जिंदगी का फॉर्म्युला
जिंदगी का फॉर्म्युला
"जिंदगी का कोई तय फॉर्म्युला नही होता है। किसी को कभी भी कोई भी पसंद आ सकता है..." वह मेरी ओर अचरज से देखने लगी, "कोई भी हमे कभी भी पसंद आ सकता है? मतलब...हमे... वह कुछ अटकते हुए कहने लगी... मै अपने इंडिपेंडेंट वाले थॉट प्रोसेस से कहने लगी, "हाँ, हाँ, क्यों नही.." मेरी वह मैरिड कलीग कुछ अविश्वास भरी नज़रों से मेरी ओर देखने लगी..."देखो, मेरे कहने का मतलब यह है कि हमे अगर कोई रेस्पेक्ट देकर बात करे वह अच्छा लग सकता है...अगर कोई हमे इम्पोर्टेंस देता है...हमे स्पेशल फील कराता है..हमारे लिए उसका लहज़ा क्या है...अगर वह केयरिंग है तब भी वह हमें अच्छा लग सकता है...किसी की आवाज़ अच्छी लग सकती है...देअर आर एन नंबर ऑफ थिंग्स। कब किसे क्या अच्छा लगेगा नो वन नोज़.... देयर इज नो फिक्स फॉर्म्युला इन आवर लाइफ...अँड आय थिंक धिस इज द ब्यूटी ऑफ लाइफ यू नो..."
वह शायद खुद को समाज के बनाये फ्रेम में देखने की आदी हो गयी थी...शायद औरतों की ब्रेन की कंडीशनिंग ही ऐसी की जाती है कि तुम्हे अगले घर जाना है। तुम ये करोगी और ये नही करोगी वगैरह।
लेकिन ऐसा भी नही की मैं कोई आज़ाद ख़याल हुँ जिसे समाज की परवाह नही है....लेकिन हाँ, मेरी अपनी एक इंडिपेंडेंट थॉट प्रोसेस है...मैं वह औरत हुँ जो अपनी बात रखना जानती है...मैं एक फेमिनिज्म को मानने वाली मॉडर्न औरत हुँ जो ऑफिस में प्रोफेशनल लेवल पर पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करना भी जानती है...