Rashmi Trivedi

Romance Tragedy Inspirational

4  

Rashmi Trivedi

Romance Tragedy Inspirational

सरोगेसी - एक वरदान या श्राप??

सरोगेसी - एक वरदान या श्राप??

12 mins
392


पात्र परिचय


अनिता : २५ वर्षीय विवाहित स्त्री


अजय : अनिता का पति


डॉ. निर्मल : अजय के मित्र(एक गायनिक स्पेशलिस्ट)


सुचित्रा : एक अमीर औरत


अन्य पात्र : दो लड़कियां नर्स के रूप में.....


दृश्य पहला :


(एक साधारण सा घर। अनिता और अजय सोफ़े पर बैठे है। अनिता अख़बार पढ़ रही है। अजय मोबाइल में गेम खेल रहा है)


अनिता : (हाथ का अखबार सामने वाले टेबल पर गुस्से से पटकते हुए) एक भी अच्छा नौकरी का इश्तिहार नही है इसमें!! नौकरियों का तो अकाल पड़ गया है जैसे!!


अजय : हम्मम!!!


अनिता : क्या हम्म???? अजय, तुमने सुना भी मैं क्या कह रही हूँ??? बस दिन भर मोबाइल पर गेम खेलते रहते हो। तुम्हें कभी शर्म भी आती है या नहीं??? तुम्हारे लिए मैं अपने मम्मी-पापा, घर-बार सब कुछ छोड़कर आयी हूँ और तुम्हें अपनी जिम्मेदारियों का कोई एहसास ही नहीं है!!!!


अजय : (गुस्से में) क्या यार अनिता, तुम फिर अपना रोना लेकर बैठ गयी। मैं कोशिश कर तो रहा हूँ, मिल जाएगी कोई ना कोई नौकरी। इसमें इतना बड़ा तमाशा करने की क्या ज़रूरत है???


अनिता : यहाँ मेरी ज़िंदगी ही एक तमाशा बन कर रह गई है। क्या कोशिश कर रहे हो तुम?? दिन भर तो घर में पड़े रहते हो!!!


अजय : देखो अनु, अब फ़ालतू बात मत करो। ध्यान से सुनो, मेरा वो एक डॉक्टर दोस्त है ना, डॉ निर्मल, वो एक गायनिक प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। उससे मैंने बात की है। वो कह रहा था मेरे साथ साथ तुम्हारे लिए भी कोई काम देखेगा। उसने कल 11 बजे उसके क्लीनिक बुलाया है।


अनिता : (उत्साह से) अरे तो पहले क्यूँ नहीं बताया ??? मैं भी ना, ऐसे ही तुमसे उलझ पड़ी। मैं सुबह एकदम टाइम पर तैयार रहूँगी, फिर चलते है उनके क्लीनिक।


------------------------------------------------------


दृश्य दूसरा :


(हॉस्पिटल के कॉमन वार्ड जैसा दृश्य। तीन चार बेड बिछे हुए है, जिन पर कुछ महिलाएं मरीज़ लेटी हुई है। एक कोने में तीन कुर्सियाँ और टेबल लगी हुई है। अनिता और अजय प्रवेश करते है)


अजय : डॉ. साहब, नमस्ते!!


डॉ निर्मल : अरे अजय, आओ, आओ!!! अच्छा किया भाभी को भी ले आये। नमस्ते भाभी, मैं निर्मल। मुझे अपना देवर ही समझिए, आइये, इधर बैठिए।


( तीनों कुर्सियों पर बैठ जाते है)


अनिता : भाई साहब, वो अजय बता रहे थे कि आप किसी प्रोजेक्ट पर काम कर रहे है।


डॉ निर्मल : हाँ भाभी, आजकल उसी में में व्यस्त हूँ, बहुत काम है और यह काम बढ़ता ही जा रहा है। इसीलिए मैंने अजय से बात की थी।


अजय : भाई,  तो कुछ विस्तार में बताओ अनिता को, वो तो बहुत ही उत्साहित है।


डॉ निर्मल : हाँ, हाँ क्यूँ नहीं!!! आप दोनों ने सरोगेसी या सरोगेट मदर के बारे में तो सुना ही होगा, क्यूँ???


अनिता : (अजय की ओर देखते हुए) हाँ, थोड़ा कुछ सुना है इसके बारे में। साधारण भाषा में अगर कहना चाहे तो "किराए की कोख" कह सकते है।


डॉ निर्मल : बिल्कुल सही। आजकल हमारे देश में सरोगेसी करना आम बात हो गया है। इसकी कुछ वजहें ही है, जैसे कि कोई औरत शारीरिक अक्षमता के कारण बच्चे को जन्म नही दे सकती या फिर ऐसी महिलाएं जो अभिनेत्री या मॉडल है और अपने फिगर को खराब नहीं करना चाहती और बिज़नेस करनेवाली, कॉरपोरेट जगत से जुड़ी महिलाएं जिनके पास इन सब के लिए वक़्त नहीं होता है। ऐसे में यह सब लोग सरोगेट मदर का सहारा लेते है।


अनिता : वो ठीक है भाई साहब, लेकिन मैं अभी भी यह नहीं समझी की हमें क्या करना होगा???


डॉ निर्मल : बताता हूँ भाभी। क्या है कि आमतौर पर गरीब महिलाएं ही सरोगेसी के लिये सामने आती है। लेकिन कई लोगों के लिए स्टेटस भी मायने रखता है, वो लोग गरीब महिलाओं से पैदा हुए बच्चे को हीन भावना से देखते है। ऐसे केसेस में फिर वो लोग अच्छे खानदान की महिलाओं के सरोगेसी के लिए डिमांड करते है और इसके लिए वो पानी की तरह पैसा बहाते है।


अजय : फिर भी निर्मल, यह बताओ, अंदाज़न कितना पैसा मिल जाता होगा इसमें!??


डॉ निर्मल : चालीस से पचास लाख तक भी मिल जाता है।

(अजय और अनिता हैरानी से एक दूसरे की ओर देखते है)


अनिता : फिर भी, मैं तो अभी भी यह नहीं समझी की आप यह सब बातें हमसे क्यूँ कह रहे हो???


अजय : अरे पगली, वो तुम्हें सरोगेट मदर का ऑफर दे रहे है।


अनिता : (चौकते हुए) क्या????


डॉ निर्मल : हाँ भाभी, इसमें हर्ज ही क्या है?? मेरे पास पहले से ही एक दो केसेस है। उन केसेस में आपको सिर्फ सरोगेट करना होगा और इस काम के लिए मैं आपको एक बच्चे का बीस लाख देने को तैयार हूं।


अनिता : (बात सुनकर दंग रह जाती है और गुस्से से अजय से कहती है) अजय, तुम पहले से सब जानते थे ना की डॉ निर्मल हमसे क्या बात करना चाहते थे????


अजय : सोचो अनु, इसमें कोई बुराई नहीं है, यह तो पुण्य का काम है। दो-तीन केस में ही हमारी ज़िंदगी बदल जाएगी।


अनिता : तुम पागल हो गए हो क्या अजय??? तुमने मुझे समझ क्या रखा है?? मैं कोई बच्चा पैदा करनेवाली मशीन नहीं हूँ। किसी को अगर बच्चे की ज़रूरत है तो वो जाए किसी अनाथालय में, वहाँ कितने बच्चे भूख प्यास से मर रहे है। यह तो सरासर व्यापार है। तुम मुझे व्यापार की वस्तु बनाना चाहते हो??? तुम खुद तो कामचोरी कर रहे हो और साथ में मुझे इस व्यापार में धकेलना चाहते हो!!! मुझे शर्म आ रही है अपने आप पर की मैंने तुमसे प्यार किया!!!!


अजय : (अचानक चेहरे के हाव भाव बदलते हुए और चिल्लाते हुए), ए चुप कर, कितने दिनों से तेरी बकवास सुन रहा हूँ। बस प्यार, प्यार , नौकरी नौकरी!!!!! नाक में दम कर रखा है।


अनिता : (हैरान होकर) अजय, यह किस तरह बात कर रहे हो तुम मुझसे???


डॉ निर्मल : (क्रूर स्वर में) अब जब घी सीधी उंगली से ना निकले तो उंगली टेढ़ी करनी ही पड़ेगी। देखो, चुपचाप मान जाओ वरना हमारे पास और भी तरीके है मनाने के।


अनिता : अच्छा, तो आप दोनों ने मिलकर यह सब नाटक किया है और अब मेरे साथ सख्ती करोगे??? मैं अभी पुलिस को बुलाती हूँ!!! ( मोबाइल से कॉल करने की कोशिश करती है)


(डॉक्टर निर्मल अनिता का मोबाइल छीन लेता है और अजय को इशारा करता है। अजय अनिता को पकड़ लेता है)


डॉ निर्मल : (चिल्लाते हुए) नर्स, जल्दी से बेहोशी का इंजेक्शन दो। अब देखता हूँ कैसे करती है पुलिस को फ़ोन??? और तू क्या!! अब तेरे फरिश्ते भी बच्चे पैदा करने से मना नहीं कर सकते!!!!

यार अजय, इस बार तू यह किसे ले आया अपने जाल में फंसाकर???? पिछली वाली तो पैसों का नाम सुनकर ही मान गयी थी। बेचारी, तीन बच्चों के बाद ही आत्महत्या कर ली उसने, नहीं तो एक और बड़ा केस निपटा सकती थी।


( डॉक्टर निर्मल और अजय दोनों हँसने लगते है। उनका यह भयावह रूप देखकर अनिता डर जाती है और इंजेक्शन के असर से बेहोश हो जाती है)

------------------------------------------------------------------


दृश्य तीसरा :

(फिर से वही हॉस्पिटल के कॉमन वार्ड जैसा दृश्य। अनिता एक बेड पर बेहोश पड़ी है। पास ही में एक नर्स अपना कुछ काम कर रही है। तभी अनिता को होश आता है)


अनिता : ( एक झटके में उठने की कोशिश करती है) मैं....मैं कहाँ हूँ???


नर्स : तुम हॉस्पिटल में हो, अपने आप को ज्यादा तकलीफ मत दो, तुम कमज़ोर हो अभी। पूरे तीन दिन बाद होश में आई हो।


अनिता : क्या??? तीन दिन हो गये???

(तभी डॉ निर्मल और अजय आते है)


डॉ निर्मल : हाँ, पूरे तीन दिन हो गये और मुबारक हो, तुम्हारी सरोगेसी हो चुकी है। अब तुम यही इसी कमरे में रहोगी जब तक तुम्हारे पेट से बच्चा बाहर ना आ जाये।


अनिता : (अपने पेट को छूकर देखती है और रोने लगती है) क्या??? अजय, तुमने ऐसा क्यूँ किया मेरे साथ??? क्या मेरे प्यार में कोई कमी रह गयी थी??? प्लीज् मुझे यहाँ से घर ले चलो, तुम्हें यह बच्चा चाहिए ना?? ले लेना इसे भी। लेकिन मुझे घर ले चलो अजय, प्लीज!!!


अजय : (क्रूर हंसी के साथ)पागल समझा है क्या मुझे???


डॉ निर्मल : नर्स, इस पर कड़ी नजर रखो और बाहर से लॉक कर दो रूम को। बीच बीच मे चेक करते रहना और समय समय पर खाना देते रहना।

(अजय और डॉ निर्मल दोनों वहाँ से चले जाते है और नर्स भी रूम को लॉक करके चली जाती है)


अनिता : (अपने आप से) अपने मम्मी-पापा को दुख देने की और अजय जैसे कमीने इंसान से प्यार करने की इतनी बड़ी सजा क्यूँ मिल रही है मुझे??? अब मैं क्या करूँ भगवान??? कैसे निकलूँ यहाँ से???

-----------------------------------------------------------------


दृश्य चौथा :

(हॉस्पिटल का वही रूम जहाँ अनिता को रखा गया था। अनिता एक बेड पर बैठी है। अनाउंसर की आवाज़ आती है, "नौ महीने बाद")


अनिता : (अपने बढ़े हुए पेट पर हाथ फेरते हुए) समय भी कितनी तेज़ गति से बढ़ता है। देखो तो तुम्हारे बाहर आने का वक़्त भी आ गया। इस चार दीवारी में एक तुम ही तो हो जिससे मैं बात कर सकती हूँ। न जाने किसके अंश हो, पर हो तो मेरी कोख़ में ही ना!!! वो दो दरिंदे एक दिन आयेंगे और तुम्हें मुझसे छीन कर ले जाएंगे। नहीं, उन दोनों को मैं कामियाब नहीं होने दूँगी। मुझे जल्द ही कुछ सोचना पड़ेगा। पहले दो बार भी मैं अपनी भागने की कोशिश में विफल रही, लेकिन आज मुझे कुछ सोचना ही होगा!!!


(तभी एक नर्स खाना लेकर रूम में प्रवेश करती है)


नर्स : यह लो तुम्हारा खाना और खाने के बाद यह दवाई ले लेना।


अनिता : सिस्टर, आज सुबह से ही दिल बहुत घबरा रहा है। इस बंद कमरे में दम घुटने लगा है मेरा। प्लीज, थोड़ी देर के लिए मुझे बाहर जाने दो। ज्यादा दूर नहीं, बस इस रूम से बाहर!!???


नर्स : नहीं नहीं, अगर डॉक्टर साहब को पता चला तो वो मेरी जान ले लेंगे। चुपचाप खाना खाओ।


अनिता : मुझे नहीं खाना। ऐसी घुटन में भी भला कोई खा सकता है। इतना बड़ा पेट लेकर कैसे भाग जाऊँगी मैं??थोड़ी देर ताज़ी हवा की इजाजत दे दोगी तो तुम्हारा क्या जाएगा???


नर्स : (कुछ सोचकर) अच्छा चलो, लेकिन देखो कोई ऐसी हरकत मत करना जिससे मुझसे सख़्ती करनी पड़े।

अनिता : (खुश हो जाती है) ठीक है। तुम्हारा बहुत बहुत शुक्रिया।


(दोनों रूम से बाहर आती है, थोड़ी देर साथ साथ टहलती है। तभी नर्स के मोबाइल की घंटी बजती है। वो मोबाइल पर बात करते करते अनिता का हाथ छोड़ रूम में चली जाती है। अनिता आगे बढ़ती है। स्टेज पर एक कोने में लिफ्ट बनी है। वो बटन दबाती है और लिफ्ट में प्रवेश करती है। लिफ्ट में एक औरत पहले से ही मौजूद है)


अनिता : देखिए, मैं बहुत बड़ी मुसीबत में फंस गई हूं। प्लीज मेरी मदद कीजिये।


सुमित्रा : अरे, क्या हुआ?? क्या आपके पेट में दर्द शुरू हो गया है?? मैं अभी नर्स को बुलाती हूँ।


अनिता : (डरकर उसका हाथ पकड़ लेती है)नहीं, मैं बिल्कुल ठीक हूँ। बस मुझे इस हॉस्पिटल से निकलना है जल्दी, मैं बाकी बातें आपको बाद में बता दूँगी, बस अभी आप मेरी मदद कीजिये, प्लीज!!!


सुमित्रा : देखिए, मैं आपको जानती भी नहीं हूँ और ऐसी हालत में आपका हॉस्पिटल से जाना, मुझे नहीं लगता यह ठीक होगा।


अनिता : देखिए, मैं आपके पाँव पड़ती हूँ, मेरी मदद कीजिये। मुझ पर ना सही मेरे पेट में जो बच्चा है उसके खातिर ही सही!!! प्लीज!!!


सुमित्रा : (कुछ सोचकर) अच्छा ठीक है, नीचे मेरी गाड़ी है, मैं आपको अपने घर ले चलती हूँ। लेकिन कोई भी गड़बड़ हुई तो मैं पुलिस बुला लूंगी, ठीक है ना???


अनिता : (राहत की साँस लेते हुए) ठीक है, जल्दी चलिये!!!!


------------------------------------------------------------------


दृश्य पाँचवा :

(आलीशान घर का लिविंग रूम। सुमित्रा हाथ पकड़कर अनिता को सोफ़े पर बिठाती है और पानी का गिलास देती है)


अनिता : (पानी पीकर) आपका बहुत बहुत शुक्रिया। आपने मुझे आज उस नर्क से निकालकर बहुत बड़ा एहसान किया है। आप???


सुमित्रा : मैं सुमित्रा सेठी और आपका नाम???


अनिता : जी, मेरा नाम अनिता है। मैं नासिक की रहनेवाली हूँ। एक धोखेबाज ने मुझसे शादी का नाटक कर मुझे सरोगेसी के व्यापार में धकेल दिया और अब मेरी यह हालत हो गयी है।


सुमित्रा : (हैरान होकर) क्या?? इसका मतलब यह बच्चा आपका........????


अनिता : नहीं, यह मेरा बच्चा नहीं है। मैं इसकी सरोगेट मदर हूँ। जिस हॉस्पिटल में मैं आपसे मिली, पिछले नौ महीने से मैं वहाँ कैद थी। कई बार भागने की कोशिश की, लेकिन हर बार नाकामयाब हो जाती। आज अगर आप सही समय पर नही मिलती तो फिर से पकड़ी जाती। आपका बहुत बहुत आभार सुमित्रा जी!!!!


सुमित्रा : तुम मुझे सुमि कह सकती हो और मैं अगर तुम्हें अनु पुकारूँ तो तुम्हें कोई एतराज़ तो नहीं???

अनिता : अरे तुमने तो इस अनजान को पलभर में दोस्त बना लिया। लेकिन सुमि, तुम उस हॉस्पिटल में क्यूँ गयी थी??


सुमित्रा : (कुछ झिझकते हुए) वो...दरअसल कुछ ही दिनों पहले हमें पता चला कि मैं कभी माँ नही बन सकती। बच्चे की चाहत हमसे क्या क्या नहीं करवाती?? मेरी एक सहेली ने बताया था सरोगेसी से भी मैं माँ बनने का सुख प्राप्त कर सकती हूँ। उसी ने मुझे वहाँ का पता दिया था। आज मेरी पहली विजिट थी। मेरे पति तो बिज़नेस के काम से बाहर गए है। मैंने सोचा, जानकारी तो हासिल कर ही सकती हूँ, इसीलिए गयी थी।


अनिता : मुझे माफ़ करना सुमि, मैं तुम्हारा दर्द समझ सकती हूँ।


सुमित्रा : लेकिन ऐसे ज़बरदस्ती मुझे किसी से बच्चा नहीं चाहिए। मैंने तो सुना था, सरोगेसी तो उन लोगों के लिए वरदान है जो किसी कारणवश माँ-बाप नही बन सकते। लेकिन तुम्हारी यह हालत देखकर तो मुझे किसी वरदान सा नहीं बल्कि श्राप-सा लग रहा है।


अनिता : सही कहा सुमि तुमने, इंसान के लालच ने एक वरदान को भी श्राप में बदल दिया।


( तभी अनिता को लेबर पेन शुरू हो जाता है)

अनिता : लगता है मुझे फिर से हॉस्पिटल जाना पड़ेगा।

सुमित्रा : तुम बिल्कुल चिंता मत करो, मैं तुम्हे किसी दूसरे अच्छे हॉस्पिटल में ले जाती हूँ। ड्राइवर, जल्दी से गाड़ी निकालो!!!!

(सुमित्रा अनिता का हाथ पकड़े घर से बाहर चली जाती है)

------------------------------------------------------------------------

दृश्य छठा :


(किसी दूसरे हॉस्पिटल का रूम। अनिता एक बेड पर लेटी है। सुमित्रा हाथ में एक बच्ची को लेकर आती है)


सुमित्रा : अनु, देखो तो, कितनी प्यारी सी बच्ची को जन्म दिया है तुमने!!! सच में तुम्हारी बेटी बहुत ही सुंदर है।


अनिता : मेरी नहीं सुमि, तुम्हारी!!!!


सुमित्रा : क्या??? यह क्या कह रही हो??


अनिता : मैं सच कह रही हूँ सुमि, उस वक़्त अगर तुम मुझे नहीं बचाती तो पता नहीं मेरा क्या हाल होता। मैं एक बच्चा पैदा करने की मशीन बनकर ही रह जाती। मैं इस बच्ची को कुछ भी नहीं दे पाऊँगी, मगर तुम इसे माँ के प्यार के साथ साथ, पिता का नाम भी दे पाओगी। मेरी बात मान जाओ सुमि, इस बच्ची को अपना लो। इतना एक एहसान और कर दो अपनी सहेली पर।


सुमित्रा : (आँखों से आँसू पोंछते हुए) एहसान तो आज तुमने किया है मुझपर। मुझे माँ बनने का सौभाग्य देकर!!!!


(दोनों गले लग जाती है और पर्दा गिरता है)



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Romance