Rashmi Trivedi

Abstract Thriller

4  

Rashmi Trivedi

Abstract Thriller

उस शाम की तूफ़ानी बारिश...

उस शाम की तूफ़ानी बारिश...

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अचानक ज़ोर से बज रहे अलार्म की आवाज़ से उसकी नींद खुली। अलार्म बंद करके उसने एक नज़र पूरे कमरे में घूमाते हुए खिड़की के बाहर देखा। बाहर तेज़ हवाओँ के साथ बारिश हो रही थी। पूरे घर की खिड़कियां हवा के कारण ज़ोर ज़ोर से टकरा रही थी। वह हड़बड़ाकर अपने बिस्तर से उठी। उठते हुए उसे अपने सिर में तेज़ दर्द महसूस हो रहा था, फिर भी वह उठी और एक एककर सारी खिड़कियाँ बंद करने लगी।

उसने घड़ी की ओर देखा, शाम के छः बज रहे थे, लेकिन बारिश और तूफ़ान के कारण बाहर और अंदर,हर तरफ़ अँधेरा छाया हुआ था।

वह सोचने लगी,"सुबह से यह बारिश रुक नही रही है और यह मेरा सिर दर्द।पूरा दिन बर्बाद कर दिया इस बारिश ने। चार बजे का अलार्म नजाने क्यूँ छः बजे बज रहा है??? मुझे तो छः बजे डॉक्टर नेहा के यहाँ जाना था।अब इतनी बारिश में कैसे जाऊँ मैं?? ओह.... और पता नही यह माया कहाँ चली गयी है?? माया...माया....???

पूरे घर का चक्कर लगा लिया, पर माया कहीं नही मिली।

"ओह... मेरा सिरदर्द... नजाने काम के वक़्त ही यह माया कहाँ चली जाती है?? अँधेरा भी तो इतना है, मुझे लाइट्स ऑन कर देनी चाहिए।"

अपने आप से बड़बड़ाते हुए वह लाइट्स की स्विच की तरफ़ बढ़ी। उसने बटन दबाया, लेकिन लाइट चालू नही हुई। उसने हड़बड़ाहट में सारी सारी बटनें दबा दी, फिर भी कुछ नही हुआ।

"उफ़्फ़। इस लाइट को भी अभी जाना था। अगर आज डॉक्टर नेहा से न मिली तो मेरा सिर फट जायेगा ज़रूर।।"

तभी अचानक उसे घर की डोरबेल सुनाई दी।

"अब इतनी बारिश में कौन आया होगा?? माया होगी ज़रूर।"

उसने दरवाज़ा खोलने से पहले दरवाज़े पर बने हुए पीपहोल से झाँककर देखा तो उसे एक हाथ नज़र आया, खून से सना हुआ हाथ।

वह डर गई, बहुत डर गई। उसने दरवाज़ा नही खोला, उधर से भी कोई आवाज़ नही आई दोबारा।

फिर भी वह बहुत डर गई थी। उसने भागकर अपना मोबाइल फोन ढूंढा। कॉल की लिस्ट में सबसे ऊपर उसकी देवयानी आँटी का नाम था। उसने उनको कॉल किया और जल्दी से अपने घर बुलाया। कुछ देर बाद उसे फिर डोरबेल सुनाई दी। उसने फिर पीपहोल से झाँका, देवयानी आँटी को देख उसने दरवाज़ा खोला।

दरवाज़ा खोलते ही तूफ़ानी बारिश का पानी घर के अंदर घुसने लगा। जैसे तैसे उसने और देवयानी आँटी ने दरवाज़ा बंद किया। उसने आँटी को उस ख़ून से सने हाथों के बारे में बताया, लेकिन आँटी का उसकी बातों की ओर ध्यान ही नही था।

आँटी कहने लगी, "कितनी सुहानी बारिश है ,है ना?? ऐसे में चाय-पकौड़े मिल जाये तो क्या कहना।"

आँटी की बात सुन वह उस तूफ़ानी बारिश की तरह उन पर बरस पड़ी, पर आँटी ने उसकी एक न सुनी और वह सीधे रसोईघर की ओर चली गयी।

आँटी का बर्ताव देख उसका सिरदर्द और बढ़ गया था। वह पागलों की तरह बड़बड़ाते हुए पूरे घर में घूम रही थी, "माया, ओह माया, कहाँ चली गयी तुम, मुझे छोड़कर।!"

बड़बड़ाते हुए वह फिर मेन दरवाज़े के पास के जाकर खड़ी हो गयी थी। तभी उसे एहसास हुआ, कोई बाहर से उसके घर का दरवाज़ा खोलने की कोशिश कर रहा है। अब तक तो डर उसपर पूरी तरह हावी हो चुका था, वह बस पसीने से तर-बतर काँपती हुई दरवाज़े को देखते रही।

तभी झटके से दरवाज़ा खुला, वह डॉक्टर नेहा थी।

डॉक्टर नेहा भागते हुए उसके पास आई और कहने लगी,"माया। माया, तुम ठीक तो हो न?? मैं कबसे तुम्हें कॉल कर रही थी। मुझे लगा ही था, कुछ गड़बड़ ज़रूर हुई है। क्या बात है??"

उसने डॉक्टर नेहा को पहचान लिया था। वह गिरने ही वाली थी, लेकिन डॉक्टर नेहा ने उसे थाम लिया था। वह कहने लगी,"नेहा, देखो न यह माया फिर मुझे अकेली छोड़ कही चली गयी है और वह देवयानी आँटी।वह तो मेरी बात ही नही सुन रही, अंदर किचन में पकौड़े बना रही है।!"

डॉक्टर नेहा ने उसे झकझोरते हुए कहा,"माया, माया होश में आओ। तुम ही माया हो। देवयानी आँटी को हम दो दिन पहले ही एयरपोर्ट पर छोड़ने गये थे। अब तक तो वह अमेरिका पहुँच भी गयी होगी।"

"मैं??? मैं माया हूँ ? ओह... मेरा सिर।यह सिरदर्द मेरी जान ले लेगा एक दिन।"

डॉक्टर नेहा ने माया को संभालते हुए कहा,"हाँ माया, तुम ही माया हो। तुम्हें याद है न, तुम्हारे सिर में एक बड़ा ट्यूमर है और तुम अक्सर कुछ चीज़ें भूल जाती हो, या सिर्फ़ उनकी कल्पना करती हो। डरो नही, कुछ नही हुआ है, बस वहम हुआ है तुम्हें।!"

माया कहने लगी,"हाँ, मुझे याद आया। मैं माया। मेरा सिरदर्द और ट्यूमर। मेरा वहम। तुम मेरी डॉक्टर हो न?? डॉक्टर नेहा?? प्लीज,मेरा जल्दी से ईलाज कर दो न नेहा।

डॉक्टर नेहा ने उसे गले लगाकर शांत किया और उसके कमरे में ले गई और कहा, "तुम बिल्कुल चिंता मत करो माया, जल्द ही तुम्हारा ऑपरेशन हो जायेगा और तुम बिल्कुल ठीक हो जाओगी।

उसके बाद उस शाम की तूफ़ानी बारिश माया को फिर कभी याद नही आई, लेकिन डॉक्टर नेहा आज तक उस शाम की तूफ़ानी बारिश को भूला नही पायी है....


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