लेखक : अलेक्सांद्र पूश्किन अनुवाद : आ. चारुमति रामदास। लेखक : अलेक्सांद्र पूश्किन अनुवाद : आ. चारुमति रामदास।
क्या हम भी भाई चारा क़ायम नहीं रख सकते उन बच्चों की तरह। क्या हम भी भाई चारा क़ायम नहीं रख सकते उन बच्चों की तरह।
अब जाड़े का भी अंत और पतझड़ का आरंभ हो गया। अब जाड़े का भी अंत और पतझड़ का आरंभ हो गया।
यही नही दो बेटियों के पिता और मजबूत पति है मनु जीतनी तारीफ करूँ कम है ऐसे है हमारे मनु। यही नही दो बेटियों के पिता और मजबूत पति है मनु जीतनी तारीफ करूँ कम है ऐसे है हमा...
सबको अपना पहला प्यार हासिल हो, पर जो कrमत मैंने चुकाई वो किसी को ना चुकानी पड़े। सबको अपना पहला प्यार हासिल हो, पर जो कrमत मैंने चुकाई वो किसी को ना चुकानी पड़े।
यह सुनते ही मैंने दादी मांँ को गले से लगा लिया। यह सुनते ही मैंने दादी मांँ को गले से लगा लिया।