Vijay Kumar Vishwakarma

Inspirational

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Vijay Kumar Vishwakarma

Inspirational

आराम

आराम

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हमारे एक परिचित राघव जी एक हाथ से अपने भारी भरकम तोंद को सहलाते हुए, दूसरे हाथ से कान में मोबाईल लगाए इसी ओर चले आ रहे थे । उनके शक्ल और तेज आवाज से ऐसा लग रहा था जैसे वे बेहद नाराज हों । सामने पड़ने पर हम दोनो में औपचारिक अभिवादन हुआ । तब तक उनका मोबाईल काॅल भी कट गया । वे गुस्से से मोबाईल को घूरे । मैने यूँ ही पूँछ लिया कि क्या बात है, तो वे अपने छोटे भाई की समस्या बताने लगे ।


रोजगार की तलाश में उनका छोटा भाई एक दूसरे शहर गया था और उससे वहाँ के कंपनी वाले 12 घंटे से ज्यादा वक्त तक काम करवाने लगे जबकि मेहनताना सात से आठ घंटे का ही देते । राघव जी उसे मोबाईल पर यही समझा रहे थे कि दूर के ढ़ोल सुहाने लगते हैं, इस शहर में भले ही कम मेहनताना मिलता रहा हो मगर घर तो समय से आया जा सकता था, साथ ही शरीर को पर्याप्त आराम भी मिल जाता था ।


अपनी व्यथा बताकर वे जाने के लिए कदम बढ़ाये ही थे कि अचानक दर्द से कराह उठे । मैने तबियत के बारे में पूँछा तो उन्होने बताया कि कभी कभी अचानक पैर के जोड़ो में दर्द होने लगता है, डाॅक्टरों ने कहा है कि वजन कम करो, उपवास रखो, जो अपने बस की बात नही ।


उनकी बात सुनकर मुझे अपने मित्र डाॅक्टर कौस्तुभ की हाल ही में दी हुई एक सलाह याद आई । मैने उसे राघव जी से साझा करते हुए कहा कि हर व्यक्ति प्रतिदिन उपवास रख सकता है यदि वह खाने का समय निर्धारित कर ले । राघव जी ने जब मेरी ओर सवालिया नजरों से देखा तो मैने उन्हें समझाया कि अमूमन दिन और रात बराबर होते हैं इसलिए खाने का कार्यक्रम दिन में ही सम्पन्न कर लेना चाहिए जिससे कम से कम बारह घंटे की रात उपवास के लिए मिल जाये ।


राघव जी ने कहा कि आप तो साधु महात्माओं वाली जीवन शैली अपनाने को कह रहे हैं जो आजकल के समय में संभव नही लगती । मैने उन्हें उनके भाई के उदाहरण से समझाया कि जैसे लगातार बारह घंटे काम से शरीर थक जाता है उसी तरह पेट भी लगातार खाते रहने से थक जाता है । पेट को भी आराम के लिए कम से कम बारह घंटे मिले तो पूरा शरीर स्वस्थ रहे । आखिर पेट ही तो पूरे शरीर की ऊर्जा का केन्द्र है ।


राघव जी अपने पेट को सहलाते हुए पूँछे कि क्या खाने में बारह घंटे का गैप रखने से तोंद गायब हो जायेगा ? मैने उन्हें डाॅक्टर कौस्तुभ की सलाह के आधार पर आश्वस्त करते हुए कहा कि आजमाने में क्या हर्ज है, जहाँ पहले डिनर और ब्रेकफास्ट के बीच आठ-नौ घंटे का गैप रहता था उसे बारह घंटे करके खुद देख लीजिए ।


राघव जी की आँखे चमक उठी । वे मुस्कुराते हुए अभिवादन किये फिर आगे बढ़ गये ।



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