PRATAP CHAUHAN

Abstract Fantasy

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PRATAP CHAUHAN

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बेरोजगार की विजय

बेरोजगार की विजय

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एक दिन सुबह-सुबह एक ऐसा याचक आया जिसकी समस्या को सुनकर कमलेश्वर बाबा मौन हो गएI वहां उपस्थित भक्त सोचने लगे कि इस याचक ने कमलेश्वर बाबा के कान में ऐसा क्या कह दिया कि वह मौन हो गएI 


लियागत और देवा ने आकर उस याचक से कहा- क्या समस्या है तुम्हारी ? कौन हो तुम ?


याचक बोला- मेरा नाम पी.सी. प्रहरी हैI मैं एक लेखक हूँI मैंने कमलेश्वर बाबा से कहा, मैं आपकी असलियत जानता हूँI आप कोई चमत्कारी नहीं हैI यह कुआं आपने बोरिंग करके बनाया हैI जबकि गांव वालों को लगता है कि आपने कुआं मंत्रों की शक्ति से प्रकट किया हैI इसलिए आपके कमलेश्वर बाबा कुछ नहीं बोल रहे हैI बोरिंग करने का सामान मेरे दोस्त की दुकान से बाबा जी के पास बैठे दोनों चले ही लेकर आए थेI कमलेश्वर बाबा के पास बैठे दोनों शिष्यों को पहचान लिया है I 


लियाकत ने कहा- यह दोनों शिष्य यहीं पर हैं यह कैसे पता चला तुमको? यहां तक कैसे पहुंचे?


पीसी प्रहरी ने बताया, जब यह दोनों शिष्य बोरिंग मशीन का सामान ले रहे थे उस समय मैं अपने दोस्त की दुकान पर मौजूद थाI इसके साथ एक व्यक्ति और थाI कल मैं एक कहानी की खोज में यहां वीराने में भटक रहा थाI तभी मुझे चमत्कारी कुआ के बारे में दो राहगीरों से बात करते हुए सुना थाI वह दोनों आपस में बात कर रहे थे कि एक सिद्धि बाबा ने चमत्कार करके रेतीले पठार पर एक मीठे पानी का कुआं मंत्रों द्वारा प्रकट कर दिया हैI वह सन्यासी बाबा अपने भक्तों की समस्याओं को तुरंत दूर कर देते हैंI जो मरीज सालों से ठीक नहीं हो पा रहे उनकी नब्ज देखकर जो भी दबा दे देते हैंI मरीज तुरंत सही हो जाता हैI कोई भी याचक सिद्धि बाबा के पास आकर निराश नहीं लौटा हैI लेखक होने के नाते मेरे मन में विचार आया चलो चमत्कारी बाबा को देखा जाए शायद मेरे लिए कोई कहानी की खोज करने कर देंगेI जब मैंने यहां आकर देखा तो मैंने उनके शिष्यों को पहचान लियाI मैं समझ गया इन लोगों ने गांव वालों को भ्रमित करके अपने प्रति आस्थावान बना लिया हैI 


लियाकत बोला- सुनिए लेखक महोदय, हम पाँच "पंजा गैंग" के सदस्य हैंI हम पांच लोग ऐसे हैं जिन्होंने रोजगार प्राप्त करने के लिए प्रयत्न किया लेकिन भाग्य ने साथ नहीं दियाI हम पांचों साथियों ने अपनी योग्यता से यह मुकाम हासिल किया है, कि हम दूसरों की सहायता भी कर सकते हैंI हम जो भी करते हैं, समाज के हित में करते हैंI हम पांचों साथी हर कार्य परोपकार के लिए करते हैंI अब आपको और यहां उपस्थित भक्तजनों को पूरा किस्सा हमारे कमलेश्वर बाबा जी बताएंगे I


कमलेश्वर बाबा अपना रहस्य गांव वालों को बताते हैंI उन्होंने कहा- प्रिय सज्जनों, मैंने बाबा का भेष बनाकर अपनी असलियत छुपाई हैI सच्चाई यह है कि हम पांच बेरोजगार साथियों ने मिलकर आपकी और अपनी समस्या को दूर करने के लिए एक योजना बनाई थीI उस योजना के अनुसार हम लोगों ने शहर से बोरिंग का सामान लाकर इस पठार पर एक कुआं बनाया थाI जब कुआं पूर्ण रूप से तैयार हो गया तब मैं गांव में साधु का भेष रख कर गयाI जब मैंने मां भवानी का आवाहन करके आपके गांव की मिट्टी उठाकर पठार की ओर वेग किया थाI उसी वक्त हमारे एक साथी ने इसी पठार पर सुतली बम फोड़ दिया थाI आप सब लोगों को लगा कि बाबा ने कोई चमत्कार कर दियाI आप लोगों को उस समय पूर्ण विश्वास हो गया जब आप लोगों ने पठार पर एक कुआं देखा I गांव के सरपंच ने कुएँ का मीठा पानी पिया उस समय आप सबके चेहरे पर प्रसन्नता देखकर हमें भी अत्यंत खुशी हुई थीI हम पांच ऐसे बेरोजगार साथी हैं जिन्होंने आपके लिए यह सब कियाI हम अपनी बेरोजगारी पर विजय पाना चाहते थेI विजय पाने के लिए समृद्ध होना अत्यावश्यक थाI जब याचक आने लगेI चढ़ावा चढ़ाने लगेI बहुत अधिक धन एकत्रित होने पर मैंने आपके गांव की सड़क को पक्का कराया, इस गांव के बच्चों के लिए विद्यालय खुलवाया, इस कुएं से मीठे पानी को आपके खेतों तक पहुंचाया I

आज हम पांचों लोग भी समृद्ध हुए और आप गांव वाले भी अपनी समस्याओं पर विजय पाने में सफल हुए I यही हम पांच लोगों का उद्देश्य थाI अगर आपको लगता है कि हम पांचों ने कोई गलत कार्य किया है या हम पांचों लोग दोषी हैं, तो आप सभी जो भी दंड देंगेI हमें सहर्ष स्वीकार होगाI


कमलेश्वर बाबा की बात सुनकर सभी गांव वालों ने तालियां बजाकर उनको प्रोत्साहित किया तथा "कमलेश्वर बाबा की जय हो" का उद्घोष करने लगेI 


गांव के सरपंच ने कहा- "कमलेश्वर बाबा की जय हो" बाबाजी, आप ने हम लोगों पर उपकार किए हैंI हमें आपसे कोई शिकायत नहीं I आपने धनाढ्य लोगों से धन लेकर हम गांव वालों को समस्याओं से मुक्ति दिलाई हैI इसलिए हम आपके ऋणी हैंI आपकी जय होI 


लेखक ने कहा- आपने तो महान काम किया हैI मैंने आपके बारे में गलत सोचा, मुझे माफ कीजिए I आप परोपकारी लोग हैंI लेखक ने ताली बजाकर सिद्धि कमलेश्वर बाबा तथा उनके साथियों का स्वागत कियाI 

वहां मौजूद सभी जनों को संबोधित करते हुए लेखक ने कहा- मुझे गर्व है ऐसे परोपकारी लोगों पर जो समाज के हित के लिए कार्य करते हैं अपनी योग्यता का प्रदर्शन करते हुए इन पांचों बेरोजगारों ने गांव वालों को भी सारी सुविधाओं से परिपूर्ण कर दिया हैI गांव के लिए मीठे पानी की व्यवस्था करके इन्होंने बहुत बड़ा पुण्य कमाया हैI मुझे कहानी मिल गई हमें इस कहानी को प्रकाशित कर आऊंगा इस कहानी का शीर्षक होगा "बेरोजगार की विजय"



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