पर वो वंहा मुझे ही लिखती रही ,मुझे ही चाहती रही, मेरे ही गीत गाती गुनगुनाती रही। ... पर वो वंहा मुझे ही लिखती रही ,मुझे ही चाहती रही, मेरे ही गीत गाती गुनगुनाती रही।...
अब इसे मेरे नशे का असर कहिये या मेरा दुस्साहस मैं उतर गया अँधेरे स्टेशन पर स्टेशन मास्ट अब इसे मेरे नशे का असर कहिये या मेरा दुस्साहस मैं उतर गया अँधेरे स्टेशन पर स्टेश...
अब मैं तुझे मर्द के बेवफाई की वो दास्तान सुनाऊँगी कि तेरी आँखें खुली की खुली रह जाएगी अब मैं तुझे मर्द के बेवफाई की वो दास्तान सुनाऊँगी कि तेरी आँखें खुली की खुली रह ...
ये समुंदर जितनी शांत ऊपर से दिखता है अंदर उतनी ही ऊफ़ान भरता है! ये समुंदर जितनी शांत ऊपर से दिखता है अंदर उतनी ही ऊफ़ान भरता है!