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Kamini sajal Soni

Drama

4.7  

Kamini sajal Soni

Drama

शीर्षक - पश्चाताप

शीर्षक - पश्चाताप

4 mins
201


कई सालों बाद जब उसकी आवाज सुनी।. तो सहसा कानों पर विश्वास नहीं हुआ और उसकी हिम्मत की भी दाद देनी पड़ेगी इतना सब करने के बाद भी आज रक्षाबंधन के दिन पुनः उसी का चेहरा देखकर और आवाज सुनकर कर मोहिनी क्रोध वश चिल्ला उठी। पर उसके बहते आंसू देख कर पिघल उठी आखिर बहन ही तो थी उसकी। और एक-एक करके पुरानी यादें चलचित्र की भांति मोहनी के मन मस्तिष्क में घूमने लगी।

भरा पूरा संयुक्त परिवार था मोहिनी का चाचा चाची दादा-दादी बुआ सभी साथ में रहते थे।पर शायद यह संयुक्त परिवार कहने बस को था क्योंकि सदैव मोहिनी के पिताजी सभी की मदद करते थे। तथा सभी के कामों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते थे तो सभी का उनको स्वभाव हंसना बोलना सब अच्छा लगता था।लेकिन जब मोहिनी के परिवार पर मुसीबत आई तब सब के असली चेहरे सामने आ गए।

मौसम बदलते रहे वक्त बदलता रहा धीरे-धीरे मोहनी भी बड़ी होती गई। अब मोहिनी ने आगे की पढ़ाई के लिए शहर के कॉलेज मैं एडमिशन ले लिया तथा वही के हॉस्टल में रहकर पढ़ाई कर रही थी ।एक दिन वह अपनी सहेलियों के साथ कॉलेज जा रही थी कि रास्ते में अचानक बारिश शुरू हो गई और सभी लड़कियां बारिश में भीग गई वही पास खड़े कुछ लड़कों ने उनके ऊपर छींटाकशी की मोहनी ने ध्यान ना देते हुए अपना सीधा रास्ता अपनाया और कॉलेज पहुंच गई।

मोहिनी जब कॉलेज से हॉस्टल आती है तो उसकी मां का फोन आता है और मोहिनी से बात करते हुए मां बहुत दुखी हो रही थी पूछने पर पता चलता है कि चाचा के बेटे हर्ष ने मां को नमक मिर्च लगाकर खूब कहानी सुनाई।

हर्ष भी मोहिनी के साथ शहर गया हुआ था कॉलेज की पढ़ाई के लिए और वह बॉयज हॉस्टल में रहता था वह उस समय शायद वही खड़ा था उन्हीं लड़कों के साथ में।

पर मोहिनी ने मां को आश्वासन दिया कि मां ऐसा कुछ भी नहीं है कुछ सिरफिरे आवारा किस्म के बदचलन लड़के यह सब काम करते हैं। मेरा काम कॉलेज जाना और कॉलेज से हॉस्टल आना है ।

कुछ हद तक मोहिनी की बातों से मां आश्वस्त भी हो गई।पर हर्ष के मन में तो कुछ और ही साजिश जन्म ले रही थी । उसने मां को अपनी बातों में लेकर कहा कि आप कुछ पैसे मुझे दे दो तो मैं उन लड़कों का मुंह बंद करा दूंगा आगे से वह मोहिनी को नहीं छेड़ेंगे मां बेचारी भोली दुनिया के इस गंदे स्वरूप से दूर चाचा के बेटे की बातों में आ गई और उसको पैसे दे दिए।

मां को यह चिंता थी कि अभी तो मेरी बेटी ने अपने जीवन का सफर शुरू ही किया है कहीं वह बदनाम ना हो जाए इस बदनामी के डर से मां हर महीने हर्ष को पैसे देती रही।

एक बार जब मोहिनी छुट्टियों में घर आई तो उसने मां को पैसे देते हुए देख लिया। ।उसका माथा ठनका किसी अनहोनी आशंका से उसका दिल धड़क उठा मोहिनी ने मां को जोर देकर पूछा कि आप बताओ किस बात के पैसे दे रही थी आखिर मोहिनी के पूछने पर मां को उसे सच सच बताना पड़ा ।

अपने ही भाई का इस तरह से बेनकाब होता हुआ चेहरा उसके सामने आएगा यह तो मोहिनी ने कभी कल्पना भी नहीं की थी।

मोहनी दुखी होते हुए बोली मां आप इतनी भोली क्यों हो क्या आपको अपनी बेटी के ऊपर जरा भी भरोसा नहीं ?? आपने ऐसे कैसे सोच लिया कि अगर मुझे कोई रोज रोज परेशान करता तो मैं चुप रहती।आज इतने कानून बन गए बेटियों की सुरक्षा के लिए और हम लड़कियों को खुद अपने ऊपर आत्मविश्वास रखना चाहिए।

अब तक घर का ही बेटा आपको लूटता रहा और बदनामी के डर से आप चुपचाप सब सहती रही। तो बताइए आप खतरा कहां हैं घर में है कि बाहर?मोहिनी की इन सब बातों से मां निरुत्तर हो गई और मां को अपनी गलती का एहसास हुआ कि उसने झूठी बदनामी के डर से एक गलत व्यक्ति का साथ दिया।

मोहिनी ने लगे हाथ हर्ष को आड़े हाथों लिया और जो फटकार लगाई तथा परिवार के सभी सदस्यों के सामने सच्चाई से अवगत कराया तो हर्ष भी बहुत शर्मिंदा हुआ।

इस घटना का नतीजा यह हुआ की संयुक्त परिवार अब एक ना होकर अलग अलग हो गए।और आज फिर इतने वर्षों बाद हर्ष को अपने घर में देखकर मोहनी वितृष्णा से भर उठी।और उसे वह हॉस्टल वाली मानसून की बारिश वाली घटना याद आ गई।

शायद दुनियादारी की असली समझ आने पर और जब खुद की बहन पर मनचलों के द्वारा बुरा व्यवहार किया गया तब हर्ष की समझ में आया कि ऐसी हरकतों से परिवार वालों के ऊपर क्या प्रभाव पड़ता है ।

और आज पछतावे की आग में जलते हुए प्रायश्चित करने के लिए उसके कदम मोहिनी की घर की ओर बढ़ चले ।आज वह दिल से माफी मांगने आया था उसकी आंखों से बहते पश्चाताप के आंसू सारी हकीकत बयान कर रहे थे।

 आंखें झुकाए हुए उसने अपनी कलाई मोहिनी की ओर बढ़ा दी मोहिनी ने भी दिल से माफ करते हुए अपने भाई की कलाई पर राखी बांधी और सारे गिले-शिकवे दूर करते हुए दोनों परिवार फिर से एक हो गए।


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