PRATAP CHAUHAN

Inspirational

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PRATAP CHAUHAN

Inspirational

बुलबुल तेरी सरस कहानी

बुलबुल तेरी सरस कहानी

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बुलबुल तेरी सरस कहानी,

जीव जगत में बड़ी पुरानी।

वयोवृद्ध से सुनकर हमने, 

बुलबुल की प्रतिभा पहचानी।।


होता है जहाँ सुखद सवेरा,

बुलबुल करती वहीं बसेरा|

तिनका-तिनका जोड़-जोड़ कर,

खूब सजाती अपना बसेरा।।


एक दिन ऐसा भी आता है, 

बुलबुल माँ जब बन जाती है।

उसके पावन खोता से तब, 

किलकारी असामयिक आती है।।


बच्चों की खातिर ही बुलबुल, 

सुबह-शाम दाना लाती है।

उसके लिए विश्राम कहां,कब ?

वह तो कर्मठ बन जाती है।।


जब उड़ान बच्चे भरते हैं,

प्रतिस्पर्धा वह करते हैं|

मां देती आशीष निराला,

भव्य-जगत अब रहे तुम्हारा|।


फिर वर्चस्व बढ़ाते हैं वह,

नील गगन के चिर दामन में।

फिर से सरस कहानी घटती,

अन्य किसी पावन प्रांगण में।


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