गूगल मैप
गूगल मैप
"सिटी पैलेस सर्च करो गूगल मैप पर । ",उदयपुर घूमने आये टेक्नो फ्रेंडली साहिल ने अपनी पत्नी पिनाकी से कहा । साहिल को इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स खरीदने और उन्हें इस्तेमाल करने का बहुत ही शौक था । साहिल के विपरीत पिनाकी को गैजेट्स से कोफ़्त सी होती थी । सोशल मीडिया के युग में पिनाकी फ़ोन का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा बात करने या वाटस एप्प पर नज़दीकी दोस्तों और रिश्तेदारों से चैट करने में करती थी ।
"साहिल,आज हम रास्ते में लोगों से ही पूछते हैं ;जैसे गूगल मैप के आने से पहले पूछा करते थे । ",पिनाकी ने पुराना जमाना याद करते हुए कहा ।
"क्यों ? जब गूगल मैप है ,तब बार -बार गाड़ी रोककर लोगों से क्यों पूछना । हमारा और सामने वाले ,दोनों का टाइम वेस्ट होगा । "
"प्लीज -प्लीज । पूछते हैं न ....बड़ा मज़ा आएगा ।वैसे भी हम तो यहाँ छुट्टियाँ मनाने आये हैं।हमारे पास टाइम ही टाइम है । कुछ कहानियाँ मिलेगी और किसी भी शहर को जानने के लिए उसके लोगों को जानना जरूरी है । लोगों को जानने के लिए उनसे बात करना जरूरी है । "
"तुम और तुम्हारी बातें । तुम्हारे पास तो टाइम है है; दूसरे लोगों का क्या ?"
"जिसके पास टाइम नहीं होगा ,वह हमसे बात नहीं करेगा । क्यों इतना सोचना ?"
रास्ते में एक फलों का ठेला था । पिनाकी की बात मानते हुए साहिल ने उसके पास गाड़ी रोकी। फल बेचने वाला लड़का मोबाइल के साथ बिजी था । उसने एक नज़र उठाकर गाड़ी की तरफ देखा और दोबारा नज़रें मोबाइल पर गड़ा दी । उसे शायद अपने फल बेचने से भी ज्यादा जरूरी ,रील देखना लग रहा था ।साहिल ने पिनाकी की तरफ मुस्कुराकर देखा ,मानो कह रहा हो कि यह फलवाला भी टेक्नो फ्रेंडली है ।
सामान्यतया ,जब किसी ठेले के सामने गाड़ी रूकती है तो ठेलेवाला ग्राहक का स्वागत करता है ;अपने यहाँ बेचे जा रहे सामान की तारीफ़ में कशीदे काढ़ता है ताकि ग्राहक खाली हाथ न लौटे । लेकिन यहाँ पर ऐसा कुछ नहीं था ।
पिनाकी को उसकी घरेलू सहायिका मुस्कान ने एक बार बताया था कि आजकल तो अच्छी फोटो खींचने वाले मिल जाते हैं; जो हज़ार -पाँच सौ रूपये लेते हैं । उनकी बस्ती में अच्छी फोटो के लिए लड़के और लड़कियाँ 500 -500 रूपये तक देने के लिए तैयार भी रहते हैं। पिनाकी के पूछने पर कि अच्छी फोटो का क्या करते हैं ?उसने बताया था कि दीदी वो वाटस एप्प पर यूज़ करते हैं ।
उसकी बातें सुनकर पिनाकी दंग रह गयी थी । वैसे भी आजकल स्मार्ट फ़ोन तो हर हाथ में ही दिख जाता है ।मुस्कान भी तो उससे एक बार एडवांस लेकर गयी थी । उसने जब पूछा कि ऐसी क्या इमरजेंसी आ गयी है । तब उसके यह बोलने पर कि स्मार्ट फ़ोन लेना है ,वह दंग रह गयी थी । मोबाइल ने हमसे कितना कुछ छिन लिया है और हमें इसका एहसास तक नहीं है । अब धीरे -धीरे रिश्ते भी इसकी भेंट चढ़ने लगे हैं ।
"भैया ,सिटी पैलेस कहाँ है ?",पिनाकी ने ठेलेवाले लड़के से पूछा ।
"पता नहीं । ",उसने फ़ोन पर स नज़रें हटाए बिना जवाब दे दिया ।
"एक -दो लोगों से और पूछ लेते हैं । ",पिनाकी ने साहिल की सवालिया निगाहों को देखा -अनदेखा करते हुए कहा ।
थोड़ी हीदूर एक पान की दुकान थी । वहाँ पर 3 -4 लोग खड़े थे । साहिल ने वहाँ पर गाड़ी रोक दी । पिनाकी ने गाड़ी की खिड़की का शीशा नीचे करके वही सवाल पूछा ।
"आप सीधा जाकर ,पहले चौराहे से दाहिने मुड़ जाना और वहाँ किसी से पूछ लेना । "
"मोबाइल नहीं है क्या आपके पास?",किसी ने पूछा ।
"डाटा ख़त्म हो गया क्या ?"
"गूगल मैप पर सर्च कर लो । "
"क्या कर रही हो ?",साहिल ने पिनाकी के हाथ में मोबाइल देखकर पूछा ।
"गूगल मैप पर सिटी पैलेस की लोकेशन सेट कर रही हूँ । "
"क्यों ?"
"रास्ता बताने वाले और पूछने वाले दोनों ही गुजरे जमाने की बातें हो गयी हैं । ",पिनाकी ने शून्य में देखते हुए कहा ।
