ग़ज़ल ग़ज़ल
ग़ज़ल के साथ नमक की तो कोई ज़रूरत नहीं है न।" ग़ज़ल के साथ नमक की तो कोई ज़रूरत नहीं है न।"
पर वो वंहा मुझे ही लिखती रही ,मुझे ही चाहती रही, मेरे ही गीत गाती गुनगुनाती रही। ... पर वो वंहा मुझे ही लिखती रही ,मुझे ही चाहती रही, मेरे ही गीत गाती गुनगुनाती रही।...