साहब भी और मैडम भी
साहब भी और मैडम भी
'इस साल घर मे वाइट वाश करना ही होगा' के संकल्प के साथ नंबर लिखवा दिया था। यह गवर्नमेंट क्वार्टर का सिस्टम है। वाइट वाश का टेंडर हो रहा था।
हाँ, तो मेरे घर का वाइट वाश का नंबर आया। शाम को मेरा कन्फर्मेशन लेकर अगली सुबह लेबर घर मे आये और अपना काम शुरू करने लगे।
में फटाफट बॉलकोनी में गयी क्योंकि मुझे डर था कि वे किसी भी जगह अपनी पुट्टी या रंग मिलाना ना शुरू कर दे।उनको मैंने सारे ज़रूरी इंस्ट्रुक्शन्स दे दिए। सारी लेबर झट झट अपने काम करने लगी।बीच बीच मे मैं उन्हें चाय और पानी देने के अलावा कुछ जरूरी इंस्ट्रुक्शन्स भी दे रही थी कि ये सामान काँच का है जरा एहतियात से उठाओ वगैरह वगैरह।
आज का काम ख़त्म होनेपर शाम को जाते वक़्त मैंने उन्हें फिर चाय दी।चाय पीते हुए उनमें से एक ने पूछा,"साहब नही दिख रहे मैडम? लगता है कही बाहर गए है।"
मैंने हँसते हुए कहा," मैं ही साहब हुँ और मैं ही मैडम हुँ इस घर मे।"
मेरे जैसी एक कुमारिका जो सरकारी अफसर हो और बड़े शहर में इंडीपेंडेंटली रहती हो वह किसी साहब और मैडम से कम है क्या ?
आप की क्या राय है ?