Vijay Kumar Vishwakarma

Abstract Children

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Vijay Kumar Vishwakarma

Abstract Children

स्वाद

स्वाद

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"चिट्ठी आई है ...आई है ... चिट्ठी आई है ... ।" मोबाईल के मैसेज ट्यून के रूप में सेट एक लोकप्रिय फिल्मी गाने के बोल सुनाई पड़े । कभी कभी पहली बार यह ट्यून सुनकर लोग मुस्कुरा देते हैं तो कुछ हैरत के साथ अंगूठा दिखा देते हैं । अंगूठा दिखाने वाले तारीफ कर रहे हैं या कटाक्ष, इसके लिए उनके चेहरे, खास कर उनकी आँखों को गौर से देखना पड़ता है । कुछ लोगों ने सवाल भी जड़ा कि आजकल चिट्ठी पत्री लिखता कौन है, तब उन्हें समझाना पड़ता है कि इसीलिए तो मैसेज ट्यून में चिट्ठी आने के बोल सुन तसल्ली कर लेते हैं ।


बहरहाल मैसेज ट्यून को सुनकर मोबाईल हाथ में लेकर संदेश पढ़ा तो चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई । मित्र रोहित जी का मैसेज था जिसमें हमारे विद्यालयीन काल के होनहार मित्र कौस्तुभ जी का उनके घर डिनर पर उपस्थित रहने का संदेश था । रोहित जी ने हमे भी उनके साथ डिनर के लिए आमंत्रित किया था ।


हमारे विद्यालय काल के मित्र अब डाॅक्टर बन चुके थे और दूसरे शहर में पदस्थ थे । वे कभी कभार अपने पुस्तैनी मकान के दर्शन के लिए आते तो मित्रों के अनुरोध पर लंच या डिनर के लिए किसी एक के घर चले जाते । इस बार रोहित जी पर कृपा दृष्टि हुई और उनके साथ डिनर करने का सौभाग्य हमें भी प्राप्त हुआ ।


सांयकाल ठीक समय पर रोहित जी के घर पहुंचे । दरवाजे पर रखे ऑटोमेटिक सैनीटाईजर डिस्पेंसर से हाथों को अच्छी तरह सैनीटाईज करके अंदर प्रवेश किये तभी रोहित जी सीधे माथे पर पिस्तौल तान दिये । एक दूसरे की ओर देखते हुए हम मुस्कुराये । अब तो घर से बाहर निकलते ही सफेद रंग की उस पिस्तौलनुमा इन्फ्रारेड थर्मामीटर से सामना होना सामान्य सी बात बन गई है ।


डाॅक्टर कौस्तुभ जी को देखकर गले लगने का मन किया मगर मौजूदा परिस्थिति को ध्यान में रखकर हाथ जोड़कर नमस्ते से काम चलाना पड़ा । बातों का सिलसिला प्रारंभ हुआ । कुछ पुरानी यादें ताजा हुई तो कुछ नये तथ्यों पर चर्चा । कुछ देर बाद रोहित जी की पत्नी सरला जी ने डिनर लगा दिया ।


सरला जी स्वादिष्ट खाना बनाईं थीं । खाने के आखिर में रोहित जी खीर की कटोरी उठाते हुए डाॅक्टर कौस्तुभ को भी खीर खाने का इशारा किये मगर वे बड़े प्यार से मना कर दिये । खीर खत्म करते हुए रोहित जी ने सरला जी को आईस्क्रीम लाने के लिए आवाज दिया मगर उनका वाक्य पूरा होने के पहले ही सरला जी एक ट्रे में सजा कर आईस्क्रीम लिए पहुँच गईं । डाॅक्टर कौस्तुभ की तरफ आईस्क्रीम बाऊल बढ़ाते ही उन्होने हाथ के इशारे से मना किया ।


रोहित जी चहकते हुए बोले - "अरे लीजिए .... खाने के बाद बिना आईस्क्रीम खाये डिनर में मजा नही आता ।"

"और यही मजा .... सजा बन जाती है ।" - डाॅक्टर कौस्तुभ की इस बात से हम सभी आश्चर्य चकित रह गये ।


डाॅक्टर कौस्तुभ मुस्कुराते हुए बोले - "आप ही की तरह आज विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस के व्याख्यान में सभी श्रोता हैरान रह गये जब मैने उन्हें खानपान की गल्तियों के बारे में बताया ।"

"कैसी गल्तियाँ ?"- रोहित जी ने प्रश्न किया ।


डाॅक्टर कौस्तुभ बोले - "जैसे सब्जी दाल या कोई भी नमक वाली चीज खाने के बाद दूध पीना या दूध से बनी कोई चीज खाना ... जैसे पैक्ड फूड आइटम या जूस का सेवन करना ... या फिर जैसे ये .... डिनर के बाद आईस्क्रीम खाना ... ऐसे कितने ही उदाहरण हैं ।"


"खाने के बाद चार चम्मच आईस्क्रीम खाने से भला क्या नुकसान ?" - रोहित जी होठों पर जीभ फेरते हुए बोले ।

डाॅक्टर कौस्तुभ समझाते हुए बोले - "आप ने ग्रामीणों को चूल्हे में खाना पकाते देखा होगा ... है न ... अब यदि जलते चूल्हे में पानी डाल देंगे तो क्या होगा ?"


"चूल्हा बुझ जायेगा ।" - इस बार सरला जी ने जवाब दिया ।

"बिल्कुल सही .... न भी बुझा तो आग धीमी पड़ जायेगी .... इसी तरह जब हम खाना खाते हैं तो खाना पचाने में जुटे हमारे पेट की आग को आईस्क्रीम बाधा पहुंचाती है .... नतीजन अपच .... पेट की समस्याएँ .... हमारे पास जितने मरीज इलाज के लिए आते हैं उनमें ज्यादातर पेट से सम्बन्धित ही होते हैं ।" - डाॅक्टर कौस्तुभ ने ढ़ंग से समझाया ।


सरला जी झटपट आईस्क्रीम बाऊल समेटी और वापस ले गईं । डिनर के बाद रोहित जी के लाॅन में टहलते हुए डाॅक्टर कौस्तुभ अन्य कई भ्रांतियों को भी दूर किये । उस दिन समझ में आया कि जीभ के स्वाद में पेट पर क्या बीतती है ।


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