Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Action Inspirational

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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Action Inspirational

संतुलन असमान वितरण का

संतुलन असमान वितरण का

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अपने मन में उठ रहे प्रश्नों समस्या के फोन के माध्यम से समाधान की आकांक्षा प्रिय छात्रा आकांक्षा की थी। औपचारिक अभिवादन और पारिवारिक कुशल-क्षेम के उपरांत उसने पहला प्रश्न था-"पूरे वैश्विक स्तर से लेकर स्थानीय स्तरों संसाधनों के असमान वितरण को किस प्रकार संतुलित किया जा रहा है।"

मैंने आकांक्षा की सुंदर चित्रकला की प्रशंसा को को उसकी जिज्ञासा की सुंदरता के साथ जोड़ते हुए कहा-"आकांक्षा बेटा! तुम्हारी जिज्ञासा भी तुम्हारी चित्रकला की भांति सुंदर है।असंतुलन प्राकृतिक संसाधनों जैसे भूमि,जल,वन संपदा और जन संसाधनों हमें दृष्टिगोचर होता है। इनमें मानवीय हस्तक्षेप और प्रकृति द्वारा परिवर्तन की प्रक्रिया सतत् चलती रहती है।कुछ ऐसे क्षेत्र हैं भूमि या दूसरे प्राकृतिक संसाधन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है ऐसे क्षेत्रों में जनसंख्या विरल है और ये प्राकृतिक संसाधन संरक्षित हैं। कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां जन संसाधन अधिक हैं अर्थात ऐसे क्षेत्रों में जनसंख्या सघन है । ऐसे क्षेत्रों में लोगों के लिए उपलब्ध संसाधनों का अभाव नजर आता है जैसे कृषि योग्य भूमि, आवास के लिए भूमि अादि। लोगों के परिवारों का आकार बड़ा होने के कारण उपलब्ध संपत्ति या दूसरे संसाधनों का बंटवारा होने के कारण पीढ़ी दर पीढ़ी संसाधन कम होते चले जाते हैं। लोगों के लिए रोजगार के अवसर घटते चले जाते हैं।लोग रोजगार के साथ , बेहतर शिक्षा,करीयर के बेहतर विकल्प आदि विविध कारणों से एक स्थान से दूसरे स्थान पर प्रवास करते हैं।"

आकांक्षा ने इस प्रवास को लेकर जानना चाहा- "प्रवास करने वाले लोग अपने लाभदायक लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु प्रवास करते हैं। इसके कुछ नकारात्मक पहलू भी होते होंगे क्योंकि अधिकतर संसार की हर घटना के गुण और अवगुण भी होते हैं।"

मैंने उसे समझाते हुए बताया-"बिल्कुल सही कहा तुमने बेटा! जिन स्थानों पर लोग पहुंचते ह वे अधिकांश शहर ही होते हैं । ये स्थान भी एक सीमा के बाद प्रवासियों की बढ़ती संख्या को समायोजित करने की प्रक्रिया में अव्यवस्थित और अस्त -व्यस्त हो जाते हैं।इन नये स्थानों पर अस्वास्थ्यकर स्लम-झुग्गी बस्तियां विकसित होती हैं। जीविकोपार्जन के लिए इन क्षेत्रों में लोग बड़ी दयनीय हालत में अपना जीवन गुजारने के लिए मज़बूर होते हैं।इसके विपरीत जिन क्षेत्रों में प्राकृतिक संसाधन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होते हैं लेकिन उनका उपयोग करने हेतु आवश्यक जन-शक्ति उपलब्ध नहीं होती है। विश्व के कई देशों की जनसंख्या कम होने के कारण यहां के लोग या सरकारें जनाधिक्य वाले क्षेत्रों से लोग को आकर्षक शर्तों के माध्यम से बुलाती हैं।नये प्रवासियों के आप्रवासन से इन क्षेत्रों के लोगों को पहले की स्थितियों में कष्ट होने लगता है।इनका यह कष्ट कभी-कभी वर्ग संघर्ष के रूप में भी परिलक्षित होता है।"

आकांक्षा ने इन समस्त समस्याओं के समाधान के बारे अपनी जिज्ञासा व्यक्त की-"सर,इन समस्याओं को सुलझाने में सरकारों और जन सामान्य द्वारा क्या किया जाना चाहिए!"

मैंने अपनी राय दी-"इन समस्त समस्याओं का समाधान यह है कि सरकारें उचित शिक्षा, स्वास्थ्य और जब जागृति के कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को अपने परिवारों का उचित आकार स्वविवेक से। नियंत्रित करने की समझ विकसित करनी होगी।साथ ही आधारभूत ढांचा भी इस प्रकार विकसित करना होगा कि लोगों को रोजगार आदि के इधर - उ़धर भटकना न पड़े।तब ही एक आदर्श शासन व्यवस्था रामराज्य का सपना साकार हो सकेगा।"

आकांक्षा ने दूसरी समस्याओं के समाधान हेतु अगली बारी तक के लिए धन्यवाद देते हुए मेरा आशीर्वाद प्राप्त किया।


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