वृक्ष के भाग्य से निराश होकर उसने और कहीं जाना और दाना ग्रहण करना भी छोड़ दिया। वृक्ष के भाग्य से निराश होकर उसने और कहीं जाना और दाना ग्रहण करना भी छोड़ दिया।
आखिरी निशानी थी, आज उससे भी मुक्त हो चला। आखिरी निशानी थी, आज उससे भी मुक्त हो चला।
मैथिली मैं नहीं तू बहुत दूर चली गयी पर देख न तुझे मेरे दिल से कोई नहीं ले जा सकेगा, कभी भी और मैथिली... मैथिली मैं नहीं तू बहुत दूर चली गयी पर देख न तुझे मेरे दिल से कोई नहीं ले जा सके...
सुबह का भूला शाम को घर लौट आए तो उसे भूला नहीं कहते हैं। सुबह का भूला शाम को घर लौट आए तो उसे भूला नहीं कहते हैं।
महसूस करो तुम अपने सपनों की उड़ान को, उन्हें पा लेने की बेसब्री को ! महसूस करो तुम अपने सपनों की उड़ान को, उन्हें पा लेने की बेसब्री को !
आँसू पोंछकर, वह घर के काम में जुट गई। आँसू पोंछकर, वह घर के काम में जुट गई।