Vijay Kumar Vishwakarma

Abstract Tragedy

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Vijay Kumar Vishwakarma

Abstract Tragedy

धंधा

धंधा

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दो महीने बाद उसे अपनी उस छोटी सी दुकान में कदम रखने को मिला । महामारी फैलने के कारण घर से बाहर निकलने पर पाबंदी थी फिर दुकान खोल कर लेनदेन करने पर जुर्माना और प्रताड़न की वजह से कोई भी अपने दुकान में कदम रखने की हिम्मत नही कर पा रहा था ।


मनीराम के घर से दुकान की दूरी लगभग दो किलोमीटर के आसपास थी मगर वह दो महीने तक दुकान का शटर खोल नही पाया । चिप्स और बिस्कुट की सप्लाई करने वाला शहर का थोक व्यापारी मोबाईल पर उससे कहता कि गांव की दुकानें खुल सकती हैं वहां पुलिस की सख्ती कहां होगी । लेकिन असलियत इसके उलट थी ।


दरअसल मनीराम का घर गांव में था मगर गांव का बाजार एक छोटे से कस्बे में तब्दील हो चुका था । बाजार की चहल पहल और भीड़ भाड़ को देखते हुए बाजार में पुलिस चौकी भी खुल गई थी । पुलिस चौकी के कारण कस्बे का बाजार पूरी तरह से बंद रहा और मनीराम के गांव में भी सन्नाटा पसरा था । पुलिस चौकी से अपनी गाड़ी उठाकर कब कौन सिपाही गांव में आ धमके कोई भरोसा न था ।


जब दुकानें खुली तो मनीराम अपनी दुकान का शटर उठाने से पहले हाथ जोड़कर दर्जन भर देवी देवताओं का स्मरण किया । वह मन ही मन कह रहा था कि प्रभु अब दुकाने बंद न हों, नहीं तो आपको प्रसाद चढ़ाने वाले श्रद्धालु भी न मिलेंगे ।


दुकान में धूल की परत जमा थी । मनीराम आधे दिन तक साफ सफाई में ही व्यस्त रहा । जैसे ही एक ग्राहक नमकीन का पैकेट और बिस्कुट खरीदने आया मनीराम की सारी थकान दूर हो गई । वह फटाफट सामान देकर पैसे लिया और रूपयों को अपने माथे से लगाकर गल्ले में डाल दिया ।


शाम को वह घर लौटा तो उसका छोटा बेटा उसकी ओर दौड़ा । मनीराम अपने बेटे की ओर देखते हुए भौहें उचका कर हाथ के इशारे से उसके दौड़ने का कारण पूंछा । उसका बेटा मनीराम को खाली हाथ देखकर मायूस हो गया । दो महीने से उसे चिप्स का पैकेट देखने को नही मिला था । उसे उम्मीद थी की उसके पिता उसके लिए चिप्स का पैकेट लेकर आयेंगे ।


अगले दिन दुकान जाने के पहले ही मनीराम का बेटा चिप्स और बिस्कुट की फरमाईश कर दिया । मनीराम उसकी बातों को अनसुना कर दुकान चला गया । शाम को वापसी पर वह फिर खाली हाथ लौटा । मनीराम का बेटा मुंह फुला कर बैठ गया । मनीराम की पत्नी उसे प्यार से समझाते हुए बोली कि कल वह उसके लिए दो पैकेट चिप्स और बिस्कुट मंगवा देगी । मनीराम का बेटा खुशी से उछलने लगा ।


अगली शाम भी मनीराम खाली हाथ लौटा । उसका बेटा चिप्स के लिए जिद करते हुए रोने लगा । मनीराम की पत्नी ने पूंछा कि एक दो पैकेट चिप्स ले आते तो क्या हो जाता । मनीराम उसे धीरे से बताया कि खाने वाले सामान के पैकेट बहुत जल्दी खराब हो जाते हैं । कंपनी से पैक हो कर गांव की दुकान तक पहुंचते पहुंचते ही उनकी एक्सपायरी डेट नजदीक आ जाती है, फिर लाॅकडाउन के कारण दो महीने दुकान बंद रहने से लगभग सभी खाद्य सामग्री के पैकेट खराब हो चुके हैं, फिर चाहे वह बिस्कुट हो, नमकीन के पैकेट हो या चिप्स आदि ।


मनीराम की पत्नी बड़ा सा मुंह खोलकर हाय राम कहते हुए पूंछ बैठी कि फिर खराब सामान क्यों बेच रहे हो । उसकी बात सुनकर मनीराम अपने मुंह पर उंगली रखकर उसे चुप रहने का संकेत करते हुए बोला कि हर खरीददार एक्सपायरी डेट थोड़ी न देखता है और गांव में तो वैसे भी इस बात की कोई परवाह नही करता । मनीराम ने अपनी पत्नी को समझाया कि वह दुकान का सामान फेंक तो सकता नही, आखिर वह घाटा क्यों सहे ।


मनीराम अपने रोते हुए बेटे की ओर देखते हुए पत्नी से बोला कि वह उसे कुछ दिन तक बहला कर रखे, जब शहर से नया माल आयेगा तभी वह उसके लिए चिप्स, बिस्कुट का नया पैकेट ला पायेगा । मनीराम की पत्नी रोते हुए बेटे को खीर बनाकर खिलाने का लालच देकर उसे अपने साथ रसोई की ओर लेकर चली गई ।


एक हफ्ते बाद मनीराम के ससुर अपने घर में होने वाले एक छोटे से कार्यक्रम का निमंत्रण लेकर पहुंचे । मनीराम दुकान सम्हालने की वजह से ससुराल जाने में असमर्थता व्यक्त किया । वह अपनी पत्नी और बेटों को ससुर के साथ उनके गांव रवाना कर दिया ।


तीन दिन बाद उसे मोबाईल पर छोटे बेटे की तबियत खराब होने की जानकारी मिली । वह फौरन ससुराल की ओर भागा । उसके बेटे के पेट में बहुत दर्द था और वह लगातार उल्टियां भी कर रहा था । मनीराम अपनी पत्नी और बेटे को लेकर करीबी शहर के प्राईवेट अस्पताल में जांच करवाने पहुंचा ।


डाॅक्टरों ने बताया कि उसके बेटे को फूड प्वाईजनिंग हो गया है । मनीराम अपनी पत्नी से दरयाफ्त किया कि उसके बेटे ने पिछले तीन दिन में क्या क्या खाया है । मनीराम की पत्नी ठीक से सोचते हुए मायके के कार्यक्रम मे बने पकवान के नाम गिनाई । फिर उसे याद आया एक दिन उसका बेटा चिप्स और बिस्कुट खरीदने की जिद कर रहा था तो उसके मामा पड़ोस की एक दुकान से उसे वे चीजें खरीदकर दिलाये थे ।


मनीराम अपना माथा पकड़ लिया । वह जो व्यापार अपने गांव में कर रहा था वैसा ही धंधा उसके ससुराल वाले गांव में भी चल रहा था ।


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