लेकिन डॉक्टर नेहा आज तक उस शाम की तूफ़ानी बारिश को भूला नही पायी है.... लेकिन डॉक्टर नेहा आज तक उस शाम की तूफ़ानी बारिश को भूला नही पायी है....
उसमें मज़बूती से निर्णय लेने की क्षमता का विकास करना होगा। उसमें मज़बूती से निर्णय लेने की क्षमता का विकास करना होगा।
जिससे बुरे वक्त में पड़ोसी का सहयोग मिल सके। जिससे बुरे वक्त में पड़ोसी का सहयोग मिल सके।
"क्या बताऊँ अमिता, इस लड़की की क़िस्मत पे रोना आता है, तुम्हें मालूम है इतनी काबिल और होशियार ये लड़की, "क्या बताऊँ अमिता, इस लड़की की क़िस्मत पे रोना आता है, तुम्हें मालूम है इतनी काबिल...
राजी उनका हाथ और बैग पकड़ कार की ओर बढ़ने लगा। राजी उनका हाथ और बैग पकड़ कार की ओर बढ़ने लगा।
आज कहीं ना कहीं छोटी के मन से इंसानियत और मानवता जैसे शब्दों की हत्या हो चुकी थी। आज कहीं ना कहीं छोटी के मन से इंसानियत और मानवता जैसे शब्दों की हत्या हो चुकी थी...