सूरज की लालिमा
सूरज की लालिमा


बड़ी-बड़ी चिमनियों से उठता धुआं वातावरण में प्रदूषण घोल रहा है।
आज इंसान को सांस लेने में भी कितनी तकलीफ होती है। चारों और प्रदूषण ने इस कदर पैर पसार लिए की इंसान का जीना मुश्किल हो गया पशु पक्षियों की प्रजातियां भी खतरे में आ गई.....
शायद मनुष्य की इन्हीं ज्यादितियों की वजह से संपूर्ण धरा संकट में है.....
कुछ सिखाकर ये दौर भी गुजर जायेगा..
फिर एक बार हर इंसान मुस्कुराएगा...
मायूस न होना मेरे दोस्तों इस बुरे वक़्त से,
कल ,आज है, और आज , कल हो जाएगा।
हर रोज वाली सुबह ही तो थी वहीं सूूूरज अपनी लालिमा लिए हुए भोर होने का एहसास करवा रहा था। आजकल की रातों मैं नींद भी जैसे डर डर कर आ रही थी थकान और आलस्य भरी सुबह निशी को बहुत ही नागवार गुजर रही थी।
शायद हर मां की कहानी लगभग एक सी ही होती है जिसमें बच्चों को और परिवार के सदस्यों को खुश करने के चैलेंज सभी की जिंदगी में एक जैसे होते हैं।
वैसे भी कहा गया है कि जब प्यार और सुकून का दिलो-दिमाग पर असर हो तो शोरगुल में भी मजा आता है और अगर प्यार में कहीं डर छुपा हो तो शांति भी सिहरन पैदा करती है।
बाजार से कुछ भी खरीदते हुए एक डर सा महसूस होता था कि कहीं इसमें संक्रमण ना हो?? मन अनायास ही सिहर उठता ।
निशी के पति नीरज को बहुत ही जल्दी सर्दी खांसी हो जाया करती तथा जब वह घर से बाहर निकल कर बाजार या अन्य कहीं जाता तो प्रदूषित हवा के कारण
छींक -छींक कर उसका हाल बेहाल हो जाता । प्रदूषण वाली हवा से उसको अस्थमा की समस्या शुरू हो जाती है।
जिसके कारण कुछ भी लेने जाने के लिए जब वह बाजार जाने को बोलता तो अनजाने भय से निशि कांप उठती।
थके हुए पैरों का सहारा लेते हुए निशी ने दरवाजे के बाहर से अखबार उठाया और वहीं बाहर आंगन में पडे पलंग पर बैठ कर सरसरी नजर डाली पर यह क्या अचानक जैसे बुझते हुए दीपक में किसी ने घी डालकर ज्योति का संचार कर दिया हो जब उसने यह पढ़ा की पृथ्वी पर प्रदूषण अन्य दिनों की तुलना में काफी कम हो गया है। यह पढ़ते ही उसके शरीर में चेतना का संचार हो गया और वह ऊर्जावान हो उठी और उसके चेहरे पर सूरज की लालिमा उभर आई।
काश अगर हर इंसान अपनी जिम्मेदारी समझ जाए और अपने धरा को पुनः से हरा भरा और प्रदूषण मुक्त करने के प्रयास में एकजुट होकर शामिल हो जाए तो हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए हम एक सुंदर और स्वच्छ वातावरण दे सकते हैं।