरलता और निशछलता सदैव ही बनी रहनी चाहिए।"


"सर 'हमारे व्यवहार में सरलता और निश्छलता इसी प्रकार समाहित रहनी चाहिए जिस प्रकार विक्रमादित्य की न्याय व्यवस्था।"-काफी देर से शांत रीतू बोला।


जिज्ञासा ने राजा विक्रमादित्य की कथा जानने की इच्छा जताते हुए कहा-"सर, रीतू कहिए कि हम सबको 'वीर विक्रमादित्य' की कहानी सुनाए।"


मैंने जब रीतू से वीर विक्रमादित्य की कहानी सुनाने को कहा तो वह सहर्ष तैयार हो गया और उसने यह कहानी कहनी शुरू की। विक्रमादित्य प्राचीन भारत के एक महान और आदर्श शासक थे। भारत के इतिहास में वे अपनी शक्ति, हिम्मत और विद्वत्ता पूर्ण नीतियों के लिए जाने जाते हैं। विक्रमादित्य शब्द दो शब्दों विक्रम और आदित्य से मिलकर बना है जनमें विक्रम का अर्थ है वीरता और आदित्य का अर्थ है सूर्य। इस प्रकार विक्रमादित्य शब्द का अर्थ है 'वीरता का सूर्य 'सचमुच उनकी न्याय प्रियता की जो कहानियां हमारे देश ही नहीं अनेक देशों में पढ़ी और् सुनी और सराही जाती हैं।भउनकी महानता और पराक्रम की एक सौ पचास से भी अधिक कहानियां हैं बेताल पच्चीसी की पच्चीस और सिंहासन बत्तीसी की बत्तीस कहानियां भी इनमें शामिल हैं इतिहासकारों के अनुसार वीर विक्रमादित्य की राजधानी उज्जैन थी। उनके बारे में भी विभिन्न मत मतांतर प्रचलित हैं। सबसे अधिक प्रसिद्ध परंपरा के अनुसार ईसा से 57 वर्ष पूर्व विक्रमादित्य ने शकों को पराजित करके प्रसिद्धि पाई तो इससे 57 वर्ष पहले से उनके नाम से काल की गणना प्रारंभ की गई जिसे विक्रम संवत का नाम दिया गया।


आकांक्षा ने यह जानना चाहा " यह बेताल पच्चीसी क्या है?"


रितु ने बताना प्रारंभ किया बेताल पच्चीसी पच्चीस कहानियों की एक श्रृंखला है एक योगी श्मशान में बैठा राजा विक्रमादित्य की प्रतीक्षा कर रहे हैं। राजा विक्रमादित्य को योगी के पास बेताल को पहुंचाना था। पेड़ पर बहुत बेताल लटके हुए थे। बेताल को ले जाते समय शर्त यह थी कि राजा विक्रमादित्य बेताल को पेड़ से उतारकर योगी तक पहुंचाएगा। इस बीच में यदि विक्रमादित्य ने यदि मौन भंग किया तो वेताल उससे छूट कर पुनः पेड़ पर पहुंच जाएगा। विक्रमादित्य बार-बार पेड़ से एक बेताल को उतार कर अपने कंधे पर लादकर श्मशान की ओर प्रस्थान करता। हर बेताल एक कहानी सुनाता और कहानी सुनाने के बाद वह उस कहानी से संबद्ध एक प्रश्न पूछता है कि क्या न्यायोचित है। बेताल यह प्रश्न विक्रम से पूछता है और उसकी शर्त यह होती है कि यदि विक्रम को प्रश्न का उत्तर नहीं आता तो वह प्रश्न का जवाब नहीं देगा लेकिन पूछे गए प्रश्न का न्यायोचित ढंग से उत्तर आते हुए भी विक्रम समस्या का समाधान न उचित ढंग से नहीं बताता तो उसके सिर के टुकड़े-टुकड़े हो जाएंगे। कहानी खत्म होने के बाद में न्याय की मांग के अनुसार बेताल जब राजा की राय मांगता है तो राजा संबंध कहानी से जुड़ा हुआ समाधान उन्हें बताता है और मौन भंग होते हुए बेताल फिर से उड़ता पेड़ पर पहुंच कर उलटा लटक जाता है। वह पच्चीस बार बेताल को उतारकर चला। इस क्रम में उसे पच्चीस कहानियां सुनाई गई। उसके बाद ही विक्रम बेताल को लेकर योगी के पास पहुंचता है इन बेतालों के द्वारा सुनाई गई कहानियों की श्रृंखला का नाम बेताल पच्चीसी है। इसी प्रकार सिंहासन की बत्तीस पुतलियों में एक पुतली एक कहानी सुनाती है, और राजा से प्रश्न करती है। इस प्रकार 32 पुतलियां 32 कहानियां सुनाती हैं। 32 कहानियों के इस संग्रह को 'सिंहासन बत्तीसी'; का नाम दिया गया है इसमें न्याय व्यवस्था से जुड़ी कहानियां हैं जो लगभग हर ,देश ,काल और समय के अनुसार लिखी गई हैं और यह कहानियां कालजयी कहानियां है अर्थात जिन पर उस समय का कोई प्रभाव नहीं पड़ता और ये सार्वभौमिक सत्य को अनवरत उजागर कर रही हैं


भारत के प्राचीन समय से ही एक से बढ़कर एक कहानियां, कविताएं और गीत -संगीत मनुष्य के जीवन में खुशहाली लाने और इन कहानियों सेआचरण ,व्यवहार निर्णय लेने की क्षमता आदि के द्वारा शिक्षा से जीवन को सुधारने की प्रेरणा मिलती हे। इसलिए हम सबको अपने स्वाध्याय में इस प्रकार के प्राचीन ग्रंथों का अध्ययन अवश्य शामिल करना चाहिए और उस पर अपनी प्रतिक्रिया भी देनी चाहिए। स्वाध्याय का अर्थ है अपने आप अध्ययन इसका अर्थ हमें कोई विद्यालय वाला या घर वाला दवा ना दे बल्कि हम अपनी सुविधानुसार कार्य करें लेकिन जब तक हम युवा रहते हैं हमारी आयु कम रहती है तो हम इस निर्णय के लिए अपने अभिभावकों पर निर्भर करते हैं यदि अध्यापक ने हमें आज्ञा दी तो हम उस कार्यक्रम में शामिल हो पाएंगे नहीं दी तो शामिल नहीं हो पाए इसलिए हमें इन सभी संस्कारों का और अपने बड़ों का सदैव ही सम्मान करना चाहिए। इसी प्रकार हमारे समाज और देश की उत्कृष्टता विश्व के पटल पर हल अंकित है।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract