प्यार तो होना ही था
प्यार तो होना ही था
नीरज.. तुम ऐसा कैसे कर सकते हो!_ नीला के मुंह से बहुत देर बाद बोल निकले।वह बुत बन गई थी ,उसे अभी भी विश्वास नहीं था कि वह जिससे प्यार करती थी ,आंख मूंद कर उसपर भरोसा करती थी ,वो उसके प्यार का ये सिला देगा।
अगर उसके दोस्त मेघा और पूर्णिमा ने उसके लड़खड़ाते कदमों को सहारा देकर कुर्सी पर न बिठाया होता तो वह गिर पड़ती।
इतना बड़ा धोखा !
आज वो तो नीरज को फिर से सरप्राइज देने ही आई थी लेकिन ऐसा सरप्राईज उसे मिल जाएगा उसकी उसे सपने में भी उम्मीद नहीं थी।
नीला और नीरज एक ही कंपनी में नौकरी करते थे ।नीला सीनियर थी ,बहुत ही जिंदादिल ,जिंदगी को खुल कर जीती , उसे किसी से कोई शिकवा शिकायत नहीं थी । हर वीकेंड ऑफिस के ये युवा लेट नाइट पार्टी करते।
एक दिन नीरज ने नीला को प्रपोज कर दिया ,नीला को भी इस रिश्ते से कोई दिक्कत नहीं थी ।उसने भी हां कर दी।
वे अब अक्सर अकेले मिलने लगे।प्यार का मीठा अहसास जैसे उनके जीवन में वसंत ले आया वो उड़ने लगे ।नीला इन खूबसूरत पलों को समेट लेना चाहती थी।
इश्क और मुश्क छुपाए नहीं छुपते ,खबर नीला के माता पिता को लगी ,उन्होंने नीला को नीरज से मिलाने को कहा।
पता नहीं क्या उन पारखी आंखों को नीरज में क्या खटका ,उन्होंने नीला को नीरज को अपना जीवनसाथी बनाने से मना कर दिया।
"नीरज कम बोलता था ,शायद खुद की भावना को ठीक से उसके मम्मी पापा को दिखाने में असफल रहा",नीला ने यही सोचा।
प्यार ऐसा रोग है ,जब हो जाता है तो हम सामने वाले की बड़ी से बड़ी गलतियों को नजर अंदाज कर देते हैं।ऐसा ही कुछ हो रहा था नीला के साथ भी वो नीरज के प्यार में पूरी तरह अंधी हो चुकी थी।उसे नीरज में अपना परफेक्ट लाइफ पार्टनर दिख रहा था।
मम्मी पापा की मर्जी के खिलाफ उसने नीरज से शादी कर ली।वैवाहिक बंधन में बंध उसके पांव जैसे जमी पर ही नहीं थे।
कुछ ही महीने बीते होंगे जल्द ही नीरज का व्यवहार उसे खटकने लगा, घर नीला के तनख्वाह से चल रहा था।
एक दिन नीरज ने कहा _नीला ..कब तक हम किराए के मकान में रहेंगे ,तुम्हें नहीं लगता कि हमें घर खरीद लेना चाहिए।
हां ये तो है ,तो दिक्कत क्या है... लोन ले लो_नीला ने कहा।
नीरज ने बड़े प्यार से कहा _सही कह रही हो ।
दोनों ने एक फ्लैट पसंद किया ।
नीरज ने नीला को समझाया तुम्हारी सैलरी ज्यादा है तुम्ही अपने नाम लोन ले लो ,इनकम टैक्स में छूट मिल जाएगी ।
नीला इतनी अंधी थी नीरज के प्यार में कि उसने कोई सवाल नहीं किया,और पेपर पर साइन कर दिया।
कुछ ही दिनों बाद नीरज का ट्रांसफर दूसरे शहर में हो गया नीरज चला गया।नीला उसके माता पिता के साथ रह गई ।दिन भर नौकरी कर के आती ,फिर खाना बनाती ।कई बार इतनी थकी होती कि उसका मन नहीं करता ,खाना बनाने का ।जब उसने अपनी सास से खाना बनाने वाली रखने को कहा तो _वे कहती ,मैं तो बाहर की किसी महिला के हाथ बना खाना नहीं खा सकती ।
नीला मन मसोस कर रह जाती, न चाहते हुए भी अपने प्यार की खातिर वो सब चुपचाप करती रहती।
अब नीरज घर कम ही आता ,अगर आता तो अपने मम्मी पापा के पास ही ज्यादा समय बिताता,रात को थके होने का बहाना कर सो जाता।
नीला उसमें आए परिवर्तन को देख रही थी ,लेकिन उसके बहाने को भी सही मान, कुछ न कहती।
एक दिन उसकी सहेली पूर्णिमा ने डरते डरते बताया_"यार नीरज का किसी लड़की से अफेयर चल रहा,मैने उड़ती पुड़ती खबर सुनी है।"
नीला ने कहा _"तू भी न ,लोगों को गॉसिप के लिए कोई मुद्दा चाहिए ।"
नीला ने पूर्णिमा की बात को सिरे से नकार दिया।
"सुन न पूर्णिमा अगले महीने नीरज का जन्मदिन है ,मैने गोवा की ट्रिप प्लान की है_ नीला ने कहा।"
अच्छा!_पूर्णिमा ने कहा।
सुन तू नीरज को मत बताना ,बर्थडे के दिन हम चुपके से अम्बाला पहुंच जाएंगे , उस दिन उसका बर्थडे मना अगले दिन गोवा के लिए रवाना हो जाएंगे।मेघा को भी बोल दूंगी ,हम तीनों ही चलेंगे।
ओके _पूर्णिमा ने कहा।
पूर्णिमा को ये बात कचोट रही थी ,कितनी भोली है नीला ,आंख मूंद कर उस व्यक्ति पर विश्वास कर रही है ,सारे पैसे उस पर और उसके परिवार पर लुटा रही है ,अपने लिए उसने एक भी रुपए की सेविंग नहीं की ,भगवान न करे अगर नीरज बेवफा निकला तो कैसे सह पायेगी नीला।
"हे भगवान! जो मैंने सुना है वो गलत हो।
दो साल हो गए हर बार नीला ही नीरज के लिए सब कुछ करती है ,क्या नीरज का मन नहीं करता कि नीला के लिए भी कुछ करे।इस बार जब मिलूंगी तो नीरज से बात करूंगी"_सोचते सोचते पूर्णिमा घर आ गई।
2 नवंबर को नीरज का जन्मदिन था ,नीला ,पूर्णिमा ,मेघा और मेघा का मंगेतर 1 तारीख को 10 बजे अपनी गाड़ी ड्राइव कर अंबाला पहुंच गए।रास्ते में नीला ने खूब सारे गिफ्ट ,केक नीरज के लिए खरीदे।
रात के 11 बजे
सभी लोग नीरज के फ्लैट के पास पहुंचे।नीला बहुत उत्साहित थी ,उसे लग रहा था कि नीरज उसे देख कर खुशी से उसके गले लग जाएगा।
नीला ने दरवाजा नॉक किया।अंदर से आवाज़ किसी महिला की आई _इस समय कौन आया होगा?
नीरज ने जवाब दिया _पता नहीं ?
घंटी फिर बजी एक लड़की ने दरवाजा खोला ,सामने उन सबको देख असमंजस से पूछा _आप कौन?
तब तक नीरज सामने आया ,और नीला को देख आश्चर्य से उसकी आंखें फैल गई।
उसे एक पल कुछ समझ में नहीं आया ,नीला धड़ _धड़ाते हुए अंदर घुस गई।
ये सब क्या है?_नीला ने कहा।
नीरज कुछ नहीं बोला वो अंदर गया और उस लड़की से कुछ कहा और वो लड़की अपना पर्स लेकर बाहर चली गई।
सब अवाक थे।नीरज कमरे से निकल बाहर नीला के पास आया।
"अरे नीला, ऐसा कुछ नहीं ,जैसा तुम सोच रही हो_खुद को संभालते हुए नीरज बोला।"
मैं क्या सोच रही हूं_ ,नीला ने कहा,फिर कहती गई मैंने तुम पर अपने से ज्यादा विश्वास किया था,हर बात ,मैं तुम्हारी खुशी की खातिर सहती गई।आज तो तुमने मेरा गुरुर ही तोड़ दिया , जब भी किसी ने कुछ कहा तुम्हारे बारे में मैने कभी विश्वास नहीं किया।
गुस्से में नीला ने 2 साल से जमे अपने दिल के गुबार को निकाल दिया।
तभी नीरज के स्वर हवा में तैरते हुए उसके कानों में गूंज गए_ तुमने मेरे लिए कब समय निकाला ?
ये तुम क्या कह रहे हो?_नीला गरज उठी।
मैने तुम्हारे,तुम्हारे परिवार के लिए अपनी जिंदगी हवन कर दी ,और अब कहते हो कि मैने कब समय निकाला ?
इतना कह वह गुस्से और अपमान से पैर पटकती सबके साथ वापस लौट आई।कई महीनों तक वह अवसाद में रही।तलाक के कागजात उसने बनवा कर भिजवा दिया।उसे इस रिश्ते से इतनी नफरत हो गई थी कि उसने अपनी खरीदी प्रॉपर्टी भी उन्हें दे दी।
आज उसकी शादी होने वाली है।मम्मी पापा की पसंद से।
उसने दुबारा प्यार करने की गुस्ताखी की लेकिन इस बार उसने ये बात अपने मन में दबा ली।दीपक जो उसके ही ऑफिस ही काम करता था।वो मन ही मन नीला से प्यार करता था,लेकिन जब नीला ने नीरज से शादी कर ली ,तो उसकी हसरतें मन ही मन में रह गया।जब नीला नीरज की बेवफाई से पूरी तरह टूट गई थी तो उसने आगे बढ़ कर सहारा दिया ।वो हमेशा उसे खुश रहने के लिए मोटिवेट करता।
नीला संभलने लगी उसकी जिंदगी पटरी पर आ गई थी लेकिन एक टीस मन के किसी कोने में रह गया इंसान ऐसे क्यों होते हैं किसी का दिल तोड़ने में उन्हें क्या खुशी मिलती है?
अब नीला को दीपक का साथ अच्छा लगने लगा ,वो जब उसके साथ रहती तो खुश रहती ,सारे गम भुला देती।शायद उसे फिर से प्यार हो रहा था।
लेकिन उसने अपने दिल को ये समझा लिया था कि कोई किसी से प्यार नहीं करता ,हर प्यार में स्वार्थ होता है।
पूर्णिमा उसे हमेशा समझाती "देख नीला दुनिया में सभी एक जैसे नहीं होते जैसे पांचों उंगलियां एक बराबर नहीं होती ,घर में भाई बहन का स्वभाव एक जैसा नहीं होता तो तुम कैसे दीपक और नीरज को एक तराजू में तोल सकती हो।"
नीला की आंखों से आंसू ढलक कर उसके गोरे गालों पर आ गए वो बोली"मुझे सही गलत अब कुछ नहीं समझ आता पूर्णिमा,मैं उसी ग्लानि से मरी जा रही , कि मैने अपने प्रेम की खातिर पिछली बार नीरज के लिए अपने माता पिता का दिल दुखाया था। मैं चाह कर भी दीपक से शादी नहीं कर सकती।"
पूर्णिमा चुप हो गई।पूर्णिमा को पता था कि दीपक नीला को दिलोजान से चाहता है।
आज जब नीला ऑफिस आई तो उसके टेबल पर दीपक का इस्तीफा रखा था।नीला एक दम सन्न्न रह गई।उसे समझ में नहीं आ रहा था कि दीपक ने आखिर नौकरी क्यों छोड़ दी।
बेमन से उसने ऑफिस का काम निपटाया ,वो बहुत अकेला महसूस कर रही थी।आखिरकार उसने पूर्णिमा से मिलने का फैसला किया।उसने घर फोन किया कि वो घर देर से लौटेगी।
उसने पूर्णिमा से इजहार किया कि" शायद वो बुरी तरह दीपक पर आश्रित हो गई है ,उसे उसका साथ अच्छा लगता है।एक वाक्य में कहूं तो मैं उससे प्यार करने लगी हूं ।
पूर्णिमा ने कहा "तो तू क्यों नहीं उसके इजहार का जवाब देती।अपनी भावनाओं को समय रहते व्यक्त कर देना चाहिए।एक दिन में तेरा ये हाल हो गया है!
" अच्छा चलती हूं ,सोचती हूं " नीला ने कहा।
घर पहुंचते एक और धमाका इंतजार कर रहा था । मां ने नीला से कहा "नीला हमने तुम्हारी शादी तय कर दी है।"
झुंझला गई नीला ,लेकिन अब वो मां को कुछ कह नहीं सकी।उसने बुझे मन से कहा" ठीक है ,और अपने कमरे में चली गई।
बहुत देर तक वो आंख बंद कर लेटी रही कुछ समझ में नहीं आ रहा था क्या ! मां को बता दूं कि दीपक से मैं प्यार करने लगी हूं,उसी से विवाह करूंगी लेकिन अगले ही पल उसे नीरज के लिए किए गए अपने फैसले की बात याद आ गई ।
तभी मां की आवाज आई "नीला आ ,खाना खा ले।"
"मां मेरा मन नहीं है सर भारी है ,प्लीज मुझे सोने दो" नीला ने जवाब दिया।
मां को चिंता हुई,वो कमरे में आई "क्या बात है मेरी बच्ची,तबियत तो ठीक है ऑफिस में कोई अनबन तो नहीं हुई।"
नहीं,,बस थोड़ा सर भारी लग रहा सो जाऊंगी तो ठीक हो जाएगा।"नीला ने कहा।
अगले दिन नीला सो कर उठी,उसे याद आया ऑफिस जाना है ,लेकिन ऑफिस में दीपक न होगा ये सोच उसका पूरा उत्साह ठंढा हो गया।
लेकिन जाना तो था ,क्योंकि कुछ क्लाइंट आने वाले थे उन्हें अपना प्रेजेंटेशन दिखाना था।
वो तैयार होने लगी । "ऑफिस में बॉस से पता करेगी कि दीपक किस कंपनी में काम कर रहा है।मुझे उससे एक बार तो मिलना ही होगा,"यही सोच वो ब्रेकफास्ट करने डाइनिंग टेबल पर बैठी।
माता पिता को उसे बहुत ध्यान से देखते देख उसका ध्यान उनकी ओर गया।
उन्होंने कहा "बेटा जिससे तुम्हारी शादी तय हुई है उसकी फोटो तो देख ले।कल तुम बहुत थकी लग रही थी इसीलिए तुम्हें नहीं दिखाया।
इतना कह मां उठ गई ,नीला को फोटो देखने में कोई इंट्रेस्ट नहीं था उसने बुझी आवाज में कहा "जब आप लोगों को पसंद है तो अच्छा ही होगा।मुझे भी पसंद है।"कह कर वो डाइनिंग टेबल से उठ गई।
ऑफिस पहुंच कर वो बॉस के कमरे में गई ,उसने देखा बॉस कमरे में नही थे ,सहकर्मियों ने बताया कि वो छुट्टी पर गए हैं उनकी मां की तबियत खराब है।
फिर एक बड़ी निराशा हाथ लगी।किसी तरह क्लाइंट से मिलकर प्रोजेक्ट डिस्कस किया और घर आ गई।जिंदगी इतनी नीरस लग रही थी ऐसा लग रहा था कि उसका शरीर अब उसके लिए बोझ बन गया है।
"लगता है मैं फिर से अवसाद में डूब जाऊंगी नहीं नहीं ऐसा अब नहीं जिंदगी में आगे बढ़ना है बिना सहारे के ,उसने खुद को समझाया।"
सबसे पहले उसने अपने को व्यस्त करने के लिए अपना एक रूटीन बनाया ।वो खाली समय में एनजीओ से जुड़ गई जो छोटे बच्चों के वेलफेयर और पुनर्वास के लिए काम करता था।उसे वहां बहुत अच्छा लगता था ।
1 महीने बाद उसकी शादी थी ,न उसने लड़के का नाम पूछा ,न फोटो देखी।बार बार माता पिता ने कहा "बेटा एक बार देख ले लड़के को।"लेकिन उसने साफ मना कर दिया ये कहते हुए कि आप सबने अच्छा ही चुना होगा।
आज शादी थी और बीती सारी बातें चलचित्र की तरह उसके सामने से गुजर रही थीं।ऑफिस से , एनजीओ के बच्चे ,पूर्णिमा उसके सभी दोस्त आए थे उनसे वो मिल तो रही थी लेकिन एक अनजाने रिश्ते में बंधने का भय अब उसके चेहरे पर साफ देखा जा सकता है।
जयमाल के लिए उसे स्टेज पर ले जाया गया।वो यंत्रवत जाकर दूल्हे के पास बैठ गई ,उसकी आंखें बस जमीन को ही घूर रही थी।आखिरकार जयमाल के लिए दूल्हे के दोस्त और इधर नीला की सहेलियां स्टेज पर आईं ।पूर्णिमा और मेघा ने जयमाल की थाली से फूलों का हार दूल्हे और दुल्हन को दिया।
दूल्हे के दोस्त दूल्हे का हौसला बढ़ाते हुए चीखे ,"जयमाल डाल दीपक क्यों खड़ा है!
दीपक !एक बार नीला चौंकी,उसे यकीन नहीं हुआ कि उसके मम्मी पापा ने उसके लिए दीपक को पसंद किया है।उसने सिर उठा कर देखा "ये सच में तो दीपक है,फिर भी उसने चुटकी काट कर खुद को देखा वास्तव में दीपक ही उसका दूल्हा था।
उसे खुशी के साथ साथ गुस्सा भी आ रहा था कि आखिर किसी ने इतनी बड़ी बात उससे छुपाई क्यों?उसने बारी बारी से सबकी ओर देखा सब उसे देख मंद मंद मुस्कुरा रहे थे।
फेरों में अभी समय था नीला रूठी हुई थी ,तब उसकी मां और पूर्णिमा ने बताया दीपक तुझसे सच्चा प्यार करता था,इकलौते होने के कारण उसके माता पिता उससे शादी की जिद करते लेकिन वो टालता रहा ,आखिर उसके माता पिता ने जिद की तो उसने तुम्हारे बारे में बताया ।पहले तो उन्होंने न नुकुर किया लेकिन अंत में मान गए।और हम सबने मिलकर तुम्हारी शादी तय कर दी ।
दीपक को एक दूसरी मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब भी मिल गई ।
हमने तुम्हें उसके बारे में नहीं बताया क्योंकि हम देखना चाहते थे कि दीपक का तुम्हारी जिंदगी से जाने के बाद तुम्हें कुछ फर्क पड़ता है भी कि नहीं।हम सब दीपक के लिए तुम्हारा प्यार देखना चाहते थे।
कई सालों की जद्दोजहद के बाद नीला की जिंदगी में खुशहाली लौटी।आज दोनों अपनी जिंदगी में बहुत खुश