सहूलियत के रंग
सहूलियत के रंग


बहुत दिनों के बाद कुछ लिखने बैठी हुँ।अपनी रोज की बातचीत में हम अक्सर कहते रहते है,
"एकदम झूठ! सफेद झूठ।तो इसका मतलब फिर यही हुआ कि सच काला होता है,नहीं?" लेकिन हम ये कैसे माने भला?क्योंकि हमे तो यही सिखाया गया है की सच तो सूर्य प्रकाश की तरह एकदम स्वच्छ होता है।क्या गलत कह रही हुँ मैं,नही न?
मुझे लगता है कि यह सब ideal बातें होती है।असलियत में तो जिंदगी उसके नियमकानून के हिसाब से ही चलती रहती है।वहाँ काले और सफेद रंग के अलावा एक ग्रे कलर भी होता है जो चीजों को अपनी अपनी सहूलियत के हिसाब से manage करने की छूट देता है।
बाकी के हरे, पीले, नीले, और लाल जैसे रंग तो बस ऐसे ही होते है जहाँ तहाँ बिखरे हुए।
सही रंग तो ग्रे ही होता है जो लोगों को अपनी अपनी सहूलियत के हिसाब से जिंदगी में न जाने कितने बार और न जाने किन हालातों में jusify करने का मौका देता है।
और हम सब जानते है कि जिंदगी black and white में नही चलती है।आप का क्या खयाल है इस बारे में, क्या मैं सही नही कह रही हुँ?