शिक्षक का मंदिर
शिक्षक का मंदिर
जैसे छात्रों का मंदिर एक विद्यालय होता है ठीक उसी प्रकार एक शिक्षक का मंदिर उसका प्रशिक्षण केंद्र होता है जिसे हम डाइट भी कहते हैं बचपन से ही एक चाहत थी मैं भी पढ़ लिख कर शिक्षक की शिक्षा के मंदिर के दर्शन कर सकूं। मुझे जिंदगी ने मौका दिया और मैं शिक्षकों के प्रशिक्षण केंद्र में प्रवेश कर गया।
शिक्षक बनने की लालसा ने मुझे कामयाबी दिलाई उस प्रशिक्षण केंद्र की एक एक याद अपने जहन में संजोए बैठा हूं। प्रशिक्षण केंद्र में हमको सिखाया जाता है कि विद्यालय में बच्चों को किन-किन सरल तरीकों से सिखाने की कोशिश की जाए। अधिगम के बारे में बताया जाता है। बच्चों की प्रतिक्रियाओं के बारे में बताया जाता है।
शिक्षक को कैसे परिधान पहनने चाहिए यह सब तौर तरीके बताए जाते हैं। शिक्षक बनना एक कठिन कार्य क्योंकि एक शिक्षक को समाज के उत्थान की जिम्मेदारी निभानी पड़ती है। समाज में फैली कुरीतियों को दूर करने का बीड़ा उठाना पड़ता है।
प्रशिक्षण केंद्र पर यह भी सिखाया जाता है कि बच्चों की मानसिकता के अनुसार व्यवहार करना है। यदि विद्यालय में कोई बच्चा नियंत्रण से बाहर हो तो उसे प्यार से सिखाने का प्रयत्न करने का प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षण केंद्र से जब हम शिक्षित होकर एक शिक्षक के रूप में विभिन्न विद्यालयों में तैनात होते हैं तो हमें विद्यालय रूपी मंदिर में प्रवेश करना
पड़ता है। विद्यालय एक ऐसा मंदिर है, जहां देश का भविष्य शिक्षित होता है।
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