PRATAP CHAUHAN

Abstract Romance Classics

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PRATAP CHAUHAN

Abstract Romance Classics

प्यार का सफर भाग -1

प्यार का सफर भाग -1

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कुश एक दिन ट्रेन से प्रयागराज जा रहा था। पहली बार वो ट्रैन द्वारा सफर कर रहा था खिड़की के पास बैठकर बाहर की घूमती हुई दुनियाँ का आनंद ले रहा था उसे बहुत आश्चर्य हो रहा था कि ट्रेन जितनी ज्यादा तेज चलती है बाहर खड़े पेड़ पौधे भी उतनी ही तेज घूमते हैं कुल मिलाकर उसको सफर में बहुत आनंद आ रहा था।झुनझुना स्टेशन पर ट्रेन रुकी कुश ट्रेन से बाहर आया उसने एक बुकसेलर से गाना बजाना नाम की एक किताब खरीदी। उसने किताब में लिखे गाने पढ़ने चाहे तब तक ट्रेन ने सिग्नल दे दिया और धीरे धीरे चलने लगी। बुकसेलर ने कहा जाओ ट्रेन में पढ़ लेना वो देखो तुम्हारी ट्रेन जा रही है।कुश जल्दी से ट्रेन में चढ़ गया।

कुश जब अपनी सीट पर पहुंचा तो उसने अपनी सीट पर एक हमउम्र लड़की के अलावा तीन अन्य यात्रियों को बैठा देखा।

कुश ने कहा:- हेलो मेडम, यह मेरी सीट है,रिज़र्व कराई थी मैंने ।

लड़की ने कहा :- हाँ होगी तुम्हारी सीट। मैंने कब मना किया।

कुश :- फिर बैठने दो ना मुझे! खाली करो मेरी सीट।

लड़की:- थोड़ा खिसकते हुए ये लो बैठ जाओ।

कुश उस थोड़ी सी तंग जगह में बैठ जाता है।

वह गाने की किताब को खोलता है तत्पश्चात किताब में लिखे गाने गुनगुनाने लगता है

ऐसे जुदाई से तिल-तिल ना मर,

ऐ मेरे दिल, उनसे तो मिल ।

उनकी अदाओं पे भंबरा फिदा है,

जरा सम्भलकर, गुल जैसा खिल ।

लड़की बोली:- लगता है तुम गाने के शौकीन हो ! अच्छा लगा गाना।तुम्हारी आवाज भी सरस है।वैसे कहाँ तक जा रहे हो ?

कुश :- मैं प्रयागराज जा रहा हूँ। अपने उस्ताद मियां के पास जाकर रियाज करूंगा। वैसे मैंने शास्त्रीय संगीत भी सीखा है।लेकिन मुझे सभी संगीत के सभी अंदाज पसंद हैं।इतनी बातें कर ली आप से और आपका नाम नहीं पूछा ।

क्या नाम है आपका ?

लड़की :- मेरा नाम संजना है। मुझे भी शास्त्रीय संगीत अच्छा लगता है। मुझे गाने का भी शौक है ।

कुश :- एक गाना हो जाय फिर !

संजना :- हाँ क्यों नहीं, संजना अपना सुर सही करती हुई गाना गाती है ।

प्यार का सफर है, योंही चलता रहे।

बिछुड़े ना दिलवर मेरा, दिल में रहे।।

लम्हा गुजर जायेगा, यादों में रह जायेगा।

दिल तो है तेरा आशिक, तुझसे लिपट जायेगा। ।

संजना अपना गाना अभी पूरा भी नहीं गा पायी तब तक उसका स्टेशन आ गया। संजना बोली लगता है यही मेरा स्टॉपेज है। अब मुझे जाना होगा अपनी सीट शेयर करने के लिये धन्यवाद।ट्रेन रुकी तो संजना उठकर चलने लगी।संजना को जाते देख कुश भी उसके साथ ट्रेन से बाहर आ गया। दोनों एक दूसरे को देखे जा रहे थे। संजना ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा। सफर का पता ही नहीं चला कब गुजर गया रास्ता ।

कुश बोला :- आप अपना व्हाट्सअप नंबर दो जो बातें अधूरी रह गयीं हैं उनको पूरी करेंगे से

संजना ने अपना नंबर दिया और कुश को बाय बाय करते हुए बोली -

कहीं रियाज के चक्कर में,

भूल ना जाना तुम हमको ।

याद बहुत आएगी तेरी,

यह कैसे बताउंगी सबको ?

कुश की आँखों से बिरह के आंसू निकल रहे थे। वो जल्दी से ट्रेन में गया और अपना सामान लेकर वापस आ गया संजना के पास।

संजना:- तुम यहाँ क्यों उतर गये ? अभी तुम्हारी मंजिल नहीं आई है कुश जाओ वापस ट्रेन में ।

कुश :- अब तुम्हारे ही शहर में हम संगीत सीखेंगे ।क्योंकि:-

तुम ही हो संगीत मेरा, तुम ही मेरी मंजिल।

बीच सफर में मिलन हुआ है,

अब प्रणय मिलन को व्याकुल दिल।।

दोनों स्टेशन की भीड़ के बीच में गले मिलते हैं और दोनों एक साथ रहने का वादा करते हुए शहर की गलिओं में अपना आशियाना ढूंढ़ते हैं।

निरंतर.....शेष भाग       


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