कटी पतंग
कटी पतंग
"मैं यहाँ कैसे ?",शिवि ने हॉस्पिटल के बेड पर स्वयं को लेटा हुआ पाकर ,आँखें खोलते ही पूछा ।
"शिवि तू ठीक है न?"
"मम्मा ,मेरे दोस्त सब ठीक हैं न।"
"हाँ बेटा।"
"आंटी आपके लिए मम्मी ने खाना भेजा है ।",आनंद ने रूम में प्रवेश करते हुए कहा।
"आंटी,मैं नहीं कहता था कि शिवि को जल्दी ही होश आ जाएगा।"
शिवि आनंद को देखकर हैरान थी ।
"आंटी ने पिछले दो दिनों से एक भी निवाला मुँह में नहीं डाला।"
"आनंद ,समझ नहीं आता तेरे और तेरे मम्मी -पापा के एहसान कैसे चुकाएँगे ?"
"आंटी,एहसान कैसा?अब निकलता हूँ, पापा दुकान पर अकेले ही होंगे।"
"मम्मा ,यह दुकानदार यहाँ क्या कर रहा था ?"
शिवि और आनंद साथ ही पढ़ते थे। आनंद दुकान में अपने पापा के साथ जल्दी ही बैठने लग गया था। शिवि को आनंद और उसका पूरा परिवार गँवार लगता था।
"शिवि ,उस दिन आनंद ने तुम्हें दोस्तों के साथ शहर के बाहर की तरफ जाते हुए देख लिया था। बिना हेलमेट और तीव्र गति से चलती बाइक ने उसे कुछ गलत होने का अंदेशा दिया। उसने मुझे बताया। तुम्हारा पीछा करने लगा। तुम्हारी बाइक स्लिप हो गयी।तुम दोनों लोग बाइक से नीचे गिर गए। तुम्हारा सिर किसी पत्थर से टकराया। तुम्हारे सभी दोस्त शायद डर के मारे तुम्हें उस हालत में छोड़कर चले गए। आनंद ही तुम्हें हॉस्पिटल लाया।"
2 दिन पहले शिवि घर से दोस्तों के साथ घूमने-फिरने के लिए निकली थी । शिवि की मम्मी उस दिन भी उससे काफी सवाल पूछ रही थी और जल्दी लौट आने की हिदायतें दे रही थी । मम्मी के सवाल -जवाब सुनकर शिवि चिढ़ गयी थी और घर से बिन कुछ खाये-पिये गुस्से में निकल गयी थी ।
शिवि और उसके दोस्तों ने पहले मूवी देखी ,फिर वो लोग मॉल में घूमते रहे। भूख लगने पर ,वहीं उन्होंने बर्गर खा लिया था। इस बीच शिवि को कल्पना जी कई बार फ़ोन कर चुकी थी, मैसेज भी कर चुकी थी। शिवि ने न तो फ़ोन ही उठाया था और न ही मैसेज का जवाब दिया।
तब ही ग्रुप के हैंडसम हंक यश ने कहा कि ,"गाइज ,शहर के बाहर चलते हैं। सुनसान सड़क पर बाइक रेस लगाते हैं। हर बाइक पर एक ब्वॉय के साथ एक गर्ल बैठ जाना। "
"अरे वाह ,बहुत ही बढ़िया आईडिया है। बहुत मज़ा आएगा। ",ज्यादातर ने तालियाँ बजाकर इस विचार का समर्थन किया।
"मॉम का फ़ोन उठाऊँ या मैसेज ही कर देती हूँ।",शिवि अभी भी अपने मोबाइल के साथ ही उलझी हुई थी।
शिवि ने फ़ोन स्कूटी की डिग्गी में डाल दिया था और बाइक रेस के विचार का समर्थन कर दिया था । बाइक रेस के दौरान ही ,शिवि जिस बाइक पर बैठी थी ,उसका एक्सीडेंट हो गया था ।
"मम्मा सॉरी। ",उस दिन की घटनाएँ याद करते -करते शिवि की आँखों में आँसू आ गए थे ।
"शिवि, मम्मी -पापा हमेशा अपने बच्चों का भला ही चाहते हैं। हमारी पाबंदियाँ तुमको बाँधती नहीं है। जो पतंग डोर से बँधी रहती है ;वही आसमान की ऊँचाइयाँ छूती है।कटी पतंग तो कुछ समय बाद धूल फाँकती नज़र आती है।"
