माँ
माँ
कितने लोगों ने माँ पर लिखा है। लिखने के लिए शब्द कम पड़ जाते हैं जब माँ के लिए लिखना होता हैं। कहा जाता है कि जब भगवान हर जगह नहीं पहुंच सकते थे तब उन्होंने माँ को धरती पर भेजा। यह ही एक ऐसा प्यार है जिसमें सिर्फ माँ देती हैं वह आशीर्वाद हो या नया जीवन। आज मैं एक ऐसी कहानी यहां प्रस्तुत करने जा रही हूं जो सत्य घटना है।
मेरे पिताजी के मित्र शांतिलाल जी उनके पाँच बच्चे थे। दो लड़के तीन लड़कियां। उन लोगों का मैदे की सेव बनाने का छोटा गृह उद्योग था। सालो से चल रहा गृह उद्योग यकायक बंद हो गया और अब उन लोगों को दूसरी जगह जाना पड़ा। दूसरे गाँव गए वहां पर उन्होंने खुद का छोटा सा घुघरे बनाने का बिजनेस शुरू किया। यह बिजनेस जोर शोर से चल पड़ा दिन दुगुनी तरक्की होने लगी।
मगर कहा जाता है कि कुछ खुशियों के साथ दुख का साथ होता है। इस दौरान शांतिलाल जी के छोटे बेटे को बुखार में दोनों किडनी फेल हो गई थी। डॉक्टरों ने जवाब दे दिया था कि अगर कोई एक किडनी भी मिलती है तो हिरेन की जान बच सकती हैं। हर जगह शांतिलाल जी ने हाथ फैलाए मगर कहीं भी किसी की किडनी मैच नहीं हो रही थी। इस दौरान डॉक्टरों ने कहा नर्मदा बेन आपकी किडनी मैच हो रही हैं रिपोर्ट देखने से पता चला।
तब नर्मदा जी ने कहा कि इस से अच्छी बात क्या होगी कि मैं अपने ही बेटे को दूसरी बार नया जीवन दे सकती हूं। और हिरेन को उसकी माँ ने ही दूसरी बार नया जीवन दिया और आज सारा परिवार खुश खुशहाल जीवन जी रहा है।