मुझे उड़ने दो
मुझे उड़ने दो


पापा देखो उस फूल को ।( धरित्री अपने पापा के साथ बगीचे में टहलते हुए बात कर रही थीं।) पापा: हां बहुत ही खूबसूरत है। जानती हो धरित्री उस फूल पर एक तितली है जो उड़ना चाहती है लेकिन वह उड़ नहीं पा रही है।
धरित्री: क्यो पापा?
पापा: क्योंकि उसके पंख पूरी तरह से विकसित नहीं हुए हैं।
धरित्री: तो अब क्या होगा पापा?
पापा: अब उसे उससे भी बड़े जीव का खाना बन जाएगी। पता है धरित्री इस तरह असलियत में भी होता है। जो बेटियां कम उम्र की होते हुए भी घर मे बहार आज़ादी के नाम पर गलत फैसले ले लेती हैं। और उनकी उड़ान को दुनिया में रहने वाले शिकारी रोक देते हैं तब वह भी इस तितली की तरह तड़प कर रह जाती हैं और फिर खत्म हो जाती हैं।
धरित्री; पापा मैं कभी सोचे बिना नहीं कहूंगी मुझे उड़ने दो।