शैतानियत - 10
शैतानियत - 10
10. खूंखार दीर्किन
लेखक: मिखाइल बुल्गाकव
अनुवाद: आ. चारुमति रामदास
शीशे वाली कैबिन नीचे गिरने लगी, और दोनों करत्कोव नीचे गिर गए.
दूसरे करत्कोव को पहला और मुख्य करत्कोव कैबिन के शीशे में भूल गया और अकेला ही ठन्डे गलियारे में बाहर आया. ऊंचा टॉप पहने एक बेहद मोटा और गुलाबी आदमी यह कहते हुए करत्कोव से मिला:
“अद्भुत्. अब मैं आपको गिरफ्तार करता हूँ.”
“मुझे गिरफ्तार करना नामुमकिन है,” करत्कोव ने जवाब दिया और शैतान जैसा हंसने लगा, “क्योंकि मैं न जाने कौन हूँ. बेशक. मुझे ना तो गिरफ्तार किया जा सकता है, और ना ही मेरी शादी करवाई जा सकती है. और मैं पल्तावा नहीं जाऊंगा.”
मोटा खौफ से थरथराने लगा, उसने करत्कोव की आंखों की पुतलियों में देखा और पीछे-पीछे हटने लगा.
“कर ना गिरफ्तार,” करत्कोव ने पतली चीख निकाली और मोटे को वैलेरीन से गंधाती, थरथराती हुई पीली जीभ दिखा दी, “गिरफ्तार कैसे करेगा, अगर डॉक्यूमेंट्स के बदले है – ठेंगा? हो सकता है, मैं गगिन्सोलेर्न हूँ?”
“जीज़स क्राईस्ट,” मोटे ने कहा, थरथराते हाथों से उसने सलीब का निशान बनाया और गुलाबी से पीला पड़ गया.
“कल्सोनेर तो नहीं दिखाई दिया?” करत्कोव ने अचानक पूछा और इधर-उधर नज़र दोडाई. “बोल, मोटे.”
“बिलकुल नहीं,” मोटे ने गुलाबी से भूरा होते हुए जवाब दिया.
“अब क्या करें? आँ?”
“दीर्किन के पास. कोई और चारा नहीं है,” मोटा हकलाया, “उसके पास जाना सबसे बेहतर है. सिर्फ खूंखार है. ऊफ, खूंखार! पास में मत जाना. दो लोग तो उसके ऊपर से बाहर उड़ गए. आज टेलीफोन तोड़ दिया.”
“ठीक है,” करत्कोव ने जवाब दिया और गरजते हुए थूक दिया, “अब हमें कोई फर्क नहीं पड़ता. उठा!”
“पैर को चोट न लग जाए, कोमरेड ऑफिसर,” करत्कोव को लिफ्ट में बिठाते हुए मोटे ने प्यार से कहा.
“ऊपर वाले प्लेटफोर्म पर सोलह साल का लड़का मिला और वह डरावनी आवाज़ में चिल्लाया,
“कहाँ जा रहा है? रुक जा!”
“मार मत, चचा,” मोटे ने सिकुड़कर हाथों से सिर को ढांकते हुए कहा, “सीधे दीर्किन के पास जा रहे हैं.”
“जाओ,” छोटा चीखा.
मोटा फुसफुसाया,
“आप जाइए, युअर एक्सेलेन्सी, और मैं यहाँ, बेंच पर, आपका इंतज़ार करूंगा.”
बहुत तकलीफ है...
करत्कोव अँधेरे प्रवेश कक्ष में आया, और वहाँ से खाली हॉल में, जिसमें पुराना नीला कालीन था.
“दीर्किन” की नेम-प्लेट वाले दरवाज़े के सामने करत्कोव कुछ हिचकिचाया, मगर फिर भीतर घुसा और उसने अपने आप को आरामदेह ऑफिस रूम में पाया, जिसमें लाल रंग की मेज़ थी और दीवार पर घड़ी थी. नाटा, मोटा दीर्किन स्प्रिंग की तरह मेज़ के पीछे से उछला, और मूंछों पर ताव देते हुए गरजा:
“ख-खामोश!...” हाँलाकि करत्कोव ने अब तक कुछ भी नहीं कहा था.
उसी समय ऑफिस रूम में ब्रीफकेस लिए एक बदरंग नौजवान प्रकट हुआ. दीर्किन का चेहरा फ़ौरन मुस्कुराती झुर्रियों से भर गया.
“आ-आ!” वह मिठास पूर्वक चिल्लाया, “आर्थर आर्थरिच. हमारा आपको सलाम.”
“सुन, दीर्किन,” नौजवान धातु जैसी टनटनाती आवाज़ में कहने लगा, “क्या तुमने पुज़िर्योव को लिखा कि मैं ‘वेलफेयर सेक्शन’ में अपनी मनमानी करता हूँ, और मैंने मई के महीने के वेलफेयर फंड का पैसा खा लिया है? तुमने? जवाब दे, घटिया कमीने.”
“मैंने?...” जादू से खूंखार दीर्किन से भले दीर्किन में परिवर्तित होते हुए दीर्किन बुदबुदाया, “- मैंने, आर्थर दिक्तातूरीच...मैंने. बेशक...आप बेकार ही में...”
“आह तू, कमीने, कमीने,” नौजवान ने दुहराया, सिर हिलाया और, ब्रीफकेस हिलाते हुए दीर्किन के कान पर उसे इतनी जोर से दबाया, मानो प्लेट में पैन केक निकाल रहा हो.
करत्कोव यंत्रवत कराहा और जम गया.
“ऐसा ही होगा तुम्हारे साथ, और हर उस निकम्मे के साथ, जो मेरे मामलों में नाक घुसेडेगा,” नौजवान ने बड़े रौब से कहा और, जाते जाते करत्कोव को लाल मुट्ठी से धमकाते हुए बाहर निकल गया.
दो मिनट कैबिन में खामोशी रही, और सिर्फ कैन्डिलेब्रम से लटकते हुए पेंडेंट कहीं से गुज़रते हुए ट्रक के कारण खनकते रहे.
“ये, नौजवान,” कड़वाहट से मुस्कुराते हुए भले और अपमानित दीर्किन ने कहा, “यह है इनाम मेहनत का. रातों को पूरी नींद नहीं होती, भर पेट खाना नहीं खाते, जी भर के पीते नहीं हो, और नतीजा हमेशा एक सा – खाओ थोबड़े पे. हो सकता है, कि आप भी उसी के लिए आये हैं? तो क्या...मारो दीर्किन को, मारो. उसका थोबड़ा सरकारी है. हो सकता है आपको हाथ से मारने में तकलीफ हो? तो आप कैन्डिलेब्रम ले लीजिये.”
और दीर्किन ने बड़ी अदा से लिखने की मेज़ के पीछे से अपने फूले-फूले गाल आगे कर दिए. तिरछी नज़र से देखते हुए करत्कोव मुस्कुराया और उसने कैन्डिलेब्रम की टांग पकड़ कर उसे उठाया और झन्न से दीर्किन के सिर पे मोमबत्तियां दे मारीं. उसकी नाक से कपडे पर खून टपकने लगा, और वह, ‘चौकीदार’ चिल्लाते हुए, भीतरी दरवाज़े से भाग गया.
“कू-कू!” जंगल की कोयल खुशी से चिल्लाई और दीवार पर बने न्यूरेन्बर्ग के छोटे से घर से उछल कर बाहर आई.
“कू-क्लूक्स-क्लान!” वह चिल्लाई और गंजे सिर में बदल गई.
“नोट करेंगे कि आप कैसे कर्मचारियों को मारते हैं!”
करत्कोव तैश में आ गया. उसने कैन्डिलेब्रम घुमाया और उसे घड़ी पर दे मारा.
घड़ी ने गरज और सुनहरे तीरों की बौछार से जवाब दिया.
कल्सोनेर घड़ी से बाहर उछला और सफ़ेद मुर्गे में बदल गया जिस पर लिखा था “जावक” और दरवाज़े में दुबक गया. फ़ौरन भीतरी दरवाजों के पीछे से दीर्किन की चीख आई:
“पकड़ उसे, डाकू को!”, और चारों ओर से लोगों के भारी कदम धमधमाने लगे.
करत्कोव मुड़ा और भागने लगा.