Pawan Gupta

Horror Tragedy Fantasy

4  

Pawan Gupta

Horror Tragedy Fantasy

रहस्य अध्याय 2

रहस्य अध्याय 2

20 mins
352


          R P F अधिकारी के जाते ही जब अभिमानु की नज़र जॉय पर पड़ी तो अभिमन्यु अपनी नज़रे उससे चुराने लगा ,क्युकि जॉय की नज़रो में अभिमन्यु के लिए बहुत से सवाल थे ,जिसे अभिमन्यु आसानी से पढ़ सकता था , जो इंसान 100 मीटर दूर फसी गाये को ट्रैन से देख सकता था तो जॉय तो उसके सामने था फिर जॉय के मन में पल रहे सवालो से अभिमन्यु अनजान कैसे रहता भला।

  इसलिए अभिमन्यु जॉय से अपनी आँखे चुराता हुआ उससे दूसरी बाते करने लगा , अभिमन्यु का दिमाग किसी भी बात को समझने में वक़्त नहीं लगता था, वो जानता था, अगर जॉय को मौका दिया तो वो सवालो की झड़ी लगा देगा इसलिए उसने दूसरी बात शुरू करते हुए बोला I अरे जॉय तुम्हें पता है हमारे देश की मूवी RRR जो की SS राजामौली की डायरेक्शन में बनीं है उसका एक गाना नाचो-नाचो ऑस्कर नॉमिनेटेड हुआ है ,यही नहीं उसे ओरिजिनल सॉन्ग के लिए ऑस्कर मिला है , भाई उसका नाचो-नाचो सॉन्ग पुरे विश्व में फेमस हो गया है,

अभिमन्यु को ये पता नहीं था कि जो लड़का उसके सामने मोटे चश्मे वाला बैठा है वो एक मास्टरमाइंड है वो कंप्यूटर और उसके गैजट्स का कीड़ा था वो बहुत बड़ा हैकर था जिसने नासा के सिस्टम को भी 3 मिनट के लिए हैक कर के सबको आश्चर्चकित कर दिया था , उसे नासा ने इस काम के लिए जॉब भी ऑफर किया पर जॉय अपने मन का मौजी था उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था न ही उसका कोई भी लछ्य था ,वो तो बहती हवा सा था जहा मन किया चला गया जहा मन हुआ ठहर गया ,उसे पैसे या किसी भी भौतिक वस्तुओं से लगाओ नहीं था सिवाए कम्प्यूटर और उससे जुड़े प्रोडक्ट के अलावा I

              जॉय अभिमन्यु की बातें सुन रहा था और उसकी आंखों में देख रहा था इस समय जॉय के होठों पर हलकी मुस्कराहट बिखरी हुई थी ,जैसे की मानो उसकी आँखें अभिमन्यु से ये बोलना चाहती हो कि रहने दे “अभि” मैं सब समझता हूँ बच्चा नहीं हूँ मैं.......

जॉय को पता था की अभि बात को टालने के लिए ही ऐसी बातें कर रहा है , जब अभिमन्यु ने जॉय की तरफ देखा तो जॉय के होंठों पर बिखरी मुस्कान से समझ गया की जॉय के दिमाग में क्या चल रहा है और वो ये सोच के चुप हो गया। अब दोनों ही चुप थे और अभिमन्यु अपनी बीती हुई जिंदगी की बातें सोचने लगा अचानक से वो उस पल में चला गया जब वो महज 7 साल का था उसने एक छोटा सा सफ़ेद कुरता और एक छोटी काली पैंट डाली हुई थी चेहरे पर मासूमियत भरी हलकी मुस्कान फैली थी I

      उसके पीछे एक बड़ा सा बंगला और अभिमन्यु उसी बंगले के लॉन में हरी चादर के सामान बिछी घास पर खेलता खुद को देख रहा था, कुछ ही दूरी पर उसके माता पिता बैठे हुए थे , उस लॉन में छार कुर्सियां और एक टेबल था जो की मेड इन फ्रांस था ,उस टेबल के बीच बड़ी सी छतरी लगी हुई थी और चार चार नौकर सफ़ेद वर्दी में आस पास खड़े नज़र आ रहे थे , वो थोड़े डरे सहमे भी नज़र आ रहे थे पर चेहरे पर कुछ मुस्कान सजाये हाथ बंधे खड़े थे I

     कुर्सी पर बैठे अभिमन्यु के पिता एक जाने माने बैरिस्टर थे बैरिस्टर रणधीर सिन्हा करीब छह फ़ीट के कद काठी थी उनकी पेट हल्का बहार था पर शरीर इसके बावजूद बहुत ही गठीला और चेहरा रोबदार था , इनके शहर नॉएडा में बहुत सी फैक्ट्रीज भी थी और ये एक सक्सेजफुल बैरिस्टर के साथ एक सक्सेस्फुल बिजनिसमैन भी थे , इनका रुतबा दिल्ली में भी कायम था ,और आखिर क्यों न हो पैसा ही इतना था कि इन्हे खुद भी पता नहीं था , और बगल में बैठी अभिमन्यु की माँ सावित्री डी एम थी , सावित्री जी की लम्बाई करीब 5.5 फ़ीट होगी रंग गोरा और उनकी आँखे हलकी नीली थी मानो की उनकी आँखे नील मणि के सामान हो और उनके चेहरे पर एक हलकी स्माइल हमेशा बिखरी रहती थी आज उनहोने ब्लैक कलर की कुर्ती पहनी हुई थी जिसके गले के पास गोल्डन कलर के धागों से बहुत ही सुन्दर कढ़ाई की हुई थी और साथ में ब्लैक जीन्स इनपर खूब खिल रहा था बाल की पोनी स्टाइल बनाई हुई थी और अपनी कुर्ती की बाजुओं को खींच के कलाइयों से ऊपर की हुई थी और अपनी दाहिने पैर को बाये पैर पर चढ़ा कर लॉन में लगी कुर्सी पर अपने पति रणधीर सिन्हा के साथ बैठी अपने बेटे अभिमन्यु को खेलते देखकर मुस्कुरा रही थी , पुरे नॉएडा की देखरेख इन्ही के पास था , इनके घरो में पुलिस वालो का आना लगा ही रहता था इनके बंगले के गेट पर भी हमेशा पुलिस वाले तैनात ही रहते थेI

       अभिमन्यु उस लॉन में खेलता गिरता और फिर उठता उसके पास एक फूटबाल था जिसके साथ वो खेल रहा था ,अभिमन्यु को खेलता देख उसके माता पिता बहुत खुस थे कि अचानक फुटबॉल के ऊपर अभिमन्यु का पैर पड़ा और अभिमन्यु फ़िसल कर सर के बल गिरते हुए चिल्लाता है माँ......

             तभी उसकी आवाज के साथ ही ट्रैन की हॉर्न की आवाज गूंजती है और अभिमन्यु अपने अतीत से निकल कर वर्तमान में आ जाता है , एक ट्रैन अभी अभी उनके ट्रैन के करीब से हॉर्न मारते हुए निकली थी जिसकी तीखी आवाज से अभिमन्यु अपने अतीत से वर्तमान में आ गया I उस समय उसका चेहरा पसीने से लथपथ था ,उसके चेहरे पर दर्द और डर दोनों साफ़ नज़र आ रहे थे , अभिमन्यु को इस प्रकार डरा हफ्ता हुआ देख कर जॉय तुरंत अपनी पानी की बोतल अभिमन्यु की तरफ बढ़ाते हुए बोला , अभि !....अभि !.... क्या हुआ रिलेक्स। ........ ! ये लो पानी पीलो !

       अभिमन्यु ने तुरंत पानी की बोतल लिया और बोतल को होठो से लगाते हुए पीने लगा ,जब पानी पीकर थोड़ा शांत हुआ तो अभिमन्यु ने धीरे से बोतल देते हुए कहा ! थैंक्स यार ........

   जॉय अभिमन्यु को आश्चर्य से देखते हुए बोला - अभि ! आर यू राइट ? ......... आखिर बात क्या है तुम्हारी तबियत तो ठीक है , अभिमन्यु ने कहा - यस ..... यस ..... आई एम आल राइट।

   तो यार अचानक से क्या हो गया था ? ऐसा लगा कि तुम यहाँ थे ही नहीं अचानक से उठे तो तुम्हारी हालत ख़राब थी , जॉय ने अभिमन्यु के पास बैठते हुए पूछा ?

     नहीं कुछ नहीं बस कुछ अतीत के पल है जो हमेशा मेरे खयालो में आकर परेशां करते है ,अभिमन्यु ने धीरे आवाज में जॉय से नज़रे चुराते हुए कहा , अभिमन्यु अपनी बाते अपना राज किसी के साथ शेयर नहीं करता था पर ....... पर पता नहीं क्यों अभिमन्यु को लगा की सारी बाते वो जॉय को बता दे ,

    जॉय ने अभिमन्यु के चेहरे को अपनी तरफ मोड़ते हुए बोला - अभि मेरी तरफ देख के बोलो बात क्या है ? अभिमन्यु उन लोगो में से था जो अपने बारे में न बताना चाहता है न किसी के बारे में जानना ......... अभिमन्यु ने कहा -नहीं भाई ऐसा कुछ भी नहीं है सब ठीक है बस थोड़ा पास्ट की बाते याद आ गई थी ,

             अब ठीक हो अभि....... जॉय ने थोड़ी चेहरे पर राहत भरी मुस्कान के साथ बोला I

   हां हां। ....... श्योर अभिमन्यु भी चेहरे पर मुस्कान लिए जबाब दिया, यार अभि तुझे पता है कि मैं कौन हूँ ?......... ये कहते हुए जॉय अपनी सीट पर जाकर बैठ गया , अभिमन्यु ये सुनते ही सचेत होकर सोचने लगा ये अच्छा है भाई यहाँ मैं अपनी बात पूछने पर भी बताने में असहज हूँ और एक ये है जो खुद से अपनी बात बता रहा है , अभिमन्यु ने कहा बता दो भाई कौन हो आप ?

    25 मई 2013 को रात को 01बज कर 05 मिनट -29 सेकेंड पर गूगल हिल गई थी मैंने गूगल को 51 सेकंड के लिए हैक किया था। संयुक्त राज्य अमेरिका में Google के अधिकारी पागल हो गए। लेकिन मै ने Google की सेवाओं को फिर से शुरू कर दिया और उन्हें अपनी वेबसाइट पर एक दोष के बारे में मेल किया जिसका उपयोग सिस्टम को हैक करने के लिए किया जा सकता था।"


इससे , 'गूगल ने अमेरिका में 12 घंटे तक मीटिंग की और अंत में मुझे हायर करने का फैसला किया और उन्हें सालाना 3.66 करोड़ रुपये के पैकेज के साथ ऑफर लेटर भेजा। मेरे पास पासपोर्ट नहीं था। और मैं किसी के बंदिशों में रहना नहीं चाहता था इसलिए मैं नहीं गयाI

   अभिमन्यु को लगा की जॉय युही ढींगे मार रहा है , अभिमानु ने गंभीर स्वर में कटाक्छ करते हुए बोला - बाई द वे जॉय तुम कितना पढ़े हो ?......... जॉय को समझते देर न लगी की अभि उसकी बातों को झूठ समझ रहा है मैं आईआईटी मणिपुर में बीटेक सेकेंड ईयर की पढ़ाई कर रहा हु।

   बाई द वे अभि........ Why don't you fact check on Google if you think I'm lying.

       अभिमन्यु नजरे चुराते हुए बोला नहीं यार ऐसी बात नहीं है , मुझे लगा कि तुम ये सब बातें मेरा मन बहलाने के लिए बोल रहे हो क्युकी मैं थोड़ा परेशान था , जॉय ने जबाब देते हुए कहा - अरे यार ये तो सच कि तुम्हारा मूड चेंज करने के लिए ही ये बात बताई पर ये बात सच है , सर्च करो........

     अभिमन्यु ने जेब से फ़ोन निकला जॉय तो पहले से गैजट प्रेमी था ऊपर से अभिमन्यु के पास गोल्ड प्लेटेड आई फ़ोन फोर्टीन एक्स प्रो देख कर मुँह खुला का खुला रह गया, अभिमन्यु देखने में साधारण परिवार का लड़का लगता था पर सच्चाई तो कुछ और थी , अभि wow ...... क्या मस्त फ़ोन है भाई ई ई...आई फ़ोन फोर्टीन एक्स प्रो वो भी गोल्ड प्लेटेड

     भाई तू तो बड़ी असामी है या चोरी का माल है अभि...... जॉय के मुँह में जो आया वो बोल गया , अभि के चेहरे पर हलकी मुस्कान बिखर गई और अभिमन्यु ने फ़ोन को जॉय की तरफ बढ़ाते हुए कहा आप तो हेक्कर हो चेक कर लो फ़ोन मेरा है या चोरी का.....

         जॉय ने लपककर अभिमन्यु से उसका फ़ोन ले लिया, वो ये भी भूल गया कि अभिमन्यु को उसने बोला था कि वो सच्चाई का पता लगा ले ,और उसी सच्चाई को जानने के लिए अभिमन्यु ने अपना फ़ोन जेब से निकाला था , जॉय फ़ोन को लेकर बहुत एक्साइटेड था उसने जैसे ही फ़ोन लिया उसके दूसरे ही पल अभी की तरफ फ़ोन को बढ़ाते हुए बोला -अभि भाई......... प्लीज़ अनलॉक कर दो अभिमन्यु ने मुस्कुराते हुए बोला हैकर भाई खुद से अनलॉक भी नहीं कर सकते क्या ...... ? 

     जॉय ने अपनी एक्साइटमेंट को बरक़रार रखते हुए जबाब दिया - बॉस जरूर मैं इसे भी अनलॉक कर सकता हु पर ये मेरे दोस्त का फ़ोन है इसके साथ हैकिंग ठीक नहीं है पता नहीं क्या क्या पर्सनल डाटा हो I अभिमन्यु फ़ोन अनलॉक करते हुए बोला कुछ भी पर्सनल नहीं है भाई ये लो फ़ोन..... अभिमन्यु ने फ़ोन को अनलॉक करके जॉय की तरफ बढ़ा दिया , जैसे ही फ़ोन जॉय के हाथो में गया और जॉय की नज़र फ़ोन के स्क्रीन पर पड़ी तो वो शॉक रह गया ..... उसने हकलाते हुए अभिमन्यु से बोला अरे भ .. भाई ये सावित्री मैडम है न ..... नॉएडा की डी एम् डिस्ट्रिक मजिस्ट्रेट .......और ये......... ये कौन है इनकी बगल में.......? जॉय ने उत्सुकता के साथ पूछा........

    रणधीर सिन्हा ….. अभिमन्यु ने मुँह बनाते हुए बोला I    रणधीर सिन्हा…….. रणधीर सिन्हा…. ये नाम तो…. मैंने शायद सुना है ओ यार ये नाम याद नहीं आ रहा....अपने दिमाग पर जोर देते हुए जॉय बोलता है कहा सुना है…… यार याद नहीं आ रहा अपने सिर को अपने हाथों पर टिका कर सिर नीचे किये वो सोचने लगा, इस समय वो गहन चिंतन में लग रहा था , ट्रैन की सीट पर बैठा हुआ अपने हाथों को अपने घुटनो पर टिकये हुए अपने सिर को अपने हाथों की हथेलियों पर रखे सोच की गहन मुद्रा में चला गया , धीरे धीरे दोहरा भी रहा था ये नाम कहा पढ़ा है ,कहा सुना है याद नै आ रहा ....... तभी एक आवाज गुंजी बैरिस्टर रणधीर सिन्हा I

     ये आवाज अभिमन्यु की ही थी , जॉय की तभी आवाज आई ओ यस........यस आई न्यू इट……… बैरिस्टर रणधीर सिन्हा I

पुरे एशिया के जाने माने अमीर लोगों में से एक सिन्हा टेक्सटाइल , सिन्हा रेफ़ीनारिस ,सिन्हा सर्विसेज पता नहीं कितने इनके बिजनैस है ये तो कई लोगों को पता भी नहीं होगा , इनकी फोटो ......... अभि तेरे फ़ोन में ? क्या तू इनकी तरह बिजनैसमैन बनना चाहता है , ये तेरे मेंटोर है क्या ?..... इनसे ही तू मोटिवेशन लेता है क्या भाई......... अच्छा है , कोशिश कर। ....... कोशिस करने वालो की हार नहीं होती। ........ भाई तू कोशिश कर रणधीर सिन्हा नहीं बन सका तो भी उनके यहाँ काम कर लेना….. हा .... हा .... हा .... हा .... ये कहकर जॉय हस पड़ा ,जॉय को नहीं पता था कि वो किसके ऊपर हस रहा है, अभिमन्यु ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए धीरे से बोला जॉय ये मेरे मॉम डैड है

        ये सुनते ही जॉय की हसीं मानो कही गायब ही हो गई जॉय का चेहरा गंभीर हो गया जैसे की वो ये सुनते ही डर गया हो,

अनयास ही जॉय अपने सीट से खड़ा होते हुए हाथो को कान की तरफ ले जाते हुए बोला- स… स…. सॉरी… सर आई ऍम रियली सॉरी कान पकड़ते देख अभिमन्यु ने उसके हाथो को रोकते हुए बोला नहीं यार बस इसीलिए मैं उनलोगो क नाम का सहारा नहीं लेता मुझे खुद की इज्जत चाहिए न की मेरे पैरेंट की बनाई हुई इज़्जत ?

इन बातों के बाद सब शांत हो गया था बस ट्रैन की चलने की आवाजें आ रही थी , दोनों की जुबान इस कदर शांत थी जैसे मानो तेज आंधी और बारिश के बीत जाने के बाद मौसम शांत हो जाता है, चुप्पी को तोड़ते हुए जॉय ने कहा - अभि ये सब छोड़ो तुम ये बताओ की तुम कहा जा रहे हो आगे क्या करने का इरादा है

    कुछ खास नहीं मुझे तो दुनिया एक्स्प्लोर करना है बट ....? जॉय ने टोकते हुए बोला- बट व्हॉट ? अभिमन्यु ने कहां- कुछ नहीं एक अंजना लेटर मेरे पास आया था , वो लेटर बहुत ही दिलचस्प था , उस लेटर के लिफाफे पर एक बड़ा सा पुराना सा मंदिर बना हुआ है और जब तक वो लिफाफा किसी और क पास रहता है या कही और होता है वो एक दम नार्मल एक मंदिर की तस्वीर नज़र आती है पर जब वो मेरे हाथ में आती है तो उसमें से एक अजीब आवाज आती है शायद शंख की आवाज जैसे और फिर उस मंदिर के दरवाजे खुलते है और उसमें एड्रेस के साथ लिखा हुआ दिखता है कि अभिमन्यु इस एड्रेस पर आ जाओ तुम्हारी जरूरत हैI

   ये सारी बातें जॉय ध्यान से सुन रहा था , अभिमन्यु की बातें जैसे ही समाप्त हुई जॉय अपना बैग टटोलने लगा और उसमे से एक निकला , वो लिफाफा हूबहू वैसा ही था जैसा की अभिमन्यु अभी जॉय को बता रहा था , जॉय ने वो लिफाफा अभिमन्यू की तरफ बढ़ाते हुए बोला - भाई ऐसा ही लिफाफा है क्या ?

   जब तक जॉय के हाथों में वो लिफाफा रहा उसमे से शंख बजने की आवाज आ रही थी और उसी प्रकार उस लिफाफे पर छपे मंदिर का गेट खुल रहा था और उसके अंदर से शब्द निकल कर सामने आ रहे थे जिसमे कामाख्या मंदिर (असम की राजधानी दिसपुर के पास गुवाहाटी से ८ किलोमीटर दूर) कामाख्या के किसी जगह का अड्रेस बार बार आता और आगे लिखा होता जॉय इस एड्रेस पर आ जाओ तुम्हारी जरूरत हैI

ये देखते ही अभिमन्यु ने वो लिफाफा हाथो से ले लिया पर लेते ही उस लिफाफे पर आने वाला सन्देश बदल गया अब इसपर पुनः लिखा आने लगा - अभिमन्यु इस एड्रेस पर आ जाओ तुम्हारी जरूरत हैI अभिमन्यु आश्चर्य से बोला जॉय तुझे भी मिला है ये..........

      जॉय ने सोचते हुए बोला - हाँ.... अभि , अभि मुझे लगता है कि ये सिर्फ हमें नहीं और भी लोगों को मिला होगा जो वही जाकर पता चलेगा,

     दोनों को ये सारी चीजे बहुत ही रहयमयी प्रतीत हो रही थी इसलिए दोनों ने इस लिफाफे पर दिए हुए जगह के बारे में संपूर्ण जानकारी के लिए गूगल पर पता लगाने का सोचने लगे, जॉय ने अभिमन्यु को बोला - अभी फ़ोन निकाल देखते है शायद गूगल पर इस अड्रेस के बारे में कुछ इनफार्मेशन मिल जाए , इन दोनों ने कभी कामाख्या के बारे में सुना भी नहीं था, अभिमन्यु अपना फ़ोन जॉय की तरफ बढ़ाते हुए बोला - जॉय फाइंड आउट इनफार्मेशन ऑफ़ दिस प्लेस ?

      जॉय ने कहा -ओके श्योर…… और आगे गूगल पर प्राप्त इनफार्मेशन पढ़ने लगा…….

  कामाख्या मंदिर असम की राजधानी दिसपुर के पास गुवाहाटी से ८ किलोमीटर दूर कामाख्या में है। कामाख्या से भी १० किलोमीटर दूर नीलाचल पव॑त पर स्थित है। यह मंदिर शक्ति की देवी सती का मंदिर है। यह मंदिर एक पहाड़ी पर बना है व इसका महत् तांत्रिक महत्व है। प्राचीन काल से सतयुगीन तीर्थ कामाख्या वर्तमान में तंत्र सिद्धि का सर्वोच्च स्थल है। पूर्वोत्तर के मुख्य द्वार कहे जाने वाले असम राज्य की राजधानी दिसपुर से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नीलांचल अथवा नीलशैल पर्वतमालाओं पर स्थित मां भगवती कामाख्या का सिद्ध शक्तिपीठ सती के इक्यावन शक्तिपीठों में सर्वोच्च स्थान रखता है। यहीं भगवती की महामुद्रा (योनि-कुण्ड) स्थित है। ये अष्टादश महाशक्तिपीठ स्तोत्र के अन्तर्गत है जो आदि शंकराचार्यने लिखा था। देश भर मे अनेकों सिद्ध स्थान है जहाँ माता सुक्ष्म स्वरूप मे निवास करती है प्रमुख महाशक्तिपीठों मे माता कामाख्या का यह मंदिर सुशोभित है हिंगलाज की भवानी, कांगड़ा की ज्वालामुखी, सहारनपुर की शाकम्भरी देवी, विन्ध्याचल की विन्ध्यावासिनी देवी,श्रीबाग(अलिबाग) की श्री पद्माक्षी रेणुका देवी आदि महान शक्तिपीठ श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र एवं तंत्र- मंत्र, योग-साधना के सिद्ध स्थान है। यहाँ मान्यता है, कि जो भी बाहर से आये भक्तगण जीवन में तीन बार दर्शन कर लेते हैं उनके सांसारिक भव बंधन से मुक्ति मिल जाती है । " या देवी सर्व भूतेषू मातृ रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।

     ये मंत्र पढ़ते ही दोनों के शरीर में अपार ऊर्जा महसूस हुई , और शरीर हल्का महसूस होने लगा , इसके बाद फिर वो आगे पढ़ने लगे उस जगह के बारे में I

पौराणिक सत्य है कि अम्बूवाची पर्व के दौरान माँ भगवती रजस्वला होती हैं और मां भगवती की गर्भ गृह स्थित महामुद्रा (योनि-तीर्थ) से निरंतर तीन दिनों तक जल-प्रवाह के स्थान से रक्त प्रवाहित होता है। यह अपने आप में, इस कलिकाल में एक अद्भुत आश्चर्य का विलक्षण नजारा है। कामाख्या तंत्र के अनुसार -

योनि मात्र शरीराय कुंजवासिनि कामदा।

रजोस्वला महातेजा कामाक्षी ध्येताम सदा॥

शरणागतदिनार्त परित्राण परायणे ।

सर्वस्याति हरे देवि नारायणि नमोस्तु ते ।।

इस बारे में `राजराजेश्वरी कामाख्या रहस्य' एवं `दस महाविद्याओं' नामक ग्रंथ के रचयिता एवं मां कामाख्या के अनन्य भक्त ज्योतिषी एवं वास्तु विशेषज्ञ डॉ॰ दिवाकर शर्मा ने बताया कि अम्बूवाची योग पर्व के दौरान मां भगवती के गर्भगृह के कपाट स्वत ही बंद हो जाते हैं और उनका दर्शन भी निषेध हो जाता है। इस पर्व की महत्ता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूरे विश्व से इस पर्व में तंत्र-मंत्र-यंत्र साधना हेतु सभी प्रकार की सिद्धियाँ एवं मंत्रों के पुरश्चरण हेतु उच्च कोटियों के तांत्रिकों-मांत्रिकों, अघोरियों का बड़ा जमघट लगा रहता है। तीन दिनों के उपरांत मां भगवती की रजस्वला समाप्ति पर उनकी विशेष पूजा एवं साधना की जाती है।

 

कामाख्या मन्दिर परिसर

कामाख्या के शोधार्थी एवं प्राच्य विद्या विशेषज्ञ डॉ॰ दिवाकर शर्मा कहते हैं कि कामाख्या के बारे में किंवदंती है कि घमंड में चूर असुरराज नरकासुर एक दिन मां भगवती कामाख्या को अपनी पत्नी के रूप में पाने का दुराग्रह कर बैठा था। कामाख्या महामाया ने नरकासुर की मृत्यु को निकट मानकर उससे कहा कि यदि तुम इसी रात में नील पर्वत पर चारों तरफ पत्थरों के चार सोपान पथों का निर्माण कर दो एवं कामाख्या मंदिर के साथ एक विश्राम-गृह बनवा दो, तो मैं तुम्हारी इच्छानुसार पत्नी बन जाऊँगी और यदि तुम ऐसा न कर पाये तो तुम्हारी मौत निश्चित है। गर्व में चूर असुर ने पथों के चारों सोपान प्रभात होने से पूर्व पूर्ण कर दिये और विश्राम कक्ष का निर्माण कर ही रहा था कि महामाया के एक मायावी कुक्कुट (मुर्गे) द्वारा रात्रि समाप्ति की सूचना दी गयी, जिससे नरकासुर ने क्रोधित होकर मुर्गे का पीछा किया और ब्रह्मपुत्र के दूसरे छोर पर जाकर उसका वध कर डाला। यह स्थान आज भी `कुक्टाचकि' के नाम से विख्यात है। बाद में मां भगवती की माया से भगवान विष्णु ने नरकासुर असुर का वध कर दिया। नरकासुर की मृत्यु के बाद उसका पुत्र भगदत्त कामरूप का राजा बना। भगदत्त का वंश लुप्त हो जाने से कामरूप राज्य छोटे-छोटे भागों में बंट गया और सामंत राजा कामरूप पर अपना शासन करने लगा।

नरकासुर के नीच कार्यों के बाद एवं विशिष्ट मुनि के अभिशाप से देवी अप्रकट हो गयी थीं और कामदेव द्वारा प्रतिष्ठित कामाख्या मंदिर ध्वंसप्राय हो गया था।

पं. दिवाकर शर्मा ने बतलाया कि आद्य-शक्ति महाभैरवी कामाख्या के दर्शन से पूर्व महाभैरव उमानंद, जो कि गुवाहाटी शहर के निकट ब्रह्मपुत्र 'नद' के मध्य भाग में टापू के ऊपर स्थित है, का दर्शन करना आवश्यक है। यह एक प्राकृतिक शैलदीप है, जो तंत्र का सर्वोच्च सिद्ध सती का शक्तिपीठ है। इस टापू को मध्यांचल पर्वत के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यहीं पर समाधिस्थ सदाशिव को कामदेव ने कामबाण मारकर आहत किया था और समाधि से जाग्रत होने पर सदाशिव ने उसे भस्म कर दिया था। भगवती के महातीर्थ (योनिमुद्रा) नीलांचल पर्वत पर ही कामदेव को पुन जीवनदान मिला था। इसीलिए यह क्षेत्र कामरूप के नाम से भी जाना जाता है।

इस मंदिर में प्रतिवर्ष अम्बुबाची मेले का आयोजन किया जाता है। इसमें देश भर के तांत्रिक और अघौरी हिस्सा लेते हैं। ऐसी मान्यता है कि ‘अम्बुबाची मेले’ के दौरान मां कामाख्या रजस्वला होती हैं, और इन तीन दिन में योनि कुंड से जल प्रवाह कि जगह रक्त प्रवाह होता है । ‘अम्बुबाची मेले को कामरूपों का कुंभ कहा जाता है। मासिक धर्म, एक स्त्री की पहचान है, यह उसे पूर्ण स्त्रीत्व प्रदान करता है। लेकिन फिर भी हमारे समाज में रजस्वला स्त्री को अपवित्र माना जाता है। महीने के जिन दिनों में वह मासिक चक्र के अंतर्गत आती है, उसे किसी भी पवित्र कार्य में शामिल नहीं होने दिया जाता, उसे किसी भी धार्मिक स्थल पर जाने की मनाही होती है।

    यह मंदिर तांत्रिक सिद्धियां प्राप्त करने के लिए प्रसिद्ध है। यहां तारा, धूमवती, भैरवी, कमला, बगलामुखी आदि तंत्र देवियों की मूर्तियां स्थापित हैं। कामाख्या देवी मंदिर पुन: निर्माण इस मंदिर को सोलहवीं शताब्दी में नष्ट कर दिया गया था लेकिन बाद में कूच बिहार के राजा नर नारायण न सत्रहवीं शताब्दी में इसका पुन: निर्माण करवाया था।

नीलांचल पर्वत के बीचो-बीच स्थित कामाख्या मंदिर गुवाहाटी से करीब 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर प्रसिद्ध 108 शक्तिपीठों में से एक है। माना जाता है कि पिता द्वारा किए जा रहे यज्ञ की अग्नि में कूदकर सती के आत्मदाह करने के बाद जब महादेव उनके शव को लेकर तांडव कर रहे थे,

तब भगवान विष्णु ने उनके क्रोध को शांत करने के लिए अपना सुदर्शन चक्र छोड़कर सती के शव के टुकड़े कर दिए थे। उस समय जहां सती की योनि और गर्भ आकर गिरे थे, आज उस स्थान पर कामाख्या मंदिर स्थित है।

इसके अलावा इस मंदिर को लेकर एक और कथा चर्चित है। कहा जाता है कि एक बार जब काम के देवता कामदेव ने अपना पुरुषत्व खो दिया था तब इस स्थान पर रखे सती के गर्भ और योनि की सहायता से ही उन्हें अपना पुरुषत्व हासिल हुआ था। एक और कथा यह कहती है कि इस स्थान पर ही शिव और पार्वती के बीच प्रेम की शुरुआत हुई थी। संस्कृत भाषा में प्रेम को काम कहा जाता है, जिससे कामाख्या नाम पड़

इस मंदिर के पास मौजूद सीढ़ियां अधूरी हैं, इसके पीछे भी एक कथा मौजूद है। कहा जाता है एक नरका नाम का राक्षस देवी कामाख्या की सुंदरता पर मोहित होकर उनसे विवाह करना चाहता था। परंतु देवी कामाख्या ने उसके सामने एक शर्त रख दी।

कामाख्या देवी ने नरका से कहा कि अगर वह एक ही रात में नीलांचल पर्वत से मंदिर तक सीढ़ियां बना पाएगा तो ही वह उससे विवाह करेंगी। नरका ने देवी की बात मान ली और सीढ़ियां बनाने लगा। देवी को लगा कि नरका इस कार्य को पूरा कर लेगा इसलिए उन्होंने एक तरकीब निकाली।

उन्होंने एक कौवे को मुर्गा बनाकर उसे भोर से पहले ही बांग देने को कहा। नरका को लगा कि वह शर्त पूरी नहीं कर पाया है, परंतु जब उसे हकीकत का पता चला तो वह उस मुर्गे को मारने दौड़ा और उसकी बलि दे दी। जिस स्थान पर मुर्गे की बलि दी गई उसे कुकुराकता नाम से जाना जाता है। इस मंदिर की सीढ़ियां आज भी अधूरी हैं।

कामाख्या देवी को ‘बहते रक्त की देवी’ भी कहा जाता है, इसके पीछे मान्यता यह है कि यह देवी का एकमात्र ऐसा स्वरूप है जो नियमानुसार प्रतिवर्ष मासिक धर्म के चक्र में आता है। सुनकर आपको अटपटा लग सकता है लेकिन कामाख्या देवी के भक्तों का मानना है कि हर साल जून के महीने में कामाख्या देवी रजस्वला होती हैं और उनके बहते रक्त से पूरी ब्रह्मपुत्र नदी का रंग लाल हो जाता है।

इस दौरान तीन दिनों तक यह मंदिर बंद हो जाता है लेकिन मंदिर के आसपास ‘अम्बूवाची पर्व’ मनाया जाता है। इस दौरान देश-विदेश से सैलानियों के साथ तांत्रिक, अघोरी साधु और पुजारी इस मेले में शामिल होने आते हैं। शक्ति के उपासक, तांत्रिक और साधक नीलांचल पर्वत की विभिन्न गुफाओं में बैठकर साधना कर सिद्धियां प्राप्त करने की कोशिश करते हैं

कामाख्या मंदिर को वाममार्ग साधना के लिए सर्वोच्च पीठ का दर्जा दिया गया है। ऐसा माना जाता है कि मछन्दरनाथ, गोरखनाथ, लोनाचमारी, ईस्माइलजोगी आदि जितने भी महान तंत्र साधक रहे हैं वे सभी इस स्थान पर साधना करते थे, यहीं उन्होंने अपनी साधना पूर्ण की थी।

भक्तों और स्थानीय लोगों का मानना है कि अम्बूवाची पर्व के दौरान कामाख्या देवी के गर्भगृह के दरवाजे अपने आप ही बंद हो जाते हैं और उनका दर्शन करना निषेध माना जाता है। पौराणिक दस्तावेजों में भी कहा गया है कि इन तीन दिनों में कामाख्या देवी रजस्वला होती हैं और उनकी योनि से रक्त प्रवाहित होता है।– तंत्र साधनाओं में रजस्वला स्त्री और उसके रक्त का विशेष महत्व होता है इसलिए यह पर्व या कामाख्या देवी के रजस्वला होने का यह समय तंत्र साधकों और अघोरियों के लिए सुनहरा काल होता है।


पूरी रात ये दोनों कामाख्या की बाते करते रहे वहाँ के बारे में पढ़ते रहे। आखिर ये दोनों कौन है? क्या है इनकी सच्चाई ? वो लिफाफा क्या है कोई अनहोनी का संकेत नहीं ? जानने के लिए पढ़े रहस्य का अगला भाग



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