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Priyanka Gupta

Abstract Inspirational Others

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Priyanka Gupta

Abstract Inspirational Others

वाटर प्यूरीफायर

वाटर प्यूरीफायर

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"अरे भाभी जी ,थोड़ा पानी पिला दो । ",सड़क की सफाई कर रही सफाईकर्मी ने कहा ।

"अपने साथ बोटल लाया करो । ",सुबह की व्यस्तता के बीच मैं ,कचरा डालने बाहर आयी थी । उसकी बात का जवाब बेरुखी से देते हुए मैंने कहा ।

"भाभी जी ,कल से बोटल ले आयेंगे । आज तो पानी पिला दीजिये । ",उसने अपनी जीभ अपने सूखे होंठों पर फेरते हुए बड़ी ही दयनीयता के साथ कहा।

न जाने क्या सोचकर ,मैं कुछ क्षण के लिए रुक गयी ;जबकि सुबह पता नहीं घड़ी को कौनसे पहिये लग जाते हैं ,जो घड़ी रूकती ही नहीं । किसी का फ़ोन भी आ जाए तो ऐसा महसूस होता है कि यह बम भी अभी ही फूटना था क्या ? दिल कहता है थोड़ा रुक जा। दिमाग कहता है ,रुकना मना है ,थकना मना है । बच्चे स्कूल और पति ऑफिस के लिए निकल जाए ,तब ही तुम रुक सकती हो। 

सफाईकर्मी पसीने से नहा रही थी शायद इसीलिए उसे इतनी प्यास लग रही थी । इस बार सूर्य देवता भी तो गज़ब मेहरबान हो रहे हैं । रात के बाद सुबह तो दिखना ही बंद हो गयी है ।

"रुक,अभी तुम्हारे लिए पानी लाती हूँ । ",मैं ऐसा कहकर अंदर आ गयी थी ;अभी और ज्यादा समय व्यर्थ करना मेरे लिए संभव नहीं था । अन्दर आते ही ,मेरी आँखें डिस्पोजेबल बोटल ढूँढने लगी ;दिमाग आँखों को हर सम्भव जगह दिखा रहा था ;जहाँ बोटल मिल सकती थी । तब ही दिल की आवाज़ ने कुछ क्षण के लिए आँखों को आराम दे दिया । नार्मल बोटल से ही पानी पिला दे ,वैसे भी प्लास्टिक की डिस्पोजेबल बोटल का इस्तेमाल सेहत के लिए सही नहीं है । दिमाग ने तुरंत दिल को लताड़ दिया ,"अरे आज मैं बोटल दे भी दूँगी तो और दिन तो यह प्लास्टिक का ही इस्तेमाल करती होगी । गर्म चाय तक तो प्लास्टिक की थैली में डालकर लाते हैं । "

दिमाग के आदेश पर आँखें फिर काम पर लग गयी थीं और परिश्रमी आँखें सफल हुई तथा इन्हें एक डिस्पोजेबल बोटल दिख ही गयी थी । मैंने बोटल उठाई और टंकी के पानी से फटाफट बोटल भरने लगी ;जबकि खुद हमेशा वाटर प्यूरीफायर का पानी पीती हूँ ।

"अरे भैया ,सड़क पर टॉफ़ी खाकर रैपर मत फेंको । ",बाहर आते हुए ,मेरे कानों में मेरी बेटी की आवाज़ टकराई ।

"इतनी गर्मी में सफाई करने वालों को कितनी प्रॉब्लम होती है । हमें कचरा कूड़ेदान में डालना चाहिए । हम गंदगी नहीं फैलाएंगे तो ,सफाईकर्मी को कम काम करना पड़ेगा । हमें हमेशा स्वच्छ वातावरण सुलभ करवाने वाले कर्मियों के लिए हम इतना तो कर ही सकते हैं । ",मेरी बेटी अपने बड़े भाई को कह रही थी । इतनी छोटी होकर ,वह समझदारी की बात कर रही थी ;सदाशयता दिखा रही थी ;इंसानियत की बात कर रही थी और मैं । मैं उलटे पैर किचन में लौट गयी थी । मैंने स्टील की बोटल हाथ में उठाई और वाटर प्यूरीफायर से भरने लगी ।जैसे मैं स्वयं पानी पीती हूँ ,वैसे ही मुझे किसी दूसरे को पिलाना चाहिए । 



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