मेरा परिवार
मेरा परिवार
"मैडम,आप आराम से समारोह में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाइये।घर पर सर की देखभाल मैं कर लूँगा ।",मैं आश्चर्य से अपने ड्राइवर की तरफ देख रही थी ।साहित्यिक समारोह में मुझे मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था।आयोजकों का आमंत्रण मेरे द्वारा स्वीकार कर लिया गया था । 15 दिन पहले जब आमंत्रण मिला था ,तब मेरी परिस्थिति अलग थी । तब कहाँ पता था कि सुमित बाथरूम में फिसल जाएँगे और उनके पैर में फ्रैक्चर हो जाएगा । मैं तो आयोजकों को मना भी करने वाली थी ।
लेकिन तब सुमित ने ही समझाया ,"नीलम ,अब उनके कार्ड्स भी छप गए हैं ,सब जगह तुम्हारा नाम भी चला गया होगा । वैसे भी २-3 घंटे की बात है चली जाओ । "
बेटे-बेटी दोनों विदेश में बस गए थे। बच्चों को जब उड़ना सिखा ही दिया तो फिर उनकी परवाज को क्यों रोकना ? मैंने और सुमित दोनों ने ही खुद को लेखन-पठन के कार्यों में डुबो दिया था।ड्राइवर ,बागबां , कुक ,घेरलू सहायिका आदि हमारी रोजमर्रा के कार्यों में मदद कर देते थे । हम भी उन्हें एक इंसान सा सम्मान और प्यार देते थे ।आज ड्राइवर की बातों से मेरी आँखें भर आयी थी,बस इतना ही कह सकी ,"इसीलिए तो सबसे कहती हूँ कि मेरा परिवार हमेशा मेरे साथ है । "
