डायरी वाला बसंत
डायरी वाला बसंत
मोहित को बचपन से ही डायरी लिखने का शौक़ था। अक्सर वो अपने दिल की बातें अपनी डायरी में लिखते रहता था। उसके माँ के अलावा और कोई नहीं जानता था कि मोहित डायरी लिखने का भी शौक़ीन है।
अपने डायरियों के लिए अपने कमरे की एक अलमारी में उसने एक खास जगह बनाई थी। कभी गलती से भी कोई पढ़ ना ले इस डर से ज्यादातर वक़्त अलमारी का वो ड्रावर हमेशा लॉक ही रहता था।
पंद्रह दिन पहले ही मोहित की सगाई हुई थी। शिवानी मोहित की मंगेतर बनने से पहले एक अच्छी दोस्त थी।
दोनों के पिताजी बिज़नेस पार्टनर्स थे। परिवार वालों का एक दूसरे के घर में आना जाना, मिलना जुलना लगा रहता था।
मोहित और शिवानी एक दूसरे को पसंद भी करते थे। फिर देरी किस बात की थी, बस परिवार वालों ने सगाई करा दी।
सगाई के ठीक एक महीने बाद शादी की तारीख तय हुई।
दोनों का इतना गहरा रिश्ता होते हुए भी मोहित ने अपनी डायरी वाली बात शिवानी को अब तक पता नहीं चलने दी थी।
शिवानी आधुनिक विचारों वाली लेकिन मिलनसार लड़की थी ।
सगाई की रात लिखी अपनी डायरी में मोहित ने लिखा था,
"शिवी को अपनी जीवनसंगिनी के रूप में पाकर आज मैं बहुत ख़ुश हूँ। जल्द ही हम दोनों जीवन भर के साथी हो जाएंगे। मैं अपने शिवी की वो दुनिया भर की खुशियाँ देना चाहता हूँ। सुख हो या दुख, ज़िंदगी के हर पल में उसका साथ देने का अपने आप से वादा करता हूँ।"
सगाई और शादी में सिर्फ एक महीने का ही वक़्त बचा था तो तैयारियां जोरों-शोरों से शुरू हो गयी थी।
एक दिन शिवानी अपनी माँ और मोहित की माँ के साथ शॉपिंग करके मोहित के घर लौटे। शिवानी मोहित को ढूंढते हुए उसके कमरे में आई। मोहित शायद तभी नहाने गया था। नहाने जाने के पहले उसने डायरी अपने कमरे की मेज़ पर ही रखी थी। उसने सोचा नहीं था की यूँ कोई अचानक उसके कमरे में आ जायेगा।
शिवानी ने सोचा कमरे में ही बैठकर मोहित का इंतज़ार करती हूँ, अच्छा सरप्राइज रहेगा उसके लिए भी। तभी उसकी नज़र डायरी पर गयी। अब उसके और मोहित के बीच कैसी फॉर्मेलिटी, यही सोचकर उसने डायरी खोलकर पढ़ना शुरू किया। डायरी में उसके बारे में इतनी प्यारभरी बातें लिखी थी की उसे यकीन ही नहीं हो रहा था, ये सब मोहित ने लिखा है।
एक पन्ने पर लिखा था,
"कुछ ही दिनों में बसंत ऋतु का आगमन होगा। चारों तरफ खिली खिली धूप होगी, धरती का कण कण खिल उठेगा।
खूबसूरत फूलों पर रंग बिरंगी तितलियाँ चहकेंगी।
मेरा जीवन तो मेरी शिवी के मेरे ज़िंदगी में आने से ही खिल उठा है। सुनहरी पीली साड़ी पहने जब वो धीरे से मुस्कुराएगी बस तभी मेरे जीवन का बसंत और भी खिल उठेगा।"
मोहित की प्यारभारी डायरी पढ़कर शिवानी की आँखों में ख़ुशी के आँसू आ गए। उसने मन ही मन कुछ सोचा और बिना मोहित से मिले वहाँ से चली गयी।
शाम को मोहित को शिवानी का मैसेज आया, जल्दी से घर आने के लिए कहा था उसने।
जब मोहित शिवानी के घर पहुंचा, देखा उसका पूरा घर फूलों से भरा हुआ था और शिवानी ने सुनहरी पिले रंग की साड़ी पहन रखी थी।
मोहित ने पूछा, यह सब क्या है???
शिवानी ने सिर्फ इतना ही कहा, "तुम्हारी डायरी वाला बसंत....."