संस्कारहीन बहु!!
संस्कारहीन बहु!!
रेखा और अजय की लवमैरिज दोनों परिवार की रजामंदी से तय की गई थी। अजय रेखा को कॉलेज के समय से ही जनता और पसंद करता था भाग्यवश दोनो की नौकरी भी एक ही कम्पनी में थी रेखा शुरू से आधुनिक सोच एवं स्पष्टवादी थी लेकिन अजय और रेखा का रिश्ता अजय के छोटी बहन निधि और बहनोई अखिल को नही पसंद था अजय के पिता हार्ट और डायबिटीज के मरीज थे । अखिल घर के दामाद होने का पूरा फायदा उठाते थे पिता की बीमारी की वजह से कम उम्र में ही घर की सारी जिम्मेदारी अजय पर आ गयी तो उसने तय किया कि वो पहले अपनी छोटी बहन की शादी करेगा बाद में अपनी।
अखिल शुरू से इस शादी के खिलाफ थे क्योंकि वो अपने किसी नजदीकी रिश्तेदार की लड़की से अजय की शादी करा कर अजय पर एहसान और घर मे अपनी पकड़ मजबूत करना चाहते थे। लेकिन अजय के आगे उनकी एक भी ना चली क्योंकि अजय ने साफ साफ लफ्जो में कह दिया था कि वो जब भी शादी करेगा रेखा से ही करेगा।
अजय की माँ गीता जी अपने एकलौते बेटे को खोना और उसकी नजरों में बुरी माँ नहीं बनना चाहती थी सो उन्होंने भी विद्रोह नही किया औऱ शादी के लिए राजी हो गयी। लेकिन इन सब मे वो अपने बेटी निधि और दामाद पर आँख बंद करके भरोसा करती थी । जो बात बेटी दामाद ने कही वो पत्थर की लकीर हो जाती थी उनके लिए, वो वही काम करती या करना पसंद करती जो उनके दामाद को पसंद थी और अगर किसी ने कुछ कहा नहीं कि रोना धोना शुरू हो जाता था।
शादी की शुरुआत से ही अखिल और निधि का रवैया रेखा और उसके छोटे भाई को पसंद नहीं था। अखिल और निधि हमेशा रेखा के पिताजी (अमित पांडेय) से उनका नाम लेकर बात करते औपचारिकता बस भूल कर भी कभी नमस्ते या प्रणाम नही करते। और बात बात में उनको नीचा दिखाने की कोशिश करते कभी पैसों को लेकर कभी रुतबे को लेकर तो क़भी व्यवस्था के नाम पर।
एक दिन रेखा ने ये बात अपनी माँ से भी कही पर उन्होंने ये कहते हुए बात टाल दिया कि हमें क्या करना? ये तो उन लोगों को सोचना चाहिए
"लेकिन माँ! मुझे अच्छा नही लगता जिस तरीके से वो लोग पापा से बात करते है, वो लोग पापा से उम्र में छोटे है ,और बात तो ऐसे करते है जैसे वो पापा से कितने बड़े या उनके हमउम्र हो और बेमतलब का अकड़ में बात करते हैं मुझे तो लगता है उनको तमीज ही नहीं सिखायी गयी।मैं सोच रही हुँ अजय से इस बारे में बात करुँ" रेखा ने कहा
"कान खोलकर मेरी बात सुनना किसको तमीज है किसको नही ये तुझे सोचने की जरूरत नही,वैसे भी लड़की वालों को थोड़ा बहुत तो सुनना पड़ता है वैसे अजय तुम्हारी पसंद है, तो शादी तय होने के पहले ही अखिल और निधि को तुम परख ली होती, एक बात मेरी याद रखना परिवार के खिलाफ जाकर तुम्हारी पसन्द के लिए तुम्हारे पापा ने हामी भरी है तो अब कुछ भी ऐसा मत करना जिसकी वजह से हमे सबके सामने शर्मिंदा होना पड़ेऔर वो लड़के वाले है तो अकड़ तो रहेगी ही, लेकिन तू एकदम चुप रहेगी समझी मेरी बात ,मैं बेकार में कोई तमाशा नही चाहती जिससे कल को समाज मे जग हँसाई हो हमारी " रेखा की माँ ने गुस्से से कहा
इंगेजमेंट के दिन सभी बडे सम्मान से एक दूसरे से मिले, पूरा समारोह अच्छे से हुआ ,जैसे ही रेखा के पापा कुर्सी पर बैठे अजय के पिता के पांव छूने गए उन्होंने खड़े होकर हाथ पकड़ लिया और बोला " अरे! समधी जी ,ये क्या कर रहे हैं ?हम तो बराबरी के रिश्तेदार है गले मिलिए एक परिवार की तरह"
रेखा ससुर जी की बाते सुन के बहुत खुश हुई, कि वो पुराने खयाल के नहीं ,कि तभी वहाँ निधि और अखिल भी आ गए।
रेखा के पापा ने बोला "आइए अखिल जी कुछ कमी तो नहीं रही ना मैने सब कुछ आप के कहे मुताबिक ही किया था"
तो उन्होंने ने कहा "अब क्या बोले पांडेय जी ठीक ही है ,व्यवस्था तो आपने देखी ही नही हमारे घर की शादियां देखते तो आपको पता चलता कि व्यवस्था किसको कहते है खैर फिर भी कुल मिलाकर आपने अच्छी व्यवस्था करने की कोशिश की ,अभी तो घर के लोग है तो चल गया। लेकिन बारात के लिये तो अपनी कमर कस लीजियेगा। ऐसा ना हो की अभी तो ठीक ठीक जैसे तैसे हो गया लेकिन शादी वाले दिन हम लोग शर्मिंदा हो जाये।"
ये सुनकर रेखा और उसके भाई को बहुत गुस्सा आया अपने पिता का इस तरह अपमानित होना रेखा को बहुत दुखी कर रहा था। उसकी आँखों से आँसू आने लगे, वो चाहकर भी कुछ बोल या कर नही पा रही थी क्योंकि उसकी माँ ने उसका हाथ पकड़ रखा था और माँ की आँखों ने रेखा के मुँह पे उंगली , चाह कर भी अपने पिता के अपमान को नही रोक पा रही थी अपने पिता के साथ हुए इस व्यवहार को वो बर्दाश्त नहीं कर पा रहीं थी
घर आने पे रेखा की माँ ने रेखा और उसके भाई को कस के डाँटा" क्या करने जा रहे थे तुम दोनो , और रेखा तू तो बड़ी है तुझे कहा था ना मैंने हर बेटी के बाप को सुनना होता है और कौन सा समधी जी ने कुछ कहा और रिश्तेदारों की बात क्या लेना वो तो कुछ भी बोलते हैं?"
"लेकिन माँ आपने देखा नही उन्होंने कैसे बात की पापा से" रेखा के भाई ने कहा
"लेकिन वेकिन कुछ नहीं तुम दोनो आगे से मुँह बंद रखना बस।"रेखा की माँ ने कहा
शादी के दिन सभी व्यवस्था की तारीफ़ कर रहे थे। कि तभी अचानक अजय के जीजा जी शोर मचाने लगे",ये कैसी व्यवस्था है, छोटे बच्चो का स्टॉल कहाँ लगा है, और मेरे बेटे के दूध की भी व्यवस्था नहीं है,दो महीने का बच्चा क्या स्टॉल पर जाकर खाना खायेगा"
रेखा के पिताजी ने हाँथ जोड़ लिए और बात संभालते हुए कहा "आप चिंता मत कीजिये मै अभी करता हूँ। मुझे नहीं पता था कि इतने छोटे बच्चे भी आएंगे,जैसे तैसे बात संभाली गयी"
शादी सम्पन्न हुई और विदाई का वक़्त आया ,सभी छोटे बड़ो का पैर छू रहे थे फिर अखिल जी ने चिल्ला ना शुरू किया"बंद कीजिए ये सब तमाशा और जल्दी विदाई कीजिये, और पाण्डे जी आप क्या औरतों की तरह रो रहे है आप अनोखे पिता थोड़ी ना है जो बेटी विदा कर रहे है"
तभी रेखा के पिता ने कहा "बस बस अखिल जी अभी सारी रश्में पूरी कराता हूं। इतना सुनते रेखा ने अपने आंसू पोछ लिए और अब उसका सारा ध्यान अखिल पर हो गया, विदाई के समय अखिल ने जैसे ही रेखा के पापा को पाण्डेय जी कह के हाथ मिलाने की कोशिश की।
रेखा का भाई बोल पड़ा क्योंकि उसके सब्र का बांध टूट चुका था""रूकिये जीजा जी, क्या आप को पता नहीं बड़ो से हाँथ नहीं मिलाते,उनके पाँव छूते हैं ,और मेरे पिताजी तो आप के पिता समान है ,क्या आप अपने पिता के साथ भी ऐसा ही व्यवहार करते हैं, मुझे भी आपने यही कहा था ना कि झुक कर पैर छुओ, तुम्हें संस्कार नहीं पता क्या की छोटे बड़ो के पैर छूते है। अब आपके संस्कार कहाँ गए?""
"देख लीजिए पांडेय जी यही तमीज और संस्कार सिखाया है आपने इसको पता नही क्या हो सकता है।" अखिल ने कहा
"रेखा के पापा हाँथ जोड़कर अखिल से माफी मांगने लगे कहा बच्चा है गलती से बोल गया माफ कीजिये उसकी तरफ से मैं हाँथ जोड़कर आपसे माफी मांगता हूं"
अखिल के चेहरे पे नाराज़गी और गुस्से के भाव साफ दिख रहे थे। लेकिन सब के बीच में कुछ बोल नहीं पाए और चुपचाप वहाँ से चले गए। पूरी बारात में रेखा के घर वालो के संस्कारहीन होने की बात आग की तरह फैल गयी
विदाई हुई रेखा की माँ को डर था कि अब क्या होगा। वहाँ ससुराल में सासूमाँ पहले से ही मुँह फुलाए गुस्से में बैठी थी ये सब जान के ।
समाज को दिखाने के लिए सारी रश्में निभाई गयीं। रात में रेखा अपने कमरे में फोन पर अपने भाई से बात कर रही थी वो उससे पूछ रही थी कि माँ ने तुझे ज्यादा डाँटा तो नही, बाकी सब कैसे है,और पापा कैसे है ?
तभी रेखा की सास ने रेखा को आवाज देकर बुलाया और कहा" दीदी जीजाजी घर जा रहे है,इनके पैर छुओ , और ये इसी शहर में रहते है तो तुमको इनका मान सम्मान भी करना होगा और जो तमाशा तुम्हारे भाई ने सबके बीच किया ना, हमारा मन ना होते हुए भी हम तुमको ले आये, हम चाहते तो तुमको वही छोड़ देते मायके में पड़ी रहती उम्र भर कोई पूछता भी नही, नाक रगड़कर माफी मांगता पूरा मायका और तुम भी समझी, लेकिन वो तो दामाद जी की दरियादिली थी जो तुमको लेकर आ गए, तुम्हारी मां ने तो तुम्हे तमीज और संस्कार नहीं सिखाया इसलिये मै सीखा रही हूं। मेरे बेटी दामाद का अपमान मै कभी बर्दाश्त नहीं करूंगी। और अब तुम्हारे मायके वालों से हमारा कोई रिश्ता नही,वो अब हमारे दरवाजे पर कदम भी ना रखने पाए समझी।
तभी अखिल ने बीच में व्यंग्य में मुस्कुराते हुए बोला "क्या मम्मी जी आप भी अभी नई नई है धीरे धीरे सब सिख जाएंगी"
रेखा समझ चुकी थी कि उसका चुप रहना इस घर मे सही नही होगा ,उसने बोला "माँ जी पहली बात कि मेरे भाई ने जो किया बिलकुल सही किया,क्योंकि संस्कारों तो सबके एक समान ही होने चाहिए और मेरी मां को आप के घर के बारे में नहीं पता, तो पहले ही अपने घर के संस्कारों की लिस्ट बता देती जैसे घर के सामानों की लिस्ट दिए आप लोगो ने, बहु के संस्कारों के भी दे देती कि ये ये बातें सीखना, और आप भी थोड़ा संस्कार निधि और अखिल को भी दे देती की बड़ो से कैसे बात करते है।
दूसरी बात कि कोई भी अपने से छोटे के पैर नहीं छूता और ये दोनों लोग मुझसे छोटे हैं, मैं इनके पैर कभी नही छूउंगी, रही बात सम्मान की, तो मैं उतना ही सम्मान औऱ प्यार दूँगी जितना मुझे आप लोगों से मिलेगा और आखिरी बात चाहें वो इस घर के बेटी दामाद हो या कोई अन्य सदस्य मैं भी किसी के द्वारा अपने मातापिता और मायके वालों का अपमान बर्दाश्त नही करूँगी, और अजय को मैंने पहली मुलाकात में ही ये बता दिया था कि मैं गलत ना करूँगी ना ही बर्दाश्त करूंगी, रही बात मुझे मायके भेजने की तो या छोड़ने की तो उसके ख्वाब आप सब ना देखे तो ही बेहतर होगा, वैसे भी मैं किसी कानूनी पचड़े में नही पड़ना चाहती बाकी आप सब की मर्जी जैसा ठीक समझे, चलती हूं" कहकर रेखा अपने फोन पर बात करती हुई कमरे में चली गयी।
रेखा की सास और ननद नंदोई सब के चेहरे का रंग उड़ा हुआ था। उनको समझ नहीं आ रहा था कि किस को क्या बोलें, क्योंकि अजय को पहले से ही अपने जीजा का व्यवहार नहीं पसंद था। तो उसने चुप रहना ही बेहतर समझा। और रेखा को आज भी सब संस्कार हीन और तेज बहु कहते है।