Pawan Gupta

Horror Tragedy Fantasy

4.5  

Pawan Gupta

Horror Tragedy Fantasy

रहस्य (भाग-1)

रहस्य (भाग-1)

16 mins
289


ट्रेन धड़क धड़क.......की आवाज के साथ करीब 90km/h की रफ़्तार से चली जा रही थी, कोच न.- S5 में कई लोग बैठे आपस में बातें कर रहे थे, एक नया नवेला बंगाली जोड़ा जो दिल्ली से शादी के बाद अपने गांव जा रहे थे I एक बूढी अम्मा जो कि बिधवा थी और दुखी भी दिखाई दे रही थे, एक बिहार की फॅमिली अपने 5 बच्चो के साथ जिसमे तीन लड़के और दो लड़किया थी और सबसे छोटा बच्चा लड़का था जो तक़रीबन 1 साल का रहा होगा I और एक लड़की जिसकी उम्र तक़रीबन 17 साल के आसपास होगी लम्बाई करीब-करीब 5 फ़ीट 2 इंच रहा होगा उसके बाल घने काले घुंघराले से.... कमर से थोड़े ऊपर तक रहे होंगे वो लड़की इतनी सुन्दर थी की मानो चाँद को खूबसूरती में मात दे रही हो उसकी बड़ी बड़ी आँखे और उसमे लगी बादलो के सामान काजल सबको आकर्षित कर रही थी उसके होठ गुलाब के पंखुड़ियों की तरह प्रतीत हो रही थी चेहरे पर एक अजीब सी चमक थी जो किसी योगी के चेहरे में हो उसने इंडियन आर्मी की पैन्ट और ऊपर वाइट टी शर्ट के साथ ब्लैक जीन्स की जैकेट डाली हुई थी उसके कलाई पर बहुत से कलावे बंधे थे जो की पूजा के बाद हिन्दू परंपरा में बांधे जाते है, उसकी हथेलिया एक दम सुन्दर थी जिसपर उसके लम्बे नाख़ून जो की ब्लैक नेलपॉलिश से सजे हुए थे जिस कारण वे बहुत ही मोहक लग रहे थे I उसने अपने गले में एक पेन्डेन्ट वाली गोल्ड की चैन डाली हुई थी उस चैन में लगी पेंडंट कुछ चमगादड़ की आकृति में बानी हुई थी जो देखने में बहुत महंगी लग रही थी I

वो पूरी दुनिया को भुलाकर अपने खिड़की वाली सीट पर खोई-खोई सी बैठी हुई थी, उसने अपने बाए पैर के ऊपर अपने दाहिने पैर को चढ़ा के बैठी हुई थी, और अपने सुन्दर से चेहरे को अपने सुन्दर हाथो पर टिकाये हुए ट्रैन की खिड़की से बहार देखी जा रही थी, उसे जो भी देखता उसकी नज़र उसपर टिक सी जाती, पर वो अपनी ही दुनिया में खोई थी.

उसी ट्रैन के कोच न.S6 में एक लड़का ट्रैन की गेट पर खड़ा था उसके बाल तेज हवा के कारण लहरा रहे थे, वो लड़का गेहुए रंग का रहा होगा लम्बाई 5.2 इंच और सामान्य शारीरिक रचना का व्यक्ति था, वो भी अपनी दुनिया में खोया हुआ सिर्फ ट्रैन के दरवाजे पर खड़ा बाहर ही देख रहा था,

अचानक ट्रेन ब्रेक की आवाज करते हुए एक सुनसान जगह पर रुकी, इस समय शाम के करीब 8 बज रहे होंगे, लेकिन जहां ट्रेन रुकी, वहां न किसी तरह की रोशनी थी, न घर, सिर्फ खेत और जंगल दिखाई दे रहे थे। और केवल कीड़ों की आवाज सुनाई दे रही थी. इसके अलावा अगर कुछ नज़र आया तो वो है जुगनू ही जुगनू ...

तभी अचानक उस लड़की के आँखों से आंसू आने लगे और लड़की अचानक से सीधी हो गई जैसे की वो गहरी नींद से जगी हो, पर अभी तो दोपहर हो रहे थे उसने तुरंत अपनी कलाई पर बंधी घड़ी को देखी घडी में अभी 3:10 हो रहे थे, ये सायद उस लड़की का आभास था, वो लड़की कुछ मिनटों में सहज हुई तो अपने जेब से रुमाल निकाल के अपने चेहरे को साफ़ की और गहरी सास ली. सबकी नज़र उसके ऊपर ही थी. वो ये सब देख के फ्रेश होने चली गई. पर S5 के सभी नल ख़राब थे तो वो S6 कोच में घूमते हुए पहुंच गई,वहा उसे पानी का नल ठीक हालत में मिला फ्रेश होने के बाद जब वो वापस आने लगी तो उसे वही लड़का ट्रैन की गेट पर नज़र आया, ये लड़का उसे अभी अभी उसके आभास में भी दिखा था पर कैसे....

वो लड़की यही सोचते हुए अपने सीट पर आकर बैठ जाती है पर उसके जहन में यही बात घूम रही थी कि यह कैसे हुआ तभी करीब 3:35 तक ट्रैन ब्रेक लगाते हुए एक स्टेशन पर रूकती है, स्टेशन पर लगे स्पीकर में अनाउंसमेंट हुआ (नई दिल्ली से बनारस के रस्ते डिब्रूगढ़ जाने वाली ट्रैन जिसकी गाड़ी संख्या 20504 डिब्रूगढ़ राजधानी एक्सप्रेस प्लेटफ्रॉम न. 6 पर खड़ी है) लड़की ने खिड़ी से बहार देखा तो ये ट्रैन बनारस स्टेशन पर खड़ी थी I

 लोगो की भीड़ ट्रैन पर चढ़ने के लिए ट्रैन के रुकते ही अंदर घुसने के लिए धक्का मुक्की करते नजर आये I उसी भीड़ में उस ट्रैन में एक अघोरी भी चढ़ता हुआ उस लड़की को नज़र आया उस अघोरी को देखते ही उस लड़की के सिर में एक दर्द उभर आया, ट्रैन 10 मिनट रुकने के बाद फिर डिब्रूगढ़ की तरफ चल पड़ी।

 ट्रैन वाराणसी रेलवे स्टेशन से निकल कर धीरे-धीरे छुक-छुक की आवाज के साथ अपनी रफ़्तार पकड़ने लगी और दूसरी तरफ वाराणसी में ट्रैन पर चढ़ने वाले सारे यात्री अपनी- अपनी सीट न. के हिसाब से अपनी अपनी जगह ढूंढ कर अपने सामान को रखने और अपने सीट पर बैठने लगे, उस अघोरी के पास सायद टिकट न था, वो वही गेट के पास ही एक साइड ट्रैन की दिवार का टेक लेकर बैठ गया, शायद वो ज्यादा थका हुआ था पैरो में धूल को देखकर ये आसानी से समझा जा सकता था कि वह काफी दूर से पैदल आ रहा है, पुरे चेहरे और शरीर पर चिता की राख़ लगाया हुआ था, उसकी दाढ़ी और मुछे बहुत बड़ी और जटाओ में बंधी थी उसके दाढ़ी और बालो का रंग करीब - करीब आधा सफ़ेद और आधा काले रहे होंगे, उसके बालो में जटाएं बनी हुई थी जो कि गोंद से भरे चिपचिपे पेड़ की जड़ो के सामान थीI

उसने अपने सरीर पर किसी भी प्रकार के वस्र धारण नहीं किये थे बस कमर से निचे एक धोती के आकर का केसरिया रंग का कपडा लपेट रखा था और गले में छोटे बड़े करीब एक दर्जन रूद्राक्छ मालाये धारण किये हुए था जिसमे कुछ मालाएं हड्डियों से बनी थी जिसमे चमगादड़ की हड्डी कुत्ते की हड्डी और अलग-अलग प्रकार की हड्डियों से बनी मालाओं को धारण किया हुआ था उसकी आँखे सुर्ख लाल थी और कंधे पर एक गेरुआ रंग का झोला टाँग रखा था, इस अघोरी को भी देखकर लोगो की नज़रे उसपर ठहर जाती उसके चेहरे में एक तेज़ था और वह अपने भेष-भूषे से डर का एहसास लोगो को करा रहा था, और अघोरी शांत एक जगह बैठा आराम करने लगा।

वाराणसी रेलवे स्टेशन से एक और यात्री चढ़ा था,जो की ट्रैन चल जाने के कारण कोच न.S9 में चढ़ गया इसकी उम्र करीब 20 साल थी देखने में नार्थ ईस्ट के लोगो की तरह दिख रहा था रंग गोरा लम्बाई 5.2 इंच आँखों पर पावर का चश्मा, ब्लैक कलर का लोअर और वाइट ढीली-ढाली टी शर्ट पहने हुए था, उसके लेफ्ट हेंड पर एक ब्लैक वाच बंधी हुई थी और राइट हैंड पर एक कलरफुल वाच थी जिसपर बहुत से एनालॉग बने हुए थे, गले में एक नक्बेंड वायरलेस एअरफोन्स भी था और पीठ पर एक लैपटॉप बैग और उस बैग में लैपटॉप के साथ कुछ गैजेट भी थे जो शयद उसके काम के होंगे,उसके बाल सिल्की थे जो हवा में उड़ रहे थे I

इस ट्रैन में बैठे यात्रियों के बिच ये चार यात्री सबसे अलग पर एक दूसरे के जैसे थे चारो अपने आप में खोये हुए थे इनको भीड़ से कोई सरोकार नहीं था, ठीक शाम के 8 बजे थे कि ट्रैन ने अचानक से ब्रेक लगाई I शायद किसी ने ट्रैन को रोकने वाली जंजीर को खींचा था जिसकी वजह से ट्रैन रुकी थी, जहां ट्रैन रुकी उस जगह का नज़ारा वैसा ही था जैसा की उस लड़की ने दोपहर में अपने नींद में आभास किया था I

 चारो तरफ जंगल और खेत नज़र आ रहे थे, चारो तरफ अँधेरा पसरा हुआ था, कही भी रौशनी की एक लौ नज़र नहीं आ रही थी बस वही जुगनू से भरे खेत..... और आवाज के नाम पर सिर्फ झींगुरों की आवाजे उस सन्नाटे को चीर रही थी।

उसके बिपरीत ट्रैन के अंदर सभी लोगो के मन में ऐसी जगह ट्रैन रुकने के कारण कौतुहल बढ़ गया था जिस कारण सभी लोग एक दूसरे से आश्चर्य से बाते कर रहे थे जिससे ट्रैन के अंदर शोरगुल का माहौल था और ट्रैन की लाइट बहार पसरी अन्धकार के कारण यात्रियों को बहुत साहस दे रही थी इतने में (R P F) रैलवै पुलिस फ़ोर्स का एक व्यक्ति चेक करने आया जिसे कोच न. S6 के यात्रियों ने बताया की जो लड़का गेट पर खड़ा है इसी ने ट्रैन की जंजीर खींच के ट्रैन को रोका है,

 कुछ लोगो की कानाफुसी की हलकी आवाजे भी आ रही थी अरे ये लड़का तो जब से ट्रैन में चढ़ा है ये गेट पर ही खड़ा है किसी से बात भी नहीं करता है,

फिर दूसरी किसी की फुसफुसाने की आवाज आई साहब ओ साहब...... साहब ! एक मोटा आदमी जो की उसी कोच में था (R P F) रैलवै पुलिस फ़ोर्स के अधिकारी को फुसफुसाते हुए बुलाने लगा,और दूसरे यात्री गण भी आपस में जो मन में आये उस लड़के के बारे में अपनी राय देने में लगे हुए थे, कोई फुसफुसाता कि ...... अरे ये तो आतंकवादी होगा कोई कहता अरे नहीं टिकट नहीं होगा बेचारे के पास....... कोई कहता अरे सीधो लोंडा दिखे है, पर वो सब लोगो की बातों को बेफक्री के साथ हवा में उडाता जा रहा था जैसे हाथी जब सड़क से गुजरती है तो बहुत से कुत्ते उसे देखकर भोकते है पर हाथी पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है ठीक इसी तरह उस लड़के पर किसी की बातो का कोई असर नहीं हो रहा था, (R P F) रैलवै पुलिस फ़ोर्स का अधिकारी उस लड़के के पास जाकर बोला "के हो रहया सै ".....

तभी उस मोटे अधेड़ उम्र के आदमी जो फुसफुसाते हुए (R P F) अधिकारी को बुला रहा था उसने (R P F) अधिकारी को फिर आवाज लगाई, साहब ओ साहब...... साहब ! उसने एक नेहरू टोपी लगाई हुई थी,गाल और पेट उसके शरीर से बाहर निकलने को तैयार थे, वो इतना मोटा था की दो लोगो की सीट उसके लिए बराबर पड़ रही थी उसने सफ़ेद कुरता और धोती पहने हुए था कुर्ते के ऊपर नेहरू जैकेट भी था और गले में सोने की चैन। उसने R P F अधिकारी से बोला साहब मन्ने लग रिया है की ये आतंकवादी सै.......,

 उसके बगल में बैठी उसकी बीबी जो की उसकी तरह ही मोटी थी वो R P F अधिकारी से बोल पड़ी, ना साहब ये तो बिना टिकट का है तभी तो गेट पर खड़ो है,

 R P F अधिकारी डांटते हुए बोला। .... थम जा अम्मा थम जा हम पता कर लेवेंगे तू अपने मगज पर जोर मत दे, वैसे ही तू डबल रोटी हुई पड़ी है, तू अपने मगज़ पर जोर डालेगी तो मगज़ फट जाना है तेरा। .... R P F अधिकारी ये बोलता हुआ उस लड़के की तरफ मुड़कर चला गया. लड़का अब भी गेट पर खड़ा था, R P F अधिकारी उसके पास जाते ही सवालो की झड़ी लगा दी I

हां रे छोरे कहाँ जा रहा है ? तेरी सीट कहा है ? यहाँ गेट पर क्या कर रहा है? और ट्रैन की चैन तेने खेची है? बता क्यों खेंची ट्रैन की चैन.... ? क्या नाम है तेरा। ...... ? चल अपड़ी आई डी दिखा ?

वह लड़का R P F अधिकारी की तरफ मुड़ा और अपने कंधे पर टंगी साइड बैग से अपना पर्स निकला और अपनी id देते हुए बोला। ...... सर क्या मैं अपनी टिकट भी दिखाऊ। ..?

R P F अधिकारी ने कहा : क्यो टिकट दिखाने का मन ना है के ......... ?

उस लड़के ने अपनी id के साथ-साथ अपनी टिकट भी उस अधिकारी के हाथ में थमा दिया।

R P F अधिकारी ID देखते हुए बोला : ID और टिकट पर नाम था अभिमन्यु सिंह पिता का नाम रणजीत सिंह ऐज 29 फ़रवरी 2000 . मतलब तेरी उम्र 22 साल है तू कहा का रहने वाला है ....... एड्रेस है तेरा ...... कालिंदीकुंज नोएडा अच्छा तू दिल्ली से आ रहा है, अब ये बता दे भाई तू गेट पर क्या कर रहा है तेरी सीट है कोच न. S6 में सीट न. 31……..

 अभिमन्यु ने सर हिलाते हुए कहा - हम्म्म।

तो तू ये बता गेट पर क्या कर रहा है इतनी रात को अपनी सीट पर क्यों नहीं है R P F अधिकारी ने कहा

 अभिमन्यु ने सम्मान के साथ बोला : सर एक बुजुर्ग माताजी के पास सीट नहीं थी जिसकी वजह से वह टॉयलेट के पास निचे बैठी हुई थी,उनको वह बैठा देख मुझे अच्छा नहीं लगा इसलिए मैंने उन्हें अपनी सीट पर बैठा दिया सर।

ये सुनकर R P F अधिकारी के आँखों में भी अभिमन्यु के लिए सम्मान उतर आया I

R P F अधिकारी ने कहा :- ये तो तूने सही किया भाई पर ये बता दे कि तूने ट्रैन की चैन क्यों खींची उसकी क्या जरूरत पड़ गई तुझे।

अभिमन्यु ने अपना ID कार्ड बैग में रखते हुए R P F अधिकारी से बोला :- सर यहाँ से 100 मीटर दूर रेलवे की पटरियों के बीच एक गाय का पैर फंसा हुआ है अगर मैं ये ट्रैन की चैन नहीं खींचता तो वो गाय मारी जाती।

अभिमन्यु की बातें सुनकर उस R P F अधिकारी के होठो पर एक मज़ाकिया हसीं आ गई,हां..... हां। .... हां। .... सही कह रहा है तू ....... दारु तो ना पी राखी है तूने ! ट्रैन में बैठे-बैठे तुझे पता चल गया की 100 मीटर की दुरी पर क्या हो रहा है। ....... देख लाला पागल तो हु ना मैं ....... तू भला लोंडा दिखे है तुझे जेल न ले जा रहा हु चल तू फाइन भर दे। ......

अभिमन्यु को एहसास हुआ की वो जो भी बातें कर रहा है उसकी बातों पर कोई भी विस्वास नहीं करेगा, इसीलिए वो सर झुकाते हुए बोला मुझे माफ़ कर दीजिये आगे से ऐसी गलती नहीं होगी I

चल कोई बात ना। .... तू भला लोंडा है तुझे जेल ना ले जाऊंगा तू 1000 रु जुर्माना भर दे बस.......... R P F अधिकारी ने कहा

अभिमन्यु ने अपने बैग की चैन खोली और उसमे से उसने अपना पर्स निकला उसका पर्स बहुत ही खूबसूरत था पिछली बार तो R P F अधिकारी की नज़र अभिमन्यु के पर्स पर नहीं पड़ी थी पर इस बार उसकी नज़र अभिमन्यु की पर्स पर टिक गई I देखने से ही लग रहा था कि उसका पर्स बहुत महंगा है और अभिमन्यु के पास ऐसा पर्स है इसका मतलब या तो वो रईसजादा है या तो ये दो नंबर का काम करने वाला लड़का है, R P F अधिकारी की नज़र अभिमन्यु के पर्स में पड़े रूपए पर थी क्युकी उसका पर्स नोटों से भरा था......

अभिमन्यु ने कहा - ये लीजिये कहते हुए अभिमन्यु ने 500-500 के दो नोट, R P F अधिकारी को पकड़ा दिया।

R P F अधिकारी नोटों को पकड़ते हुए बोला अरे लाला तू काम क्या करता है तू तो बहुत अमीर लग रहा है, अब अभिमन्यु को बुरा लगने लगा था, अभिमन्यु ने शांत मन से कहा इन बातों से क्या फर्क पड़ता है सर..... मैंने अपनी गलती मान ली और मैंने जुरमाना भी दे चूका हु अब आप मुझे फ्री करिये। ..... ये सुनते ही तिलमिला गया और बोला - मुझे क्या मतलब है तुझसे ..... पर गेट पर खड़े रहना भी अपराध है 500 और देदे मैं तुझे सीट दिला देता हू।

 अभिमन्यु उस R P F अधिकारी से बहस नहीं करना चाहता था इसलिए उसने फिर अपने बैग से पर्स निकाला और उसमे से 500 का नोट निकल कर उसके हाथ में रख दिया।

R P F अधिकारी ने कहा ये हुई न बात इब चाल मेरे साथ....... R P F अधिकारी ये कहता हुआ आगे आगे चल दिया और उसके पीछे अभिमन्यु भी चल पड़ा।

R P F अधिकारी कोच न. S9 में अभिमन्यु को लेकर जा पंहुचा यहाँ पर 3 सीट खाली पड़ी थी खिड़की की तरफ इशारा करते हुए उस R P F अधिकारी ने अभिमन्यु से बोला लाला तू यही बैठ जा कोई दिक्कत हो तो मुझे बताना।

अभिमन्यु के ठीक सामने खिड़की वाली सीट पर एक चश्मे वाला लड़का बैठा हुआ था जिसकी उम्र तक़रीबन 20 साल थी ये वही लड़का था जो वाराणसी से बैठा था नार्थ-ईस्ट का देखने में लग रहा था I उस लड़के को धमकाते हुए उस R P F अधिकारी ने बोला अरे ओ लालटेन ज़रा ध्यान राखियों समझा .......

 उस चश्मे वाले यात्री ने कापते हुए आवाज में कहाँ - ओ .. ओ...... ओके ..... श...... श्योर।

R P F अधिकारी ने कहा - तू हकला है के....... और हस्ते हुए चला गया।

R P F अधिकारी के इतनी इज़त अभिमन्यु को देते हुए उस चश्मे वाले लड़के को समझ आ गया की इस लड़के की जान- पहचान बहुत है इसलिए वो घबराते हुए ही अपने दाहिने हाथ को आगे बढ़ाते हुए कहा - हेलो सर..... आई ऍम जॉय I

अभिमन्यु ने कहा- हेलो !आई ऍम अभि.... ओ ..... सॉरी अभिमन्यु.... (अभि) ....तो मुझे कुछ चुनिंदा लोग ही बुलाते है,

अभि ! इज ए नाइस नेम सर आई विल कॉल यू बाई दिस नेम, इज देयर एनी प्रॉब्लम ? जॉय ने सवालिआ अंदाज में बोला I

 नो। .... नॉट एट आल ..... यस यू कैन कॉल में अभि अभिमन्यु ने कहा !

दोनों ही एक दूसरे के विपरीत थे, दोनों को ही एक दूसरे को देख के कोतुहल पैदा हो गया था, एक दूसरे के बारे में जानने और समझने का।

अमूमन देखा जाये तो दोनों शांत स्वभाव के थे पर पता नहीं कौन सी कड़ी थी जो इन दोनों को एक दूसरे के बारे में जानने के लिए जिज्ञासा पैदा कर रही थी ट्रैन भी चल पड़ी थी और इन दोनों की बातें भी शुरू हो गई।

ट्रैन कुछ ही दूर चली होगी तभी एक झटका लगा और फिर ट्रैन चल पड़ी झटका लगते ही अभिमन्यु समझ गया की जो गाय ट्रैन की पटरी में फसी थी अब वो नहीं रही, इसी बात से दुखी होकर उसके मुँह से अनयास ही निकल गया हे भगवान् उनकी आत्मा को शांति देना। ये सुनते ही जॉय आश्चर्य भरे नज़रो से अभिमन्यु को देखते हुए बोला अभि ! ऐसा क्यों बोल रहे हो क्या हुआ?

 अभि को समझ नहीं आ रहा था कि वो जॉय को क्या उत्तर दे, सच बोल देगा तो वो विस्वास नहीं करेगा...... अभिमन्यु ये सोच ही रहा था कि जॉय ने पूछा क्या हुआ अभि ! कहा खो गए ? अभिमन्यु ने जबाब दिया कुछ नहीं जॉय ऐसे ही कुछ याद आ गया था, वो..... वो इसीलिए मेरे मुँह से निकल गया की भगवान् उनकी आत्मा को शांति देना ! जॉय को अभिमन्यु का ये उत्तर तर्क संगत नहीं लगा पर जॉय कर भी क्या सकता था, इन दोनों की दोस्ती इतनी भी गहरी नहीं थी कि वो जिद करके अभि से पूछे की हकीकत में बात क्या है ? थोड़ी देर के लिए दोनों अपने अपने विचारो में डूब चुके थे, दोनों के पास अपने-अपने सवाल थे, अभिमन्यु सोच रहा था कि सच बता नहीं सकता वो बिस्वास नहीं करेगा और झूट बोलना ठीक नहीं है, इसलिए अभिमन्यु ने ऐसा रास्ता निकला जिसमे उसे सच बताना भी नहीं पड़ा न ही उसे झूट बोलना पड़ा अभिमन्यु का जबाब एक दम नपा तोला था, दूसरी तरफ जॉय भी अपनी विचारो में खोया यही सोच रहा था कि अभी बताना नहीं चाहता सच्चाई, आखिर बात क्या है ? मैं पूछ भी तो नहीं सकता जिद करके .........

अभी दोनों अपने-अपने विचारो में खोये ही थे कि वो R P F अधिकारी फिर से वहां आ गया और अभिमन्यु से बोला - अरे लाला ! तूने सही बोला था अभी-अभी एक गाय ट्रैन से टकरा कर मारी गई, तुझे कैसे पता था कि वहां रेल की पटरी पर गाय है, ये सुन के अभिमन्यु चुप हो गया उसे समझ नहीं आया की वो क्या जबाब दे, बस अभिमन्यु इतना ही बोल पाया कि सर शायद ये मेरा आभास था ....... R P F अधिकारी ने सोचते हुए शब्द को लम्बा खींचते हुए बोला -अच्छा........ !

और लम्बी सांस लेते हुए बोला चल..... ठीक है ! लाला किसी चीज की जरूरत हो तो बता देना ? ये सब तो R P F अधिकारी सिर्फ इसलिए कर रहा था, क्युकी उसने अभिमन्यु के जेब में नोट देख लिया था, ये बात अभिमन्यु भी अच्छे से समझ रहा था I

चल..... ठीक है लाला किसी चीज की जरूरत हो तो बता देना ? ये कहते हुए R P F अधिकारी दूसरी तरफ चला गया।

 आखिर.........बात क्या था ? क्या कोई अलौकिक शक्ति थी अभिमन्यु के पास ! या कुछ और जो दुनिया से अलग था, कुछ तो रहस्य था ? अभिमन्यु और उसके आभास के बीच आखिर सच्चाई क्या है अभिमन्यु की सच्चाई क्या है....... ?

जानने के लिए पढ़े अगला भाग रहस्य 2


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