हत्यारे
हत्यारे
आज घर में बहुत गहमागहमी थी छोटी को देखने के लिए लड़के वाले आ रहे थे।
छोटी भी बहुत उत्साहित थी नए जीवन की शुरुआत के लिए सारे शिष्टाचार पूरे करने के बाद विवाह का मुहूर्त संपन्न हुआ।
और एक निश्चित पृथ्वी पर छोटी का विवाह संपन्न हो गया। और उसने एक दूसरी दुनिया में कदम रखा पर यह क्या ससुराल का जीवन दो कल्पना की दुनिया से कोशों दूर था।
वहां तो सबको सिर्फ अपनी ख्वाहिशे पूरी करने वाला मानो जैसे अलादीन का जिन्न मिल गया हो ।
छोटी की भावनाओं की तो किसी को कद्र ही नहीं थी।
अरे !!छोटी मेरा नाश्ता कहां है ?
अरे !!छोटी मेरी चाय गरम कर दी ?
सारा दिन चिकरघिन्नी की तरह घूमती।
पर मैं क्या ? आज अचानक चक्कर खाकर गिर गई
और ऐसी हालत में भी उससे यही उम्मीद की जा रही थी कि वह सबकी फरमाइशों को पूरा करें।
आज कहीं ना कहीं छोटी के मन से इंसानियत और मानवता जैसे शब्दों की हत्या हो चुकी थी।
और हत्यारा कौन समझना मुश्किल !