साईकिल की सवारी
साईकिल की सवारी


विहान ने घर पहुंचते ही बाइक की चाबी दीवार पर लगे हुक में टांग दी और कपड़े बदलने अपने कमरे में चला गया।मां और नम्रता ने एक दूसरे की ओर तनिक आश्चर्य से देखा,आंखों - आंखों में पूछा ,आज सूरज किस दिशा से निकला था ?
अमूमन साहबजादे अंगूठे में चाबी का छल्ला फंसाए रहते हैं,इनका बस चले तो सारे काम बाइक पर ही हों।मुंह - हाथ धोकर विहान लिविंग रूम में आ गया।
मां से रहा नहीं गया,पूछ ही बैठी,अब कहीं जाना नहीं है,चाबी टांग दी है ?
मां,फिलहाल तो कहीं नहीं, मगर अब कहीं भी जाऊंगा तो कोशिश करूंगा कि साइकिल से या पैदल ही जाऊं।
खुशी के वेग को दबाती हुई सविता ने कहा," क्यों बेटा,कहीं चोट - वोट लग गई है क्या ?
मां,आज कॉलेज से लौटते हुए एक जगह भीड़ देखकर मैं भी रुक गया, जाने क्या हुआ हो।पास जाकर देखा तो एक 64 वर्ष के बुजुर्ग साइकिल पर बैठे हैं ,और कई नौजवान उन्हें घेरकर ,उनकी बातें ध्यान पूर्वक सुन रहे हैं।मालूम हुआ कि उन्होंने 21 वर्ष पूर्व यह प्रतिज्ञा की थी कि वे मोटर गाड़ी की और धुआं उत्पन्न करने वाले वाहनों की सवारी नहीं करेंगे,तब से यानी करीब 21 वर्षों से वे पर्यावरण को बचाने के लिए केवल साइकिल का ही प्रयोग करते हैं।
"क्या.. साइकिल से ही हर जगह जाते हैं,लंबी दूरी की यात्रा तो कष्टदायक होती होगी..और फिर उनकी इस मुहिम का लोगों पर कोई असर भी हुआ है ?"
"मां, आपकी तरह बहुत से लोगों ने यही बात पूछी ।उन्होंने निश्छल मुस्कान के साथ जवाब दिया,"मैं अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभा रहा हूं,मुझे इस बात का सुकून है।"
"आपको पूछना चाहिए था कि क्या कभी लंबी दूरी की यात्रा भी की है उन्होंने ?"अब तक चुप बैठी नम्रता ने पूछा।
" हां, हां, पूछा था, पता चला कि साइकिल द्वारा है वे हरिद्वार,वैष्णो देवी,राजस्थान में करौली माता के मंदिर,सालासर बालाजी,अजमेर शरीफ, पुष्कर, खाटू श्याम आदि धर्मस्थलों की यात्रा कर चुके हैं।
इसके साथ ही वे जहां - जहां जाते हैं,लोगों को पर्यावरण बचाने का संदेश देते हैं।"
"बेटा, क्या नाम है इन महापुरुष का ?"
मां,ये सुरेश मिश्र हैं,मालगोदम के, मुहल्ला तेली बजरिया के रहने वाले हैं।"
"बेटा,कितने लोग ऐसा कर सकते हैं... ?क्या इनके परिवार के लोग भी इनके काम की प्रशंसा करते हैं?"
"प्रशंसा ही नहीं , मां,वे भी उसी रास्ते पर चल रहे हैं।उनके दो पुत्र हैं और वे दोनों भी साइकिल से ही आते - जाते हैं।मां, मैने भी उनसे प्रेरित होकर प्रण लिया है कि अधिक से अधिक साइकिल का प्रयोग करुंगा और हो सके तो पैदल चलूंगा।"
नम्रता उठकर नाचती हुई बोली,"आज से हमारी सवारी साइकिल,पर्यावरण बचाना है,साइकिल वाले बाबा की मुहिम को आगे बढ़ाना है।"
"अरे वाह री छुटकी, यही नाम तो दिया है लोगों ने उन्हें, "साइकिल वाले बाबा।"