माँ जार के बाहर बैठी आँसू बहाती हुई तड़प रही थी। माँ जार के बाहर बैठी आँसू बहाती हुई तड़प रही थी।
क्योंकि उसके पंख पूरी तरह से विकसित नहीं हुए हैं क्योंकि उसके पंख पूरी तरह से विकसित नहीं हुए हैं
दिल कोई खिलौना नहीं होता जिसे जब जी भर जाए तोड़ दीजिये। .......और नया प्यार तलाश लीजिये ,ये एहसास हैं... दिल कोई खिलौना नहीं होता जिसे जब जी भर जाए तोड़ दीजिये। .......और नया प्यार तलाश ...
इतने सालों में ज्यादा कुछ तो नहीं बदला था इतने सालों में ज्यादा कुछ तो नहीं बदला था
वह गलतियों की शुरुआत थी। जिसे आज 15 साल बाद भी रूमा झेल रही है। वह गलतियों की शुरुआत थी। जिसे आज 15 साल बाद भी रूमा झेल रही है।