ताली की ताकत
ताली की ताकत


बच्चा जब जीवन का पहला कदम उठाने की कोशिस करता है तो उसकी माँ हसंते हुए ताली बजाती है, बच्चा गिरकर फिर खड़ा होता है वो तब तक कोशिस करता है जब तक वो खड़ा नहीं हो जाये चाहे उसके चोट भी लग जाये । बच्चा व उसकी माँ दोनों दर्द को सहते हुए भी कोशिस में कामयाब हो जाते है। किसी स्टेज पर तालियों की गिड़गिड़ाहट किसी की कामयाबी या उसका अच्छे काम की सलामी है यही जीवन का सच है।
आज सम्पूर्ण भारत में तालियों , थालियों या घंटियों की मधुर आवाज ने कोरोना वायरस के लिए लड़ रहे वॉर्रिएर्स (योद्धाओं), जिन्होंने अपना जीवन जोखिम में डाल कर देश सेवा में लगा दिया है, उनका हृदय से अभिनंदन कर आभार व्यक्त किया है और उनके मनोबल को चौगुना कर, यूनाइटेड नेशंस का सन्देश दिया है और शायद यही वास्तविक मकसद रहा है , माननीय प्रधानमंत्रीजी का।
मनोबल की शक्ति अपार होती है, मुझे गौतम बुद्ध की वो कहानी याद आ रही है जिसमे गड्डे में गिरे बूढ़े हाथी को निकालनेे में भारी मसक्कत के बजाय, केवल ढोल नंगाड़ों की आवाज ही काफी होती है, क्यों कि वो हाथी कभी युद्ध में काम लिया जाता था और ढोल नंगाड़ों कि आवाज सुनकर उसमे युद्ध जैसे जोश आ गया और गड्डे से बहार स्वतः ही निकल गया। ऐसे अनेकों उदहारण है जिन्होंने केवल मनोबल की ताकत से ही जीवन की जंग जीती है जैसे नेपोलियन बोनापार्ट, अरुणिमा सिन्हा, निक वुजिसिक, स्टीफंस हॉकिंग्स आदि। दुनिया में कई युद्ध भी मनोबल से ही जीते गए है, महाभारत का युद्ध भी श्री कृष्ण द्वारा दिए गए मनोबल (भगवत गीता) से ही जीता गया था। फिल्मीजगत में भी कई फिल्मों जैसे केसरी, मंगल पांडे आदि में केवल कुछेक सैनिक ही अपने से बड़ी सेना को मनोबल के कारण ही धुल चटाई है ।
दूसरों देशों में जहाँ मेडिकल सुविधाओं तुलनात्मक काफी अच्छी है लेकिन वो भी कोरोना वायरस की लड़ाई में पस्त नज़र आ रहे है , उनकी तुलना में भारत में यदि कोरोना वायरस को हराना है तो जागरूकता के साथ साथ मनोबल अतिआवश्यक है हालाँकि भारत अभी भी अच्छा काम कर रहा है । आज की ये तालियों, थालियों का आगाज , विषाणुओं को मारे या न मारे, अपने हाथों की नसों को ठीक करे या न करे, लेकिन कोरोना वायरस से लड़ रहे योद्धाओं का मनोबल जरूर बढ़ाएगी। सफलता एक दिन में नहीं मिलती, मगर ठान लो तो एक दिन ज़रूर मिलती है।
हौसले भी किसी हकीम से कम नहीं होते।
हर तकलीफ में ताकत की दवा देते हैं।
जय भारत।