ख़ून का प्यासा साया...
ख़ून का प्यासा साया...
पहाड़ों में बसा एक छोटासा गांव था रामपुर। गांव से थोड़ी ही दूरी पर एक घना जंगल था,जिसे पार करने के बाद ही आसपास के गांवों में जाने का रास्ता था।
दिन के समय तो वह घना जंगल बेहद खूबसूरत दिखाई पड़ता था,लेकिन रात के अँधेरे में उतना ही खूंखार, डरावना और रहस्यमयी लगता था।
उस जंगल को लेकर कई कहानियां भी गांववालों ने सुन रखी थी। बुजुर्गों की बात माने तो वहाँ किसी काली शक्ति का वास था। कोई कहता उस जंगल में भूत रहते है,तो कोई कहता वहाँ प्रेतआत्मा भटकती है!!
इस बात का बहुत से लोग विश्वास नहीं भी करते थे!
अब हुआ यूँ कि एक दिन सुबह सुबह उसी जंगल में एक चरवाहे को एक आदमी की लाश मिली। जब सारे गांववालों को पता चला तो सब देखने के लिए वहाँ पहुँच गये। सबसे चौंकाने वाली बात तो यह थी कि उस आदमी के गर्दन पर बड़े बड़े दांतों के निशान थे और ऐसा मालूम होता था जैसे गर्दन से किसीने शरीर का सारा खून चूस लिया था!!
सभी अपना अपना तर्क देने लगे। किसी ने कहा,यह तो किसी बहुत भयानक जंगली जानवर का काम लगता है!! लेकिन गांववाले उसकी बात से सहमत नहीं थे। बुजुर्गों ने उस निशान को गौर से देखने के बाद कहा कि यह तो किसी खून की प्यासी चुड़ैल का काम है!!
इस घटना के बाद नतीज़ा यह हुआ कि अँधेरा होने के बाद जंगल की ओर कोई नहीं जाता था और यह बात भी आग की तरह फ़ैल गयी कि जो भी वहाँ रात में जायेगा वह कभी लौटकर नहीं आएगा!!
उसी गांव में चंदन और मंगल नाम के दो दोस्त रहते थे। दोनों दोस्त साथ में ही खेती-बाड़ी का काम करते थे और पास पास ही रहते थे।
एक दिन मंगल की माँ ने उससे कहा कि उसके लिए पासवाले गांव से एक अच्छा रिश्ता आया है। जब भी समय मिले अपने दोस्त चंदन के साथ जाकर लड़की के घरवालों से मिलकर आ जाए। बस फिर क्या था,एक अच्छा दिन देखकर मंगल और चंदन पास के गांव की ओर पैदल ही निकल पड़े।
दिन के उजाले में दोनों दोस्त अपने भविष्य की बातों में मगन जंगल से आसानी से गुज़र गए। फिर लड़की के घरवालों से मिलकर दोनों दोस्त अँधेरा होने से पहले ही अपने गांव की ओर बढ़ने लगे।
मंगल को लड़की बहुत पसंद आ गई थी तो वह पूरे रास्ते उसीकी बातें करते हुए धीमी गति से चलते जा रहा था।
चंदन ने मंगल को माँ की बात याद दिलाई की कैसे माँ ने उन्हें कहा था कि आते वक़्त कदमों में तेज़ी और मुँह पर ताला होना चाहिए!! आख़िर अँधेरा होने के पहले उन्हें गांव की सीमा में प्रवेश भी तो करना था!!
लेकिन आज शायद क़िस्मत उनके साथ नहीं थी,नजाने क्यूँ ऐसा लग रहा था कि आज हररोज़ के मुकाबले जल्दी ही अँधेरा हो गया था। अँधेरा होता देखा तो, दोनों ने उस बात को गंभीरता से लिया और तेज़ी से आगे बढ़ने लगे।
तभी अचानक उन्हें किसी महिला की चीख़ सुनाई दी। एक पल के लिए दोनों बर्फ़ की तरह अपनी जगह पर ही जम गए। थोड़ी देर के सन्नाटे के बाद फिर से एक दर्दनाक चीख़ से उनके शरीर में एक सिहरन से दौड़ा दी!! इस बार चीख़ के बाद एक महिला की आवाज़ भी सुनाई दी,"बचाओ, कोई तो मुझे बचाओ.."
मंगल ने पीछे मुड़कर देखा और वह जंगल की ओर जाने लगा। तभी चंदन ने उसका हाथ कसकर पकड़ लिया और उससे कहा,"कहाँ जा रहे हो??"
मंगल - तूने सुना नहीं, कोई मदद के लिए पुकार रहा है!
चंदन - मंगल, मेरी बात मान और चल यहाँ से। यह कोई छलावा भी हो सकता है। तू माँ की बात भूल गया??
मंगल - लेकिन अगर वाक़ई में कोई औरत मुसीबत में होगी तो ??
चंदन - तो उससे हमें क्या?? इस जंगल में अक्सर ऐसी आवाज़ें गूँजती है, उनके पीछे जाना ठीक नहीं!! चल, चल जल्दी यहाँ से!!
मंगल - तुझे जाना है तो जा यहाँ से डरपोक कहीं के! मैं तो उस औरत की मदद करने चला!!
ऐसा कहते हुए उसने चंदन का हाथ झटक दिया और वह जंगल के गहरे अँधेरे की ओर बढ़ गया। चंदन वही बूत बना खड़ा था। न ही वह मंगल को अकेले छोड़ना चाहता था और न ही जंगल में जाना चाहता था।
थोड़ी देर तक सब कुछ जैसे शांत सा हो गया। एक अजीबसा सन्नाटा चारों फैल गया। इधर चंदन की बैचेनी बढ़ती जा रही थी।
तभी अचानक मंगल की एक दर्दनाक चीख़ चंदन के कानों पर पड़ी। वह बिना सोचे समझे आवाज़ की ओर भागता चला गया,"मंगल, मंगल मेरे भाई???"
थोड़ी देर भागने के बाद वह अचानक से रुक गया। उसके ठीक सामने एक काला साया हवा में लहरा रहा था। उस साये का कोई ठोस चेहरा नहीं था, बस दो भयानक लाल आँखे और नुकीले दांतों वाला उसका मुँह नज़र आ रहा था। नीचे ज़मीन पर मंगल तड़पता हुआ पड़ा था और वह काला साया उसके ऊपर इधर से उधर मंडरा रहा था!!
चंदन ने दौड़कर मंगल के सिर को अपने गोद में ले लिया। मंगल की गर्दन से ख़ून बह रहा था। चंदन ने अपने गमछे से उसके गले की चोट को लपेट लिया। अपने मित्र की यह हालत देख चंदन का डर कोसों दूर भाग गया था। वह ग़ुस्से से आगबबूला हो गया। उसके सामने वह काला साया अब भी यूँ ही इधर से उधर मंडरा रहा था। चंदन जानता था की यह एक काली शक्ति है,जिसका सामना वह कर नहीं पायेगा,लेकिन अपने भाई जैसे मित्र की हालत देख वह अपने आपे से बाहर हो गया था। उसने धीरे से मंगल का सिर जमीन पर रखा, मंगल के शरीर में उस वक़्त कोई हलचल नहीं थी।
चंदन ने आगे बढ़कर उस काले साये से कहा,"ऐ निर्दयी, कौन है तू?? और क्यूँ मेरे दोस्त की ऐसी हालत कर दी है तूने?? वह तो यह सोचकर यहाँ आया था कि एक अबला नारी मुसीबत में है! क्या उसकी अच्छाई नज़र नहीं आई तुझे?? इस तरह छल से लोगों की जान लेकर क्या मिलता है तुझे?? खून की प्यासी है न तू, तो फिर आ रुक क्यूँ गयी?? मेरा खून भी पी ले!! अपने प्यारे दोस्त को खोकर मैं भी इस दुनिया में जीना नहीं चाहता!! उसकी दुखियारी माँ के आँसू देखने से अच्छा है,मैं भी उसके साथ यही दम तोड़ दूँ!! आ, कर ले मेरा भी शिकार!!
चंदन के इतना कहते ही वह काला साया अपनी भयानक आवाज़ में ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा और फिर अचानक उसने तेज़ गति से चंदन की ओर बढ़ते हुए उसपर हमला कर दिया!!
वह चंदन के गर्दन को अपने नुकीली दांतों में दबाने ही वाला था कि नजाने क्या हुआ!! किसी चीज़ की चमक ने उसे झटके से पीछे होने पर मजबूर कर दिया,लेकिन झटके से पीछे होने के वक़्त उसका एक नुकीला दांत चंदन के शरीर को छूता हुआ गया। उसके दांतों पर चंदन का खून लग चुका था।
झटके से पीछे गिरा हुआ वह साया अचानक शांत हो गया। उसके विचित्र शरीर ने अपने आप एक आकार लेना शुरू किया और देखते ही देखते वह काला साया एक खूबसूरत सी लड़की में बदल गया!!
चंदन अपने शरीर पर लगे घाव को देखने में ही व्यस्त था, जब उसकी नज़र सामने पड़ी लाल वस्त्रों में उस युवती पर पड़ी तो वह अचानक से चौंक गया। क्या हुआ और कैसे हुआ, उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था।
इधर मंगल भी धीरे धीरे होश में आ रहा था। देखते ही देखते दोनों दोस्तों के सारे घाव अपने आप ठीक होने लगे।
चंदन - यह सब क्या है?? कौन हो तुम??
युवती ने कहा, "घबराओ नहीं, अब मैं भी तुम्हारी तरह एक साधारण मनुष्य हूँ, कोई काला साया या चुड़ैल नहीं!!"
चंदन - क्या मतलब है तुम्हारा?? मैं... मैं कुछ समझा नहीं और हमारे घाव?? मंगल, मंगल तू ठीक हो गया मेरे दोस्त!!
मंगल ने आगे बढ़कर अपने दोस्त को गले लगाया और कहा,"हाँ, मेरे भाई, मैं ठीक हूँ। मगर यह कौन है??"...
युवती ने आगे कहा," यह कई वर्षों पहले की बात है। मैं अपने सहेलियों के साथ इस जंगल में आई थी। यहाँ एक तांत्रिक साधना में लीन बैठा था। हमारी आवाज़ सुन उसकी साधना भंग हो गई और वह मुझे देखते ही अपने होशोहवास खो बैठा। मेरी सहेलियों ने यहाँ से भागकर अपनी तो जान बचा ली लेकिन उस तांत्रिक ने मुझे पकड़ लिया। उस वक़्त मेरे पास एक छोटासा छुरा था तो मैंने अपना बचाव करते हुए उस तांत्रिक पर हमला कर दिया। छुरा उसके छाती में अंदर तक धस चुका था,उसका बचना नामुमकिन था,लेकिन उसने मरने से पहले नजाने अपनी कौनसी काली शक्ति का इस्तेमाल किया और मुझे एक खून की प्यासी चुड़ैल में बदल दिया"।
"अपने प्राण त्यागने से पहले उस तांत्रिक ने मुझे बताया कि अगर किसी इंसान ने ख़ुद मेरे पास आकर मेरा शिकार होना मंज़ूर किया तो उस इंसान के ख़ून के एक बूंद से ही मुझे इस घिनौने रूप से आज़ादी मिल जाएगी और फिर वह ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा। यह कहकर की कोई इंसान कभी भी ऐसा नहीं करेगा और मैं हमेशा इसी रूप में लोगों का ख़ून चूसती रहूँगी!! इतना कहकर उसने अपने प्राण त्याग दिए"।
"लेकिन आज जब मैंने मंगल पर हमला किया तो तुम ग़ुस्से से आगबबूला हो गए और उसके विरह में तुमने अपने आप को मुझे सौंप दिया। जब मैंने तुम पर हमला किया, तुम्हारे गले में मौजूद ॐ के लॉकेट ने मुझे पीछे धकेल दिया,मगर गिरने से पहले मेरे नुकीले दांतों पर तुम्हारे ख़ून की कुछ बूंदें लग चुकी थी। जिसकी वजह से उस तांत्रिक का वह काला जादू ख़त्म हो गया और अब मैं पुनः अपने पहले रूप में आ गई हूँ"।
चंदन ने अपने गले के ॐ लॉकेट को चूमते हुए भगवान का शुक्रिया अदा किया।
जब दोनों दोस्त वापिस अपने गांव की ओर बढ़ने लगे तो उस युवती ने चंदन के पैरों में गिरकर प्रार्थना की और कहा,"चंदन, मेरा यह जीवन तुम्हारी देन है। अब इस दुनिया में मेरा तुम्हारे अलावा कोई नहीं है। मुझे अपनी जीवनसंगिनी के रूप में स्वीकार कर मेरा जीवन धन्य कर दो!!"
चंदन ने उस युवती की बात सुन कहा,"मगर मैं तो तुम्हारा नाम तक नहीं जानता और फिर मैं कैसे भूल जाऊँ की तुम एक चुड़ैल हो!!"...
युवती ने कहा,"मैं एक श्राप की वजह से चुड़ैल होने पर मजबूर थी, लेकिन अब मैं एक साधारण स्त्री हूँ। मेरा नाम नंदिनी है!!"
उन दोनों की बात सुन मंगल ने अपने दोस्त से कहा,"शायद भगवान की भी यही मर्ज़ी है चंदन! इसके भाग्य में तुमसे मिलना लिखा था,तभी इसके साथ यह सब हुआ, इसे अपना लो चंदन!!
चंदन - मगर गांववालों से क्या कहेंगे??
मंगल - वह सब तू मुझपर छोड़ दे।
इस तरह जब तीनों गांव पहुँचे तो सब की ख़ुशी का ठिकाना न था,क्यूँ की इससे पहले इतनी रात गए कोई उस जंगल से ऐसे ज़िंदा लौटा नहीं था। फिर मंगल ने अपनी माँ से कहा,"मैंने चंदन से कह दिया था,मेरे शादी के पहले तुझे शादी करनी पड़ेगी तो बस मेरे यार ने मेरी ख़ुशी के लिए एक अनाथ लड़की से शादी कर ली है!!"...
उसके कुछ दिनों बाद मंगल की भी शादी धूमधाम से हो गई और उस गांव से खून की प्यासी चुड़ैल का साया भी हमेशा हमेशा के लिए हट गया.....

