Kunda Shamkuwar

Tragedy

4.5  

Kunda Shamkuwar

Tragedy

जस्टिस

जस्टिस

3 mins
18


लिफ्ट से उतरकर चलते हुए उसने कहा, "मैडम, आप से कुछ बात करनी है..." "हाँ, कभी भी आ जाइये।" उसने कहा, " आप ऑफीस में बहुत ज्यादा बिजी रहती है। आप के बिजी स्केड्यूल और आप की मीटिंग्स..." "आज शाम को मिलते है।" कहते हुए मैं अपनी रूम में आयी और वह अपने रूम में चली गयी...

दिन भर के काम...वैसे भी हर मंडे बाकी दिन के मुकाबले कुछ ज्यादा ही हेक्टिक होता है...शाम को वह मैडम आयी... उनके चेहरें पर थकान पसरी थी। टेंशन्स से भी थकान दिखती है। मैनें इंटरकॉम पर ऑफीस स्टॉफ को चाय लाने के लिए कह दिया। "आप बहुत ज्यादा बिजी रहती है मैडम..." वह मुझे देखकर कहने लगी। मैनें कहा, "हाँ, काम तो करना ही है न?" थोड़ी ही देर में चाय आ गयी। चाय का घूँट लेते हुए मैनें कहा, "हाँ, आप कुछ कह रही थी। बताऐं, क्या बात है? सबेरे लिफ्ट में कुछ ज़िक्र कर रही थी आप।"

वह थोड़ा सकुचा रही थी। शायद वह लफ़्ज़ ढूँढ रही थी। थोड़े देर के बाद वह बोलने लगी, "मैडम, आप तो जानती ही है न मिस्टर कमल के साथ बहुत बड़ी ट्रेजेडी हुयी है। घर में यह दिक्कत है तो ऑफिस में बॉस भी उनको परेशान करते है। कितनी सारी बातें है...कभी ये तो कभी वो...वह लिखकर भी दे चुके है लेकिन कुछ नही हो रहा है।"

"हाँ, हाँ...बहुत बुरा हुआ उनके साथ... मैंने भी सुना है...उस दिन कमल जी आये थे लेकिन मैं बिजी थी तो ज्यादा बात नही कर पायी थी। मुझे पुरी बात का पता नही है। ज़रा डिटेल में बताएँगी आप?"

वह खामोश हो गयी...जैसे वह लफ़्ज़ों को इकट्ठा कर रही हो.. मैने कहा, "हाँ, कहिये अपनी बात...बेख़ौफ़ होकर..." वह रोने लगी..मैं हैरान होकर उनको देख रही थी.. वह अपने कलीग की परेशानी को बता नही पा रही थी बल्कि वह बताते हुए रो पड़ी थी...मेरे लिए यह एक अजीब सी बात थी...मैंने कहा, "छोड़िए, आप क्यों रो रही है? 

लेकिन उनके आँसू रुकने का नाम नही ले रहे थे। मैंने कहा, "आप तो बहुत स्ट्रॉन्ग हो...कही आप को भी तो वह परेशान नही करते है?"

उन्होंने ना में सिर हिलाया.. लेकिन मेरे अनुभवी नज़रों ने समझ लिया की मिस्टर कमल के बॉस वाकई में कमल जी को परेशान करते होंगे। क्योंकि यह मैडम बिना कुछ कहे बस रोये जा रही है।  

शाम ज्यादा गहराने लगी थी। मैंने कहा, "मैडम, आप चिंता न करे। मैं सर से इन बातों का ज़िक्र ज़रूर करूँगी। कुछ न कुछ पॉजिटिव ज़रूर होगा।"

"थैंक यू, मैडम.." कहकर वह जाने लगी। मुझे लगा की जाने से पहले मैं उनसे पूछ लेती कि मुझ पर इतना विश्वास करने का क्या कारण है? लेकिन मैं उनको बस जाते हुए देखने लगी....

जो भी हो मुझे इनके ट्रस्ट को मेंटेन करना ही होगा। मुझे सर से कमल जी के बॉस के बारे में ज़रूर बात करनी होगी...कमल जी को जस्टिस ज़रूर मिलना चाहिए...



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