Charumati Ramdas

Children Stories Action Children

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चुक और गेक -11

चुक और गेक -11

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11 


                                                       लेखक: अर्कादी गैदार

                                               अनुवाद: आ. चारुमति रामदास  


चौथे दिन सुबह मम्मा को खुद ही लकड़ियाँ तोड़नी पड़ीं. खरगोश तो कब का ख़त्म हो गया था, और उसकी हड्डियां मैगपाई उठा ले गए थे. खाने के लिए उन्होंने सिर्फ तेल और प्याज डालकर दलिया बनाया. ब्रेड भी ख़तम हो रही थी, मगर मम्मा ने आटा ढूंढा और केक बना लिया.

ऐसे खाने के बाद गेक उदास हो गया, और मम्मा को ऐसा लगा कि उसे बुखार हो गया है. 

मम्मा ने उसे घर में बैठने के लिए कहा और चुक को गरम कपड़े पहना कर बाल्टियां, और स्लेज लेकर वे बाहर निकले, ताकि पानी लायें, और साथ ही जंगल के किनारे से टहनियां लायें, जिससे सुबह भट्टी गरमाना आसान रहेगा.

गेक अकेला रह गया. उसने बहुत देर इंतज़ार किया. उसे बोरियत होने लगी, वह कुछ सोचने लगा.

...और मम्मा और चुक को देर हो गई. घर वापस लौटते हुए स्लेज उलट गई, बाल्टियां गिर गईं, और दुबारा झरने पर जाना पडा. फिर पता चला कि जंगल के किनारे पर चुक अपने गरम दस्ताने भूल आया है, और, आधे रास्ते से वापस लौटना पडा. जब तक दस्ताने ढूंढे, कुछ-कुछ करते रहे, शाम हो गई.

जब वे घर पहुंचे, गेक कॉटेज में नहीं था, पहले उन्होंने सोचा, कि गेक भेड़ की खाल वाले ओवरकोटों के पीछे छुप गया है. मगर, वो वहाँ नहीं था.

तब चुक चालाकी से मुस्कुराया और मम्मा से फ़ुसफ़ुसाकर बोला, कि गेक, बेशक, भट्टी के नीचे छुप गया है.

मम्मा को गुस्सा आ गया, और उसने गेक को हुक्म दिया कि बाहर आये. गेक ने कोई जवाब नहीं दिया.

तब चुक ने लंबा चिमटा लिया और उसे भट्टी के नीचे घुमाने लगा, मगर भट्टी के नीचे गेक नहीं था.

मम्मा परेशान हो गई, उसने दीवार के पास वाली खूंटी की ओर देखा. खूंटी पर न तो गेक का छोटा फ़र कोट था, ना ही उसकी टोपी.

मम्मा आँगन में आई, कॉटेज का चक्कर लगाया. दालान में आई, लालटेन जलाई. अँधेरे स्टोर रूम में देखा, ईंधन वाले शेड में देखा...

उसने गेक को आवाज़ दी, उस पर गुस्सा किया, उसे मनाया, मगर किसी ने भी जवाब नहीं दिया. बर्फ़ के ढेरों पर तेज़ी से अन्धेरा छा रहा था.

तब मम्मा झोंपड़ी में लपकी, उसने दीवार से बन्दूक खींची, कारतूस लिए, लालटेन पकड़ी और चुक को चिल्लाकर यह हुक्म देकर कि वह अपनी जगह से हिलने की हिम्मत न करे, वह भागकर आँगन में गई.

पिछले चार दिनों में काफ़ी पैरों के निशान कुचले गए थे.

मम्मा नहीं जानती थी कि गेक को कहाँ ढूंढे, मगर वह रास्ते की ओर भागी, क्योंकि उसे यकीन नहीं था कि गेक अकेला जंगल में जाने की हिम्मत करेगा.

रास्ते पर कोई नहीं था.

उसने बन्दूक में कारतूस भरी और चला दी. ध्यान से सुनती रही, और बार-बार गोलियां चलाती रही.

अचानक बिलकुल पास से जवाबी फ़ायर हुआ. कोई भागता हुआ उसकी सहायता के लिए आया.

वह भी मिलने के लिए भागना चाहती थी, मगर उसके फ़ेल्ट बूट बर्फ के ढेर में फंस गए. लालटेन बर्फ पर गिर गई, कांच टूट गया, और रोशनी बुझ गई.

वाचमैन के पोर्च से चुक की तेज़ चीख़ सुनाई दी.

ये, गोलियों की आवाज़ सुनकर चुक ने फैसला कर लिया, कि जो भेड़िये गेक को खा गए हैं, उन्होंने मम्मा पर हमला कर दिया है.

मम्मा ने लालटेन फेंक दी और, तेज़-तेज़ सांस लेते हुए घर की ओर भागी. उसने चुक को कॉटेज के भीतर धकेला, बंदूक कोने में फेंक दी और, डोंगे से बर्फ जैसा ठंडा पानी पी गई.

पोर्च के पास शोर होने लगा और खटखटाने की आवाज़ आई. दरवाज़ा पूरा खुल गया. कॉटेज में भागता हुआ कुत्ता आया, और उसके पीछे भाप में लिपटा वाचमैन आया.

"क्या मुसीबत हो गई? कैसी गोलीबारी है?" उसने बगैर अभिवादन किये और बगैर गरम कपडे उतारे पूछा.

"बच्चा खो गया," मम्मा ने कहा. उसकी आंखों से आंसुओं की धार बहने लगी और वह आगे एक भी शब्द न कह सकी.

"ठहरो, रोओ नहीं." वाचमैन गुर्राया. "कब खो गया? क्या बहुत देर हुई? थोड़ी देर पहले? ...वापस, स्मेली!" उसने चिल्लाकर कुत्ते से कहा. "बताइये भी, या मैं वापस जाऊँ?"

"एक घंटा पहले," मम्मा ने जवाब दिया. "हम पानी लाने गए थे. वापस आकर देखा तो वो नहीं है. उसने गर्म कपडे पहने और कहीं..."

"खैर, एक घंटे में ज़्यादा दूर नहीं जा सकता, और गर्म कपड़ों में फ़ौरन जम नहीं जाएगा...मेरे पास, स्मेली! ले, सूंघ! "

वाचमैन ने खूंटी से हुड खींचा और कुत्ते की नाक के पास गेक के गलोश सरकाए.

कुत्ते ने ध्यान से चीज़ों को सूंघा और समझदार आंखों से मालिक की तरफ देखा.

"मेरे पीछे!" दरवाज़ा खोलकर वाचमैन ने कहा. "चल, ढूंढ, स्मेली!"

कुत्ते ने अपनी पूंछ हिलाई और अपनी जगह पर खड़ा रहा,

"आगे बढ़!" वाचमैन ने सख्ती से दुहराया. "ढूंढ, स्मेली, ढूंढ!"

कुत्ते ने बेचैनी से नाक घुमाई, एक पैर से दूसरे पैर पर आया और हिला नहीं.

"ये क्या हरकत है?" वाचमैन को गुस्सा आ गया. और, दुबारा कुत्ते की नाक के नीचे गेक का हुड और गलोश लाकर उसने पट्टे से उसे खीचा.

मगर स्मेली वाचमैन के पीछे नहीं गया; वह गोल गोल घूमा, वापस मुडा और कॉटेज के दरवाजे के सामने वाले कोने की तरफ़ गया.

यहाँ वह लकड़ी के बड़े संदूक के पास रुका, अपने रोएंदार पंजे से उसके ढक्कन को खुरचने लगा और, मालिक की ओर मुड़कर, तीन बार जोर से और अलसाई हुई आवाज़ में भौंका.

तब वाचमैन ने बेचैन मम्मा के हाथ में बन्दूक थमाई, और पास जाकर संदूक का ढक्कन खोला.

संदूक में, हर तरह के चीथड़ों, भेड़ की खालों और थैलों के ढेर पर अपने कोट से ढंका और सिर के नीचे टोपी रखे, शांत, गहरी नींद में गेक सो रहा था.

जब उसे बाहर खींच कर जगाया गया, तो, अपनी उनींदी आंखों को फडफडाते हुए, वह समझ ही नहीं पाया कि उसके चारों और ये शोर और ये तूफानी खुशी किसलिए है. मम्मा उसे चूम रही थी और रो रही थी. चेक उसके हाथ-पैर खीच रहा था, उछल रहा था और चीख रहा था:

"एय-ल्या! एय-ली-ल्या!..."

झबरा कुत्ता स्मेली, जिसका मुँह चुक ने चूमा था, परेशानी से मुड़ा और, कुछ भी न समझ पाते हुए, हसरत से मेज़ पर पड़े हुए ब्रेड के तुकडे को देखते हुए हौले से अपनी भूरी पूंछ हिलाने लगा. 

शायद, जब मम्मा और चुक पानी लाने के लिए गए थे, तो बोरियत के कारण गेक ने शरारत करने की सोची. उसने अपना कोट और टोपी ली और संदूक के भीतर घुस गया. उसने सोचा कि जब वे वापस आकर उसे ढूंढेंगे, तो वह संदूक के भीतर से भयानक आवाज़ में चिल्लाएगा.

मगर चूंकि मम्मा और चुक को बहुत देर हो गई, तो संदूक में पड़े-पड़े उसकी आंख लग गई.

वाचमैन अचानक उठा, और उसने मेज़ के पास आकर एक भारी चाभी और मुड़ा-तुड़ा नीला लिफाफा रख दिया.

"ये लीजिये," उसने कहा. "ये आपके लिए कमरे की और स्टोर रूम की चाभी है और सुपरवाईज़र सिर्योगिन का ख़त है. वह अपने लोगों के साथ चार दिन बाद, नए साल तक, यहाँ पहुँच जाएगा."

तो, वह वहाँ गया था, ये खूसट, गंवार बूढा! कहा था, कि शिकार पर जा रहा हूँ, मगर स्की पर सवार होकर दूर स्थित अलकराश गया था.

लिफ़ाफ़ा बिना खोले, मम्मा उठी और कृतज्ञतापूर्वक बूढ़े के कंधे पर हाथ रखा.

उसने कोई जवाब नहीं दिया और गेक पर भुनभुनाने लगा कि उसने संदूक में स्की का डिब्बा गिरा दिया था, साथ ही मम्मा पर भी क्योंकि उसने लालटेन का कांच तोड़ दिया था. वह बड़ी देर तक जिद्दीपन से भुनभुनाता रहा, मगर अब कोई भी इस भले बूढ़े से नहीं डर रहा था. इस पूरी शाम मम्मा गेक के पास से नहीं हिली और ज़रा-ज़रा सी बात पर उसका हाथ पकड़ती रही, जैसे डर रही हो, कि वह कहीं फिर से गायब न हो जाए. और उसकी इतनी फ़िक्र करती रही कि चुक बुरा मान गया, उसे अफ़सोस भी हुआ कि वह भी क्यों नहीं संदूक में घुस गया.


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