उलझे पंथ सुलझ चुके थे। रसोई में भी तीनों बहुएँ मिलकर रोटियाँ सेकती हुई भोजन परोस रही थीं। हर तरफ ख़ु... उलझे पंथ सुलझ चुके थे। रसोई में भी तीनों बहुएँ मिलकर रोटियाँ सेकती हुई भोजन परोस...
कभी कभी जीवन भी छोटा पड़ जाता है, पिछले कर्म दंड मिटाने में। कभी कभी जीवन भी छोटा पड़ जाता है, पिछले कर्म दंड मिटाने में।
हौसले भी किसी हकीम से कम नहीं होते। हर तकलीफ में ताकत की दवा देते हैं। हौसले भी किसी हकीम से कम नहीं होते। हर तकलीफ में ताकत की दवा देते हैं।
‘ अब हमारे निकलने का समय हो गया है, गो कोरोना गो...!’ और मंत्री जी चले गये। ‘ अब हमारे निकलने का समय हो गया है, गो कोरोना गो...!’ और मंत्री जी चले गये।
बल्कि हम खुद लिखेंगे तब जीत सिर्फ हमारी होगी। बल्कि हम खुद लिखेंगे तब जीत सिर्फ हमारी होगी।
एक आशा का। एक खबर.. सब ठीक हो गया.. एक आशा का। एक खबर.. सब ठीक हो गया..